मध्य प्रदेश को शिवपुरी ज़िले से शर्मसार करने वाली फिर एक तसवीर सामने आयी है। प्रवासी मज़दूरों के साथ पहले राजस्थान सरकार ने संगदिली दिखाई। मध्य प्रदेश में प्रवेश किया तो शिवराज सरकार के दावे हवाई साबित होते नज़र आए। लू के थपेड़ों और क़रीब 45 डिग्री के तापमान के बीच मजबूर मज़दूरों को सीमा पर बने शौचालयों में दिन बिताना पड़ा।
मामला राजस्थान के बाराँ और मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले स्थित सीमा का है। लॉकडाउन के बीच राजस्थान सरकार की बसें प्रवासी मज़दूरों को मध्य प्रदेश की सीमा पर छोड़कर वापस लौट रही हैं। चूँकि मध्य प्रदेश सरकार का आदेश है कि उसकी सीमा में कोई भी मज़दूर पैदल, साईकिल अथवा गैरवाज़िब सफर नहीं करेगा, लिहाज़ा सीमा पर मज़दूरों को रोक दिया जाता है। आगे का सफर इन्हें बस से कराया जाता है।
सोमवार तड़के क़रीब तीन बजे मध्य प्रदेश की सीमा पर मज़दूरों को छोड़ा गया था। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सीमा पर इन्हें ठहराने और खाने-पीने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। मज़दूरों ने जैसे-तैसे रात तो आसमान के नीचे काट ली थी, लेकिन दिन होते ही इनकी परेशानियाँ बढ़ गईं।
साथ लाये राशन और संसाधनों के ज़रिये मज़दूरों ने सार्वजनिक शौचालयों की दीवारों से लगी छाँव में खाना पकाया। चूँकि धूप बेहद थी और लू चल रही थी, लिहाज़ा मज़दूरों ने खाना शौचालय के भीतर ही बैठकर खाया। कई लोगों ने शौचालयों के सामने गली में ही लेटकर अपनी थकान मिटाई।
भनक लगते ही मीडिया मौक़े पर पहुँच गया। मज़दूरों से उनकी कठिनइयों से जुड़ा पूरा ब्यौरा लिया। मौक़े पर मौजूद पुलिस और अन्य कर्मचारी मज़दूर परिवारों के अलावा मीडिया से कहते रहे, बसें जल्दी आ जाएँगी। क्षेत्र के एसडीएम को सूचना भेजने की बात भी उन्होंने कही। मज़दूरों का जमावड़ा सीमा पर लगा रहा। देर शाम बसें पहुँची। इसके बाद लाचार और बेबस मज़दूरों को आगे का सफर शुरू हो पाया।
सीएम ऑनलाइन थे तो हुई थी शानदार आवभगत
इसी सीमा पर दो सप्ताह पहले शिवपुरी ज़िला प्रशासन ने अभूतपूर्व इंतज़ाम किए थे। कोटा की शिक्षण संस्थाओं में कोचिंग करने वाले मध्य प्रदेश के विद्यार्थी लौटे थे। सरकार की पहल पर इन्हें मध्य प्रदेश वापस लाया गया था। कोटा से लौटे विद्यार्थियों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ऑनलाइन बात की थी। ज़िले की कलेक्टर ने बच्चों की सीएम से सीधी बात कराई थी। ज़िले के अधिकांश आला अफ़सर यहाँ मौजूद रहे थे। बच्चों को सीमा पर रुकवाने और खिलाने-पिलाने से लेकर उनकी स्क्रीनिंग की चाक-चौबंद व्यवस्थाएँ की गई थीं।
कांग्रेस आरोप लगा रही है कि मध्य प्रदेश की सरकार और अफ़सर इसी तरह का दिखावा कर रहे हैं। मजलूम मज़दूरों की सुध तभी ली जा रही है, जब मुख्यमंत्री या कोई बड़ा नेता ऑनलाइन अथवा मौक़े पर मौजूद हो। बाक़ी वक़्त मज़दूरों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया जा रहा है।
शौचालय में क्वॉरंटीन किया था
शिवपुरी ज़िले से पहले भी एक मज़दूर परिवार को शौचालय में क्वॉरंटीन किए जाने की शिकायत सामने आ चुकी है। बाद में उस तसवीर पर ख़ूब विवाद हुआ और राजनीति हुई थी। सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसियों ने सरकार को बदनाम करने के लिए पूरा मामला रचा था। जाँच भी बैठी थी। जाँच की रिपोर्ट अभी आना बाक़ी है।
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