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5 आदिवासियों को पेशाब पीने पर मजबूर किया एमपी पुलिस ने 

दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और वंचितोें के दूसरे समुदायों पर अत्याचार की वारदात बढ़ती जा रही हैं। देश के कोने-कोने से इस तरह की खबरें आ रही हैं। ताज़ा मामला मध्य प्रदेश का है, जहाँ पुलिस ने 5 आदिवासियों को पेशाब पीने पर मजबूर किया। 
यह वारदात मध्य प्रदेश के अलिराजपुर ज़िले के नानपुर थाने की है। वहाँ छेड़छाड़ के एक मामले में पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ़्तार किया। पुलिस का कहना है कि उन्होंने पुलिस वालों के साथ मार पीट की थी। इसके बाद पुलिस वालों ने लॉक अप में उन लोगों के साथ मारपीट की और उन्हें तरह-तरह की यंत्रणाएँ दीं। इन आदिवासियों ने जब पीने के लिए पानी माँगा तो पुलिस वालों ने उन्हें पेशाब दिया और वह पेशाब पीने पर मजबूर किया। 
जब यह मामला उठा तो हड़कंप मचा। इस मामले में 5 पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें थाना प्रभारी भी शामिल है। विभागीय जाँच का आदेश दे दिया गया है। 
संविधान लागू होने के लगभग छह दशक बीत जाने के बाद भी यह स्थिति है। लेकिन यह इस तरह की पहली वारदात नहीं है। इस तरह की घटनाएँ पहले भी हुई हैं। आदिवासियों के साथ-साथ दलितों पर भी अत्याचार की कई घटनाएँ हुई हैं। 

मल खिलाया

यह घटना पुणे ज़िले के हिन्जेवाडी पुलिस स्टेशन क्षेत्र के मुल्शी तालुका के गाँव जाम्बे की है। सूखा पीड़ित उस्मानाबाद ज़िले से रोज़गार की तलाश में आये सुनील पावले व उनके परिवार, जिसमें दादा -दादी और मां -पिता शामिल हैं, दो साल से इस ईट भट्टे पर कार्य कर रहे थे। 14 मार्च की दोपहर काम ख़त्म कर यह परिवार खाना खाने के बाद थोड़ा  विश्राम कर रहा था। उसी समय ईट भट्टे का मालिक संदीप पवार आया और उसने सुनील को कहा, 'उठ काम शुरू कर।' सुनील के पिता ने कहा 'सेठ अभी -अभी खाना खाया है, थोड़ी देर में काम पर लग जायेंगें, थोडा आराम कर लेने दीजिये।' 

बताया जाता है कि यह जवाब सुनकर ईट भट्टा मालिक संदीप पवार नाराज़ हो गया। उसने गालियाँ देनी शुरू कर दीं। सुनील पवले और उसके पिता के साथ मारपीट भी की। बताया जाता है कि इसी दौरान सुनील पवले ने भी संदीप को गाली दे दी तो मामला और बढ़ गया। संदीप पवार सुनील को अपने बंगले पर ले गया और अपनी पत्नी को कहा कि एक बर्तन में भिष्ठा लेकर आओ, इसे खिलाना है। संदीप पवार ने उसे भिष्ठा खाने पर मज़बूर किया। 

दलितों की पिटाई

कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें तीन दलितों को नंगा कर पीटते हुए देखा जा सकता है। इन पर चोरी करने की कोशिश करने का आरोप है। यह वारदात उत्तर प्रदेश के जौनपुर की है।

मुजफ्फरनगर

इसके पहले की एक घटना में मुजफ्फरनगर ज़िले के तुगलकपुर गाँव में अगस्त 2018 में एक ऐसा ही मामला सामने आया था। काम करने से इनकार करने पर दो दलितों की कथित तौर पर पिटाई के मामले में तीन लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ किया गया था। 

बदायूँ 

मई 2018 में बदायूँ ज़िले में वाल्मीकि समाज के एक व्यक्ति के साथ मारपीट कर उसकी मूँछ उखाड़ने और जूते में पेशाब पिलाने का मामला आया था। पुलिस के अनुसार, हजरतपुर थाना के आज़मपुर गांव के सीताराम वाल्मीकि ने पुलिस को बताया था कि वह अपने खेत में गेंहू काट रहा था। ऊँची जाति के लोग चाहते थे कि वह पहले उनके खेत का गेहूं काटे। वाल्मीकि के मुताबिक़ ‘मना करने पर उन लोगों ने खेत में ही पिटाई की और गाँव ले गए और पेड़ से बाँधकर उससे मारपीट की और जूते में पेशाब पिलाई।

मथुरा

मथुरा जनपद के नौहझील थाना क्षेत्र के एक गाँव में फ़रवरी 2019 में ही कुछ दबंगों ने अनुसूचित जाति की युवती की शादी में दूल्हे की बारात नहीं चढ़ने दी थी। बाद में बिना बारात चढ़ाए ही शादी हुई थी। 

ऊना में दलितों की पिटाई

इस दलित चेतना ने निर्णायक मोड़ 2016 की एक वारदात के बाद ले लिया। ऊना तालुका के मोटा समधियाना गाँव में 10 जुलाई 2016 की रात एक मरी हुई गाय की खाल निकाल रहे दलितों को स्थानीय लोगों ने गोहत्या के आरोप में पकड़ लिया, उन्हें बाँधा और बुरी तरह पीटा। इस घटना ने पूरे देश में भूचाल ला दिया। 

रोहित वेमुला की आत्महत्या

ऊना की वारदात के पहले दलित शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या ने पूरे देश को मथ दिया था। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पीएच.डी छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी, 2016 की रात फाँसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। वह दलित समुदाय के थे। रोहित सहित विश्वविद्यालय के पांच दलित छात्रों को हॉस्टल से निकाल दिया गया था। 25 साल के रोहित गुंटुर ज़िले के रहने वाले थे और विज्ञान तकनीक और सोशल स्टडीज़ में दो साल से पीएचडी कर रहे थे।
सवाल यह है कि आज़ादी के 70 साल बाद भी इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं। दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों के ख़िलाफ़ अत्याचार की वारदात क्यों बढ़ रही हैं? यह मामला किसी दल या पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं है। सदियों से चली आ रही शोषण की नीतियों के तहत ही इस तरह की वारदात हो रही हैं। लेकिन ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ शख़्त कार्रवाई नहीं की गई। इस वजह से यह इस तरह की वारदात बढ़ रही हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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