भाजपा ने सोमवार को आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है। पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने इस सूची में 39 नामों को अपनी मंजूरी दी है। इस सूची की खास बात यह है कि इसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों को टिकट दिया गया है।
इसका मतलब यह हुआ कि भाजपा इन तीन केंद्रीय मंत्रियों को अब विधानसभा चुनाव लड़ाने जा रही है। पार्टी के इस फैसले का कई राजनीतिक मतलब निकाला जा रहा है। ये तीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल ,निवास से फग्गन सिंह कुलस्ते हैं जिन्हें क्रमशः दिमनी, नरसिंहपुर और निवास सीट से चुनावी मैदान में भाजपा उतारेगी। वहीं भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर -1 सीट से टिकट दिया गया है।
भाजपा ने अपनी इस दूसरी सूची में सांसद गणेश सिंह को सतना, रीति पाठक को सीधी सीट और उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा सीट से टिकट दिया है। भाजपा की इस दूसरी सूची में छह महिला उम्मीदवार, अनुसूचित जनजाति के 10 और अनुसूचित जाति वर्ग के 4 उम्मीदवार शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्रियों के अतिरिक्त भाजपा अपने जिन चार सांसद को विधानसभा चुनाव लड़ा रही है, उनमें जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह, सतना से गणेश सिंह, सीधी से रीति पाठक और गाडरवारा से उदय प्रताप सिंह को टिकट दिया गया है। इस तरह से भाजपा ने कुल सात सांसदों के टिकट दिया है।
इससे पहले भाजपा ने अगस्त में उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। मध्य प्रदेश में आयी ग्राउंड रिपोर्ट और सर्वेक्षणों ने सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर का संकेत दिया है। यही कारण है कि भाजपा इस चुनाव में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। पार्टी ने अपनी इस दूसरी सूची में कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को इसलिए ही जगह दी है ताकि उनके कद और प्रभाव का फायदा उस सीट के साथ ही आसपास की दूसरी सीटों पर भी पार्टी को मिले।
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इन 39 में से 36 सीटें 2018 में हार चुकी है भाजपा
सोमवार को भाजपा ने अपनी दूसरी सूची मेें जिन 39 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है उसमें से 36 ऐसी सीटें हैं जिसे पार्टी 2018 के चुनाव में हार चुकी है। इनमें से मात्र तीन सीट ही भाजपा के कब्जे में रही थी। भाजपा ने इस सूची में काफी सोच विचार कर उम्मीदवारों का चयन किया है।माना जा रहा है कि ये वैसी सीटें हैं जहां पार्टी कमजोर है। ऐसे में अगर इन सीटों पर 2018 वाला इतिहास दुहराया जाता है पार्टी के लिए दुबारा मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी मुश्किल हो सकती है। यही कारण है कि पार्टी यहां फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
भाजपा ने इस चुनाव में मैहर सीट से नारायण त्रिपाठी, सीधी सीट से केदारनाथ शुक्ला और नरसिंहपुर सीट से जालम सिंह पटेल का टिकट काटा है। इसमें से केदारनाथ शुक्ला पर पिछले दिनों कांग्रेस हमलावर थी। सीधी में पेशाब कांड के बाद कांग्रेस आरोपी युवक को उनसे जुड़ा हुआ होने का आरोप लगाती रही है।
इस सीट पर भाजपा ने सांसद रीति पाठक को अपना प्रत्याशी बनाया है।राजनैतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि सीधी पेशाब कांड के कारण ही केदारनाथ शुक्ला का टिकट काटा गया है। वह इस सीट से पार्टी के मजबूत प्रत्याशी माने जा रहे थे लेकिन उनका टिकट काटा जाना पार्टी का चौंकाने वाला निर्णय माना जा रहा है।
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पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे का टिकट काटा गया
भाजपा उम्मीदवारों की इस दूसरी सूची में सात पूर्व विधायकों के भी नाम हैं। इस बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे और 2018 में ग्वालियर जिले की भितरवार सीट से भाजपा प्रत्याशी रहे अनूप मिश्रा को टिकट नहीं मिला है। भाजपा ने इस बार इस सीट पर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मोहन सिंह राठौर को चुनावी मैदान में उतारा है।वहीं करैरा विधानसभा सीट से सिंधिया समर्थक जसवंत जाटव को टिकट नहीं दिया है। 2018 में वह कांग्रेस विधायक चुने गए थे। वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन 2020 का चुनाव हार गए थे। दूसरी ओर सिंधिया समर्थक रघुराज कंसाना को मुरैना से, इमरती देवी को डबरा से और मोहन सिंह राठौर को भितरवार सीट से टिकट मिला है। पार्टी ने इस सूची में कई सिंधिया समर्थकों को विधानसभा का टिकट देकर सिंधिया खेमे को खुश करने की कोशिश की है। पार्टी को भरोसा है कि सिंधिया गुट के ये पूर्व कांग्रेसी इस बार इन सीटों पर पार्टी को जीत दिला सकते हैं।
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