मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी की ज़मानत याचिका खारिज कर दी है। फ़ारूकी को 1 जनवरी को हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने हिन्दू देवी-देवताओं और गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की थीं।
क्या कहा अदालत ने?
'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, अदालत ने अपने फ़ैसले में टिप्पणी की है, "अब तक के साक्ष्यों से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने एक स्टैंड-अप कॉमेडी शो के दौरान नागरिकों के एक वर्ग की भावनाओं को आहत करने के लिए ग़लत, फ़र्जी और अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं।"
इसमें यह भी कहा गया है कि शिकायतकर्ता के वकील ने कहा है कि "याचिकाकर्ता हिन्दू देवी-देवताओं, ख़ास कर भगवान श्री राम और सीता के बारे में सोशल मीडिया पर पिछले 18 महीनों से अभद्र टिप्पणियाँ कर रहे हैं।"
इसके पहले सोमवार को सुनवाई के दौरान जज जस्टिस रोहित आर्य ने मुनव्वर फ़ारूक़ी से पूछा था,
“
"आप किसी की धार्मिक भावनाओं को क्यों आहत करते हैं? आपकी मानसिकता में क्या समस्या है? आप व्यावसायिक मक़सद से ऐसा कैसे कर सकते हैं?"
जस्टिस रोहित आर्य, जज, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट
बीजेपी विधायक के बेटे की शिकायत
मुनव्वर फ़ारूकी को स्थानीय बीजेपी विधेयक के बेटे की शिकायत पर पुलिस ने गिरफ़्तार किया था। फ़ारूकी के अलावा कार्यक्रम के 4 आयोजकों को भी गिरफ़्तार किया गया था। बाद में आयोजकों में से एक का भाई जब उससे मिलने थाना गया तो पुलिस ने उसे भी गिरफ़्तार कर लिया था।
क्या है मामला?
इंदौर की महापौर और स्थानीय विधायक विधायक मालिनी गौड़ के पुत्र एकलव्य गौड़ की शिकायत पर इंदौर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए कॉमेडियन फ़ारुक़ी और चार अन्य स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया था।इस मामले में पुलिस अदालत में कह चुकी है कि फ़ारूक़ी के ख़िलाफ़ कोई सबूत उसके पास नहीं है। इसके बावजूद वह ज़मानत याचिका का विरोध करती है, उसका कहना है कि जम़ानत मिलने से शहर में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
एकलव्य और उनके साथी एक जनवरी को शो देखने के लिए पहुँचे थे। कॉमेडियन और आयोजकों के साथ एकलव्य एवं उनके साथियों की जमकर बहस भी हुई थी।
एकलव्य और उनके साथियों ने शो को रुकवा दिया था। आरोप तो यह भी रहा था कि विरोध करने वालों ने कॉमेडियन फ़ारुक़ी के साथ मारपीट भी की।
उधर मुनव्वर फ़ारुक़ी की ओर से पैरवी कर रहे वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने सेशन कोर्ट में याचिका लगाई थी। अपनी याचिका में मुनव्वर फ़ारुक़ी और नलिन यादव पर लगायी गई भारतीय दंड विधान की धारा 295 और 188 पर सवाल उठाये गये हैं। एफ़आईआर पूरी तरह से अस्पष्ट है।
वर्ग विशेष की भावनाएँ आहत करने को लेकर मामला दर्ज किया गया है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि मुनव्वर फ़ारुक़ी ने देवी-देवताओं को लेकर ऐसे कौन से शब्दों और वाक्यों का उपयोग किया जिससे भावनाएँ आहत हुईं?
याचिका में भारतीय संविधान के तहत मिले 91ए के अधिकार का ज़िक्र करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ कथित टिप्पणियों पर अन्य लोगों द्वारा आपत्तियाँ उठाने पर भी सवाल खड़े किये गये हैं।
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