मध्य प्रदेश के भावी डॉक्टरों को आरएसएस का विचार पढ़ाये जाने के फ़ैसले पर रार मच गई है। राज्य के मेडिकल छात्रों के फाउंडेशन कोर्स में इसी सत्र से आरएसएस के विचार को भी बतौर लेक्चर शामिल किया गया है। शिवराज सरकार के इस क़दम के बाद कांग्रेस ने कटाक्ष करते हुए कहा है, ‘अकेले हेडगेवार और दीनदयाल ही क्यों, सरकार को सावरकर और गोडसे के बारे में भी बच्चों को पढ़ाना चाहिए ताकि वे इतिहास की सच्चाई को बेहतर ढंग से जान सकें।’
मध्य प्रदेश के इस विवाद से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य यह है कि मेडिकल स्टूडेंट्स को आरएसएस का विचार पढ़ाये जाने को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने विभाग के अफसरों को एक नोट शीट भेजी थी। फ़रवरी में नोट शीट भेजे जाने के बाद सुझावों के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई।
जानकारी के अनुसार कमेटी के सुझावों के आधार पर विचारों के सिद्धांत और जीवन दर्शन के महत्व वाले लेक्चर को फाउंडेशन कोर्स में पढ़ाए जाने के लिए हाल ही में शामिल किया गया है। बताया गया है कि ये लेक्चर फाउंडेशन कोर्स के मेडिकल एथिक्स टॉपिक का हिस्सा होंगे।
इन विचारकों को चुना गया है
मेडिकल एथिक्स लेक्चर के लिए जिन विचारकों के नामों को चुना गया है, उनमें आयुर्वेद विषारद् के रूप में विख्यात महर्षि चरक, सर्जरी के पितामह आचार्य सुश्रुत, स्वामी विवेकानंद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय और भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को शामिल किया गया है।
बता दें कि एमबीबीएस का कोर्स नेशनल मेडिकल काउंसिल तय करती है। प्रत्येक कोर्स के टॉपिक भी काउंसिल ही बताती है, लेकिन उस टॉपिक में लेक्चर क्या होंगे, ये राज्य सरकार का चिकित्सा शिक्षा विभाग तय कर सकता है। मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपने इस ‘अधिकार’ का उपयोग करते हुए लेक्चर तय किये हैं। जो नए लेक्चर जोड़े गए हैं वो ‘मेडिकल एथिक्स’ टॉपिक का हिस्सा क़रार दिए जा रहे हैं।
कक्षा में शामिल होना अनिवार्य
एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों को फाउंडेशन कोर्स एडमिशन के तुरंत बाद पढ़ाया जाता है। एक महीने का यह कोर्स होता है। महीने भर एक कक्षा इस लेक्चर की हर दिन होती है। कोई परीक्षा अथवा नंबर नहीं होते, लेकन इस कक्षा को में शामिल होना अनिवार्य है। राज्य में क़रीब दो हजार विद्यार्थी हर वर्ष एमबीबीएस में एडमिशन लेते हैं।
मेडिकल छात्रों को आरएसएस विचारकों को पढ़ाए जाने के मध्य प्रदेश सरकार के इस क़दम के बाद कांग्रेस आक्रामक हो गई है।
एजेंडा थोपने का काम: कमल नाथ
पूरा देश जानता है कि भाजपा के लोगों का आजादी के संघर्ष से लेकर, देश के स्वर्णिम इतिहास में कोई योगदान नहीं है लेकिन भाजपा जानबूझकर इतिहास को तोड़ने मरोड़ने का ,अपने लोगों को महिमामंडित करने का और अपनी विचारधारा को थोपने का काम करती रहती है और यह भी उसी एजेंडे का हिस्सा है।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 5, 2021
उन्होंने ट्वीट में आगे कहा, ‘इसके पूर्व आज़ादी के अमृत महोत्सव की सामग्री में भी इसी प्रकार अपनी विचारधारा के लोगों को शामिल करने का काम बीजेपी ने किया है। पूरा देश जानता है कि बीजेपी के लोगों का आज़ादी के संघर्ष से लेकर देश के स्वर्णिम इतिहास में कोई योगदान नहीं है, लेकिन बीजेपी जानबूझकर इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का, अपने लोगों को महिमामंडित करने और अपनी विचारधारा को थोपने का काम करती रहती है। यह भी उसी एजेंडे का हिस्सा है।’
कमलनाथ ने कहा है, ‘बीजेपी सरकार स्पष्ट करे कि इन लोगों (हेडगेवार और पंडित उपध्याय) ने देश की आज़ादी के संघर्ष से लेकर देश के विकास में ऐसे कौन से उल्लेखनीय कार्य किए हैं जो इनके विचारों से पवित्र स्वास्थ्य के पेशे के विद्यार्थियों को अवगत कराया जाए?’
उधर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने एक ट्वीट में कहा, ‘अकेले हेडगेवार, दीनदयाल ही क्यों? मैं तो बीजेपी सरकार से बोलता हूँ कि सावरकर और गोडसे को पढ़ाएँ जिससे पता चले कि सावरकर ने कितनी बार अंग्रेजों को माफ़ीनामे लिखे और गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की हत्या की।’
आज के गांधी को थोड़े ही शामिल करेंगे: बीजेपी
एमबीबीएस विद्यार्थियों से जुड़े तमाम विवाद के बीच खजुराहो से सांसद और मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष विष्णु दत्ता शर्मा ने तंज कसते हुए कहा, ‘बीजेपी के लिए जो आइडियल हैं, वो ज़रूर आयेंगे। जो कांग्रेस के आइडियल हैं, असली गांधी ज़रूर सम्मिलित हैं, लेकिन आप कहें कि आज के गांधियों को शामिल कर लिया जाये तो देश जानता है कि इन्होंने भारत के लिये क्या किया है?’
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