मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफ़ा देने के बाद पैदा हुए सियासी संकट के बीच राज्य सरकार, राज्यपाल और विधानसभा स्पीकर के बीच लेटर वॉर चल रहा है। विधानसभा स्पीकर एन.पी.प्रजापति की ओर से राज्यपाल को लिखे खत में बाग़ी विधायकों को सुरक्षा दिये जाने की मांग की गई थी। इस पर राज्यपाल ने बुधवार को स्पीकर को जवाबी खत लिखा है। खत में राज्यपाल ने कहा है, ‘मैं विधायकों की अनुपस्थिति के कारण उनकी सुरक्षा के संबंध में आपकी (स्पीकर) चिंता की प्रशंसा करता हूं। आप इस संबंध में बीते 8-10 दिनों से जिस पीड़ा से गुजर रहे होंगे, उसका भी मुझे अंदाजा है।’
राज्यपाल ने खत में आगे लिखा है, ‘आपने (स्पीकर) अपने पत्र में मुझसे कुछ प्रश्नों के उत्तर की अपेक्षा की है। यह अपेक्षा किस नियमावली के अंतर्गत की गई है, उसे मुझे भेजने का कष्ट करें।’
बाग़ी विधायकों ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा था कि उन पर किसी तरह का दबाव नहीं है। बाग़ी विधायकों ने एक सुर में कहा था कि वे बंधक नहीं हैं और स्वेच्छा से बेंगलुरू आये हैं। बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि वे अभी बीजेपी में शामिल नहीं हुए हैं और इस बारे में विचार करेंगे।
बाग़ी विधायकों के मसले पर भी राज्यपाल ने अपने खत में बात की है। राज्यपाल ने लिखा है, ‘तथाकथित लापता विधायकों से आपको और मुझे लगातार पत्र प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने अपने किसी भी पत्र में जहां पर भी वे वर्तमान में हैं, अपनी ओर से कोई समस्या व्यक्त नहीं की है। उनके पत्र एवं वीडियो लगातार समाचार पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया में आ रहे हैं और अब वे सर्वोच्च न्यायालय भी पहुंच गये हैं।’
राज्यपाल ने लिखा है, ‘प्रदेश के सभी नागरिकों की सुरक्षा का दायित्व कार्यपालिका का है और आप कार्यपालिका से ही विधायकों की सुरक्षा की अपेक्षा करते होंगे लेकिन ऐसा लगता है कि ग़लती से यह पत्र आपने मुझे भेज दिया है।’
इस पूरे लेटर वॉर के बीच मध्य प्रदेश की सत्ता को बचाने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जा रही है।
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