मध्य प्रदेश के ‘सिंधिया राजघराने’ के चश्म-ओ-चिराग चर्चाओं में हैं। हालांकि अब न तो रियासत का दौर है और ना ही राजवंश। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में हर ‘खास और आम’ आज एक समान हैं।
मध्य प्रदेश के ख्यातनाम सिंधिया राजघराने के तीन सदस्य वसुंधरा राजे सिंधिया, यशोधरा राजे सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति में हैं। इनमें रिश्ता बुआ और भतीजे का है (वसुंधरा एवं यशोधरा राजे, ज्योतिरादित्य की सगी बुआएं हैं)। तीन में… दो, यशोधरा राजे और स्वयं ज्योतिरादित्य मध्य प्रदेश से आते हैं, जबकि वसुंधरा राजे सिंधिया की राजनीतिक कर्मभूमि राजस्थान राज्य है।
सबसे पहले बात करें, यशोधरा राजे सिंधिया की। लंदन में जन्मी यशोधरा राजे मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री हैं। उनके पास खेल एवं युवा कल्याण, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार जैसे अहम विभागों की ज़िम्मेदारी है।
यशोधरा राजे की उम्र 69 साल है। तीन दिन पहले उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ने और अगले कुछ महीने आराम करने का एलान किया है। बता दें कि यशोधरा राजे सिंधिया 1998 में पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुनी गई थीं। वे कुल 4 बार की विधायक हैं। दो बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं। राजनीति का ककहरा उन्होंने जनसंघ की संस्थापक रहीं अपनी मां… अम्मा महाराज से सीखा। इतिहास अनुसार यशोधरा राजे सभी भाई-बहनों में अम्मा महाराज की सर्वाधिक चहेती रहीं। अम्मा महाराज के समान जिद, जोश और जुनून उनमें कूट-कूटकर भरा हुआ है।
यशोधरा यहीं नहीं रुकीं… उन्होंने कहा, ‘महल से (सिंधिया राजघराने की सदस्य) होने के कारण उनकी राह में बारंबर चुनौतियां खड़ी की गईं। बाधाएं डाली गईं।’ चुनौतियां एवं बाधाओं का उल्लेख करते हुए ताल ठोककर यशोधरा ने आगे कहा, ‘मैं उस राजमाता की बेटी हूं, जिन्होंने हर चुनौती का सामना किया।’
यशोधरा ने बिना किसी का नाम लिए कहा, ‘उन्हें पता नहीं है, हमारा समय बहुत चुनौतीपूर्ण रहा। उन चुनौतियों का सामना करते-करते मैं आज यहाँ तक आ गई हूं।’
आयोजन सरकारी था, लेकिन यशोधरा राजे का भाव विदाई भाषण वाला था। अपनी बात रखते और मर्म को बताते हुए वह कुछ भावुक भी नज़र आयीं। उन्होंने मौके पर मौजूद महिलाओं से आह्वान करते हुए कहा, ‘मुझ जैसी व्यक्ति लोगों के जीवन में अंतर ला सकती है तो आज तो तमाम रास्ते खुले हैं आप भी अंतर ला सकते हो।’
बड़ी बुआ और भतीजा भी है ‘संकट’ में!
बड़ी बुआ वसुंधरा राजे और कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लेने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गहरे ‘राजनीतिक संकट’ में हैं। राजस्थान की राजनीति में अहम स्थान रखने वाली वसुंधरा राजे हाशिए पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी वसुंधरा को मेन स्ट्रीम की पॉलीटिक्स में लाने को तैयार नहीं है।
इधर मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने अपने सिपाहासालारों एवं समर्थकों की आस और उम्मीद पूरी करने तथा अपना राजनैतिक वजूद बचाए रखने का सवाल मुंह बाये खड़ा हुआ है।
विजया राजे सिंधिया जनसंघ की संस्थापकों में रही हैं। जनसंघ को स्थापित करने के लिए तन-मन और धन विजयाराजे ने लगाया, इतिहास इस बात का गवाह है। जनसंघ और जनता पार्टी के बाद भारतीय जनता पार्टी के उदय में भी विजया राजे सिंधिया का अहम योगदान रहा है।
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