मध्य प्रदेश के हनी ट्रैप कांड में सनसनीखेज़ ख़ुलासों का दौर तेज है। गैंग से मिले चार हज़ार से ज़्यादा वीडियो और ऑडियो रिकार्डिंग में एक केंद्रीय मंत्री के बेटे के भी कुछ वीडियो सामने आये हैं। यह भी मालूम हुआ है कि गैंग ने वीडियो वायरल करने का भय दिखाकर केंद्रीय मंत्री से काफ़ी मोटी रकम वसूली। उधर, हनी ट्रैप से जुड़े सुरागों को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस दो फाड़ हो गई है। डीजी स्तर के एक अफ़सर ने मामले में चरित्र हनन का आरोप लगाते हुए मध्य प्रदेश के डीजीपी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ हर दिन हनी ट्रैप कांड की समीक्षा कर रहे हैं। मामले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी के चीफ़ संजीव शमी और उनकी टीम के मुख्य सदस्य पूरे मसले से जुड़ी जांच की पल-पल की सूचनाएं मुख्यमंत्री से शेयर कर रहे हैं।
गैंग की एक सदस्य गवाह बन गई है। अन्य अभियुक्तों ने भी अपने कई ‘गुनाह’ एसआईटी जांच दल के सामने कबूल कर लिये हैं। इससे उन नेताओं और अफ़सरों में भारी हड़कंप है, जो इस गैंग के ‘नियमित ग्राहक’ और अय्याशी के बाद ‘शिकार’ रहे हैं।
सूत्रों ने बताया है कि तमाम बरामद अश्लील वीडियो में कुछ वीडियो एक केंद्रीय मंत्री के बेटे के भी मिले हैं। गिरोह की सदस्य के साथ हम बिस्तर होते ये वीडियो अलग-अलग जगहों के हैं। कुछ होटलों के हैं तो कुछ घरों में बने हैं। कुछ वीडियो ट्रेन में भी शूट हुए हैं। मिले वीडियो से स्पष्ट है कि गैंग ने बेहद चतुराई से केंद्रीय मंत्री के बेटे को अपने जाल में फांसकर अपने कृत्य को अंजाम दिया है। पड़ताल में यह भी सामने आ रहा है कि वीडियो की एवज में गैंग ने बेटे और केंद्रीय मंत्री को जमकर ब्लैकमेल किया है।
बताया जाता है कि मोटी रकम देकर जैसे-तैसे केंद्रीय मंत्री ने अपना और बेटे का पीछा गैंग से छुड़वाया था। एसआईटी सभी वीडियो की फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट आने का इंतजार कर रही है।
उधर, इस पूरे मामले को लेकर मध्य प्रदेश की साइबर सेल के स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा ने राज्य के पुलिस महानिदेशक विजय कुमार सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। शर्मा का आरोप है कि डीजीपी, अपने ही मातहत सीनियर अधिकारियों के चरित्र हनन पर आमादा हो गये हैं। संकेतों में उन्होंने यहां तक कह दिया है कि हनी ट्रैप कांड में मातहतों को फंसाने की साज़िश रची जा रही है।
दरअसल, साइबर सेल ने यूपी के ग़ाज़ियाबाद में एक घर किराये पर लिया था। हनी ट्रैप कांड सामने आने के बाद इस घर को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने न केवल तीख़ी आपत्तियां जताई हैं, बल्कि घर खाली भी करवा दिया है। पुलिस मुख्यालय के कुछ सूत्रों ने संकेत दिये हैं कि हनी ट्रैप में कथित तौर पर घर का उपयोग होने की वजह से एक्शन हुआ है।
मध्य प्रदेश साइबर सेल के मुखिया पुरूषोत्तम शर्मा इस पूरी कार्रवाई से भड़के हुए हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश आईपीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष को एक खत लिख डाला है। शर्मा ने खत में लिखा कि डीजीपी सिंह उनके चरित्र हनन पर आमादा हैं। शर्मा ने खत में लिखा, ‘डीजीपी सिंह, पुलिस विभाग और उसके अफ़सरों की छवि ख़राब कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। सिंह के कृत्य की एसोसिएशन को निंदा करना चाहिए। ताकि आगे से कोई इस तरह विभाग के अफ़सरों की छवि धूमिल करने का दुस्साहस ना कर सके।’ पुरूषोत्तम शर्मा इस पूरे मामले को गृहमंत्री और मुख्यमंत्री के सामने भी लेकर गये हैं।
पुलिस के आला अफ़सरों ने मीडिया से कहा कि जांच के लिए दिल्ली जाने वाले हेड कांस्टेबल और कांस्टेबलों के ठहरने के लिए 10 दिन पहले एक फ़्लैट किराये पर लिया गया है। इसे गेस्ट हाउस बनाया गया था और इसकी सूचना डीजीपी को दी गई थी। फ़्लैट को हनी ट्रैप से जोड़ना और दुष्प्रचार करना दुर्भाग्यपूर्ण है। पुरूषोत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने आईपीएस एसोसिएशन को पत्र लिखकर डीजीपी के कृत्य की निंदा का प्रस्ताव पारित करने का अनुरोध किया है। चरित्र हनन का प्रयास अनुचित है।
इसे लेकर डीजीपी विजय कुमार सिंह ने कहा कि इस विषय में वह ज़्यादा नहीं कहना चाहते। लेकिन उन्होंने इतना ज़रूर कहा कि मीडिया में प्रकाशित हुई (हनी ट्रैप और फ़्लैट से जुड़ी मीडिया में आयी कहानी की ओर इशारा) जानकारी ग़लत नहीं है।
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मेरे पास डीजी पुरूषोत्तम शर्मा का कोई पत्र फिलहाल नहीं पहुंचा है। जब मिलेगा, उसके बाद ही पता चलेगा कि पत्र में क्या लिखा गया है।
विजय यादव, अध्यक्ष - मप्र आईपीएस एसोसिएशन
एनजीओ को एक करोड़ की फ़ंडिंग!
यह भी ख़ुलासा हुआ है कि नोटबंदी के दौरान भी एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हनीट्रैप गैंग पर मेहरबान थे। उन्होंने भोपाल की अभियुक्त महिला के पति के एनजीओ को एक करोड़ की फ़ंडिंग की थी। यह रिटायर्ड अफ़सर मध्य प्रदेश की बेहद चर्चित और भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त आईएएस दंपति के बैचमेट हैं। शिक्षा विभाग से जुड़े एक पूर्व मंत्री की पत्नी की भी बर्खास्त आईएएस दंपति से रिश्तेदारी है। महिला के पति के एनजीओ में इन्हीं पूर्व मंत्री की पत्नी की पार्टनरशिप है।
अब तक की जांच में यह भी सामने आया है कि मामले में अभियुक्त महिलाएं 2013 से 2016 तक अधिकांश समय दिल्ली में मौजूद थीं। दिल्ली में रहकर उन्होंने हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और यूपी सहित दूसरे राज्यों के कई राजनेताओं और अफसरों को अपना शिकार बनाया।
‘दोषियों का जुलूस निकाला जाये’
मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग (आईएएस की पदस्थापनाएं यही विभाग करता है) के मंत्री (जीएडी मिनिस्टर) गोविंद सिंह ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा है कि हनी ट्रैप में जिन अफ़सरों के नाम आ रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए। इनका सार्वजनिक जुलूस भी निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘विभाग को जैसे ही नाम मिलेंगे, आरोपी अफ़सरों को सबसे पहले लूप लाइन में भेजा जायेगा। आरोप सिद्ध हो जाने पर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को विभाग नौकरी से बाहर करने की कार्रवाई भी करेगा।’
सीबीआई को केस सौंपे सरकार: नेता प्रतिपक्ष
मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पूरा मामला सीबीआई को सौंपने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि कई राज्यों के तार इस मामले से जुड़े होने की जानकारियां एसआईटी की जांच में सामने आ चुकी हैं। मध्य प्रदेश पुलिस अपने बूते पर दूसरे सूबों की जांच नहीं कर सकेगी। दूसरे राज्यों की कितनी मदद मिलती है, यह भी देखने वाली बात होगी। ऐसे में मामला सीबीआई को सौंप देने से दोषियों को सजा देना आसान होगा।
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हनी ट्रैप जैसे कांड राष्ट्रीय स्वयं संघ के स्वयं सेवकों के अविवाहित होने की वजह से बढ़ रहे हैं। आरएसएस के लोग शादी करना आरंभ कर दें तो ऐसे मामले बेहद कम हो जायेंगे।
माणक अग्रवाल, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस
माणक अग्रवाल ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश के हनी ट्रैप मामले में संघ के कई स्वयं सेवकों की भूमिकाएं भी सामने आने जैसे हालात बन गये हैं। जांच दल को मामले में ऐसे लोगों (संघ के स्वयं सेवकों) की भूमिका मिल रही है।
माणक मानसिक रूप से बीमार: बीजेपी
माणक अग्रवाल के बयान की जोरदार निंदा करते हुए मध्य प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता राहुल कोठारी ने कहा, ‘माणक अग्रवाल मानसिक तौर पर बीमार हैं। ऐसे ही उल-जुलूल बयानों की वजह से मध्य प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें मीडिया सेल के चेयरमैन पद से हटा दिया था। कांग्रेस ने कोई काम उन्हें नहीं दिया हुआ है। लाइम लाइट में आने के लिए वह बेतुके बयान दे रहे हैं।’
इस बीच एक सुगबुगाहट यह भी है कि हनी ट्रैप मामले में जांच को लेकर डीजीपी विजय कुमार सिंह की कार्यप्रणाली से सीएम नाख़ुश हैं। कहा जा रहा है कि डीजीपी ने सरकार को विश्वास में लिये बग़ैर 24 घंटे में चीफ़ को अपने ही स्तर पर बदल दिया। सीएम ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव एसएन मिश्रा से भी पूरे मामले की जानकारी ली थी। उन्होंने बताया कि चीफ़ को बदले जाने की सूचना उन्हें पुलिस मुख्यालय ने नहीं दी है।
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