मध्य प्रदेश से बीजेपी टिकट पर कविता पाटीदार राज्यसभा जायेंगी। बीजेपी ने रविवार शाम जारी सूची में पाटीदार के नाम का ऐलान किया। उधर, कांग्रेस ने मौजूदा राज्यसभा सदस्य और प्रतिष्ठित वकील विवेक कृष्ण तन्खा को एक बार फिर अपर हाउस भेजने का फैसला किया है। राज्य से मिलने वाली एक अन्य तयशुदा सीट के लिए बीजेपी के उम्मीदवार की घोषणा अभी बची है।
मध्य प्रदेश से राज्यसभा के तीन सदस्यों - पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम.जे.अकबर, सम्पतिया उइके (दोनों बीजेपी से) और विवेक कृष्ण तन्खा (कांग्रेस से) का कार्यकाल 29 जून 2022 को समाप्त हो रहा है। रिक्त होने वाली सीटों के लिए चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। आवश्यकता होने पर 10 जून को वोट डाले जाने हैं।
मध्य प्रदेश विधानसभा में सीटों की संख्या के मान से दो सीटें बीजेपी और एक सीट कांग्रेस को मिलना तय है। चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद से दावेदार सक्रिय थे। तमाम कयासबाजी के बीच रविवार देर शाम बीजेपी की पहली लिस्ट आयी तो मध्य प्रदेश से कविता पाटीदार का चौंकाने वाला नाम सामने आया। कविता पाटीदार इंदौर से हैं। वे मध्य प्रदेश बीजेपी में महासचिव हैं। बीजेपी ने पहली बार सूबे में किसी महिला को महासचिव पद का दायित्व सौंपा था। कविता जिला पंचायत की अध्यक्ष रही हैं।
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वो जिला पंचायत अध्यक्ष और बीजेपी की प्रदेश महासचिव जरूर हैं, लेकिन प्रदेश बीजेपी और राजनीतिक हलकों में कभी मशहूर नहीं रहीं। कविता पाटीदार की मूल पहचान मध्य प्रदेश बीजेपी के जाने-पहचाने एवं सौम्य नेताओं में गिने जाने वाले स्वर्गीय भेरूलाल पाटीदार की बेटी होना है।
भेरूलाल पाटीदार 1990 से 1992 के बीच पटवा सरकार में मंत्री रहे थे। वर्ष 1993 में बीजेपी की सरकार गई और दिग्विजय सिंह सरकार आयी तो बीजेपी ने पाटीदार को विधानसभा के उपाध्यक्ष पद से नवाज़ा था। साल 2005 में पाटीदार का हार्टफेल होने से आकस्मिक निधन हो गया था।
ओबीसी राजनीति का खेल !
कविता पाटीदार ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से आती हैं। इन दिनों मध्य प्रदेश ओबीसी वर्ग की राजनीति पूरे उफान पर है। स्थानीय सरकार के चुनाव की प्रक्रिया राज्य में चल रही है। ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने सत्तारूढ़ दल बीजेपी को घेर रखा है। बीजेपी और कांग्रेस ओबीसी का हितैषी होने के दावों को लेकर हर दिन एक-दूसरे पर राजनीतिक निशाने साध रहे हैं।मध्य प्रदेश में 54 फीसदी के करीब ओबीसी वर्ग के लोग हैं। कमलनाथ की सरकार बनी थी तो मुख्यमंत्री बने नाथ ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण की सीमा को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था।
फैसला लागू होने के पहले कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। बीजेपी की सरकार बनने के बाद स्थानीय निकाय के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ हुई थी। नये सिरे से परिसीमन और सीटों के आरक्षण के बीच कांग्रेस कोर्ट चली गई थी। चुनाव और आरक्षण दोनों लटक गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने बिना आरक्षण के चुनाव कराने का आदेश दे दिया था। शिवराज सरकार और बीजेपी की भद पिटी थी।
सरकार रिव्यू में गई थी। इसके बाद इसी माह 50 प्रतिशत की सीमा में रहते हुए ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू कर चुनाव कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन की सुनवाई के बाद अपने फैसले में दिया है।
राज्य में ओबीसी को 10 से 13 फीसदी आरक्षण ही विधिवत मिल पाया है। इस पक्ष को लेकर प्रदेश कांग्रेस लगातार शिवराज सरकार को घेर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री नाथ और पूरी कांग्रेस द्वारा बीजेपी एवं उसकी सरकार पर ओबीसी के हितों पर कुठाराघाता के आरोप मढ़ रहे हैं। आरोप लगाया जा रहा है वोट बैंक के तौर पर बीजेपी ओबीसी का उपयोग करती है। उधर आरक्षण की ‘गफलत’ के लिए बीजेपी कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है।
ओबीसी आरक्षण पर बढ़त बनाने के प्रयासों के बीच कविता पाटीदार के नाम की घोषणा कर बीजेपी ने बढ़ा दांव खेल दिया है। पाटीदार के नाम की घोषणा होते ही तंज कसते हुए बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता लोकेन्द्र पाराशर ने कहा, ‘कांग्रेस से ओबीसी वर्ग का जाना-पहचाना चेहरा और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव मध्य प्रदेश से राज्यसभा जाने के इच्छुक थे। लेकिन ओबीसी वर्ग का बढ़ा पैरोकार होने का दावा करने वाली कांग्रेस ने भेजा तन्खा जी को। क्यों भेजा, सब जानते हैं?’
कैलाश विजयवर्गीय की संभावनाएं खत्म !
मध्य प्रदेश से राज्यसभा की दो सीटों के लिए बीजेपी में जो नाम चल रहे थे, उनमें बेहद मजबूत दावेदार के तौर पर कैलाश विजयवर्गीय का नाम माना जा रहा था। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय लंबे वक्त से संगठन में ही बने हुए हैं। अलग-अलग राज्यों के प्रभारियों की भूमिका में बीजेपी की नैया पार लगाने का दायित्व बीजेपी उन्हें सौंपती आ रही है।माना जा रहा था कि बीजेपी इस बार विजयवर्गीय को राज्यसभा भेज सकती है। चूंकि कविता इंदौर और मालवा अंचल से आती हैं, लिहाजा अब इंदौर से ही आने वाले बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को अवसर मिलने की उम्मीदें क्षीण मानी जा रही हैं।
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सूत्रों ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा है, ‘बीजेपी इस बार दूसरी सीट राज्य के बाहर के किसी नेता की बजाय मध्य प्रदेश से ही अन्य नेता को अपर हाउस भेजेगी। अन्य चेहरा, आदिवासी वर्ग से हो सकता है।’
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