बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
आगे
बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
आगे
गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर
पीछे
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में मंत्रियों की संख्या को लेकर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को नोटिस थमाया है। मध्य प्रदेश विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने काबीना सदस्यों की संख्या को लेकर सवाल उठाते हुए एक याचिका दायर की हुई है। प्रजापति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नोटिस जारी किया है।
विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष प्रजापति ने शिवराज मंत्रिमंडल के आकार को विधानसभा में सदस्यों की संख्या के मौजूदा मान से वैधानिक व्यवस्था के ख़िलाफ़ बताया है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि वर्तमान विधानसभा सदस्यों की संख्या के मुताबिक़ 34 मंत्री नहीं बनाए जा सकते, लेकिन मुख्यमंत्री ने स्वयं के साथ 34 सदस्य काबीना में रखे हैं। यह स्थिति वैधानिक व्यवस्था के विपरीत है। प्रजापति ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है।
एनपी प्रजापति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव इक़बाल सिंह बैंस को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में प्रजापति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तनखा ने पक्ष रख रहे हैं।
याचिकाकर्ता प्रजापति की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तनखा ने दलील दी कि प्रदेश में हुआ मंत्रिमंडल विस्तार संविधान के अनुच्छेद 164 1ए का स्पष्ट उल्लंघन है। आर्टिकल 32 के तहत दायर याचिका में मुद्दा उठाया गया है कि हाल ही में सीएम शिवराज ने 28 मंत्रियों की नियुक्ति की है, जबकि इस विस्तार के पहले पाँच मंत्री नियुक्त किए गए थे। इस लिहाज़ से मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल में सदस्यों की कुल संख्या सीएम सहित 34 हो गई है।
दलील में यह भी कहा गया है कि यदि नियम की बात की जाए तो धारा 164ए के तहत विधानसभा की कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत सदस्य ही मंत्री बनाए जा सकते हैं। फ़िलहाल सदस्यों के कुल आँकड़े के मान से अधिकतम सिर्फ़ 30 मंत्री बनाये जा सकते थे। लेकिन चार मंत्री ज़्यादा बना दिए गए हैं।
याचिकाकर्ता की दलील को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नोटिस जारी किया है। यहाँ बता दें मंत्रिमंडल गठन के साथ ही यह बात उठ रही थी कि नियम के विपरीत जाते हुए सदस्यों की संख्या ज़्यादा कर दी गई है जो क़ानून का उल्लंघन है। उपचुनावों के ठीक पहले प्रतिपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए शिवराज सरकार को घेर लिया है।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें