मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में गोमांस की कथित तस्करी के शक में दो आदिवासियों की पीट-पीटकर हत्या के मामले की जांच एसआईटी करेगी। 3 मई को हुए घटनाक्रम के नौ दिनों के बाद शनिवार को प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लेते हुए सिवनी के एसपी, संबंधित थाने और चौकी के पूरे स्टॉफ को हटा दिया। आदिवासियों ने इस घटना में स्पष्ट तौर पर बजरंग दल के गुंडों का नाम पुलिस को बताया था।
आरोप है कि पूरे मामले में कार्रवाई की जगह लीपापोती हो रही है। बजरंग दल और अन्य हिन्दू संगठनों से जुड़े आरोपियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। भीड़ का शिकार हुए आदिवासियों के परिजनों और ग्रामीणों पर चुप रहने का दबाव बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार तड़के गुना में शिकारियों द्वारा तीन पुलिस वालों की गोली मार कर हत्या कर देने के घटनाक्रम को लेकर आपात बैठक की। बैठक में कानून व्यवस्था की स्थिति की भी गहन समीक्षा हुई। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, चीफ सेक्रेट्ररी इकबाल सिंह बेस और अन्य अफसरान बैठक में उपस्थित रहे।राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था और एक के बाद एक शर्मसार करने वाले बढ़ते घटनाक्रमों को लेकर मुख्यमंत्री ने सभी को जमकर आड़े हाथों लिया। गुना घटना की जांच का आदेश दिया। घटनास्थल पर पहुंचने में देरी करने वाले ग्वालियर आईजी को हटा देने का निर्णय लिया।सूत्रों के अनुसार हाल के पुराने और बड़े मामलों को लेकर भी सीएम ने अफसरों को फटकार लगाई। सिवनी में आदिवासियों की पीट-पीटकर हत्या कर देने के मामले पर भी बात हुई। भीड़ द्वारा सरेआम दो आदिवासियों की पीट-पीटकर सामूहिक हत्या के इस मामले में अब तक की कार्रवाई की प्रगति की जानकारी भी सीएम ने ली।
सिवनी के सामूहिक हत्या घटनाक्रम की जांच की प्रगति और कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए सीएम ने मामले की जांच एसआईटी से कराने के निर्देश दिए। सीएम ने सिवनी के एसपी को हटाने और संबंधित थाने एवं चौकी के पूरे स्टॉफ को भी तत्काल बदलने का आदेश दिया। बताया गया है कि मुख्यमंत्री के सख्त रुख से अफसर सकते में रहे।
बता दें, सिवनी जिले की कुरई तहसील के सिमरिया गांव के आदिवासी शख्स धानशाह (54 वर्ष), संपत बट्टी (60 वर्ष) और एक अन्य युवक को भीड़ ने जमकर पीटा था। गोमांस तस्करी के शक में पिटाई से धानशाह और संपत की मौत हो गई थी।ग्रामीणों का आरोप है गोमांस की तस्करी की शंका जाहिर करते हुए बजरंग दल के गुंडों और भीड़ ने निर्दाेष आदिवासियों से हुज्जत करने के साथ मारपीट की। बेदम होने तक तीनों को पीटा गया, जिसमें दो निर्दोष आदिवासी मारे गये।पुलिस ने भीड़ के शिकार आदिवासी युवक की शिकायत पर सात नामजद और अन्य अज्ञात लोगों के साथ कुल डेढ़ दर्जन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। एक सप्ताह से ज्यादा समय के बाद पुलिस अब तक नौ ही आरोपियों को गिरफ्तार कर पायी है।
आदिवासियों के आरोप से पहले ही गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं, ‘बजरंग दल के हाथ होने के प्रमाण नहीं मिले हैं। मारे गए आदिवासियों के घर से गो मांस मिलने की बात भी उन्होंने कही थी।’ केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के बड़े आदिवासी फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी बजरंग दल का नाम लिए बिना, घटनाक्रम में कट्टर हिन्दू संगठन से जुड़े लोगों का हाथ होने से इनकार किया है।’
‘बजरंग दल से जुड़ होने के प्रमाण’
पुलिस द्वारा आरोपी बनाये गये और गिरफ्तार किये गये आरोपियों से जुड़ी मीडिया की पड़ताल में आरोपियों के कट्टर हिन्दूवादी संगठनों से जुड़े होने के प्रमाण मिले। कई आरोपियों के बजरंग दल और अन्य हिन्दूवादी संगठनों से सीधे तौर पर जुड़े होने संबंधी फोटो/वीडियो भी आरोपियों के सोशल मीडिया पर होने संबंधी खबरें मीडिया ने चलाईं।
‘आदिवासी समाज है बेहद क्षुब्ध’
मध्य प्रदेश का आदिवासी समाज सिवनी की घटना से बेहद क्षुब्ध है। समाज के अनेक लोगों ने गोमांस तस्करी और गो मांस खाने संबंधी आरोपों पर अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं मीडिया को दी हैं। अधिकांश नेताओं ने गो मांस की तस्करी के आरोपों को सिरे से खारिज किया है।नेताओं ने सवाल उठाते हुए यह भी कहा है, ‘प्रदेश के आदिवासी गाय की पूजा करते हैं। पहली रोटी गाय को खिलाने की उनके यहां परंपरा है, वे गाय को कैसे मार सकते हैं?’
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