मध्य प्रदेश की आठ महीने पुरानी कांग्रेस सरकार और उसके मुख्यमंत्री कमलनाथ को ‘उनके अपनों’ ने ‘गहरे संकट’ में डाल रखा है। सूबे में पिछले दस-बारह दिनों से कांग्रेसी अपने ही पाले में ‘गोल’ मारने पर ‘आमादा’ नज़र आ रहे हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस और उसकी सरकार में अंदर ही अंदर ‘असंतोष’ का लावा तो लंबे वक़्त से खदबदा रहा था, लेकिन अब आपसी खींचतान और गुटबाज़ी पूरी तरह से सतह पर आ गई है। हालात बेकाबू होते नज़र आ रहे हैं। कमलनाथ सरकार में मंत्री उमंग सिंघार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ खुलकर मोर्चा खोल देने से पार्टी बेहद चिंतित है।
'दिग्विजय के ख़िलाफ़ आक्रोश व्यक्तिगत'
मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के चेताने के बाद उमंग सिंघार बुधवार को मीडिया के सामने प्रकट हुए। अपने निवास पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने दिग्विजय सिंह को शराब और खनन माफ़िया बताने वाले अपने बयान पर माफ़ी तो नहीं मांगी, बस इतना भर कहा, ‘सिंह के ख़िलाफ़ आक्रोश व्यक्तिगत है और पार्टी से इसका कोई लेना-देना नहीं है। मुख्यमंत्री नाथ और प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया से मंगलवार देर शाम चर्चा हुई है और पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया है। इससे ज़्यादा मुझे कुछ नहीं कहना है।’उमंग सिंघार की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मध्य प्रदेश कांगेस कमेटी की मीडिया सेल की चेयरपर्सन शोभा ओझा भी मौजूद रहीं। उन्होंने भी कहा, ‘पूरा मामला ख़त्म हो चुका है। कमलनाथ जी मजबूत हैं, सरकार को कोई ख़तरा नहीं है। ना ही किसी तरह का संवैधानिक संकट है।’ एक सवाल के जवाब में शोभा ओझा ने कहा, ‘बीजेपी अपना घर देखे। कांग्रेस से ज़्यादा गुटबाज़ी बीजेपी में है। पन्द्रह सालों के संघर्ष के बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। हरेक कांग्रेसी इस बात को जानता है। राजनीति में नाराजगी स्थायी नहीं हुआ करती। सभी को पार्टी फ़ोरम पर बात करने का मशविरा संगठन ने दिया है। हम बीजेपी को कोई मौक़ा नहीं देंगे।’
सिंघार का पुतला फूंका
उमंग सिंघार की प्रेस कॉन्फ़्रेंस ख़त्म होते ही उनके बंगले के बाहर भारी हंगामा हुआ। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव सुबोध जैन की अगुवाई में पहुंचे कांग्रेसियों ने सिंघार का पुतला फूंका। सुनियोजित तरीक़े से आये इन कांग्रेसियों को लेकर पुलिस कुछ समझ पाती, इससे पहले ही पूरा घटनाक्रम हो गया। प्रदर्शनकारियों ने दिग्विजय सिंह के समर्थन में जमकर नारे भी लगाए। मौक़े पर मौजूद ओझा से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे बीजेपी की कारिस्तानी करार दिया।
उधर, मीडिया के सवालों के जवाब में सुबोध जैन ने कहा, ‘वरिष्ठ नेताओं के ख़िलाफ़ अनर्गल बयानबाज़ी बर्दाश्त नहीं की जायेगी। कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उमंग सिंघार को बिना देर किए पार्टी से बाहर करना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने स्वयं को दिग्विजय सिंह का समर्थक होने के बजाय कांग्रेस समर्थक बताया।
प्रदर्शनकारियों का कहना था, ‘उमंग सिंघार को सबसे पहले मंत्री पद से हटा दिया जाना चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा कि वे सिंघार का कोई भी कार्यक्रम प्रदेश में नहीं होने देंगे और हर जगह उन्हें काले झंडे दिखाए जायेंगे।
दिग्विजय सिंह के ख़त ने लगाई ‘आग’
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पिछले सप्ताह कमलनाथ सरकार के सभी मंत्रियों को एक ख़त लिखकर वक़्त मांगा था। छह-सात लाइनों के अपने ख़त में दिग्विजय सिंह ने तबादलों सहित तमाम जनहित के विषयों से जुड़े अपने उन पत्रों के लिए मंत्रियों से मुलाक़ात करने की इच्छा जताई थी, जिनमें मंत्रियों से काम करने का अनुरोध करने के बावजूद ना तो काम हुए और ना ही कोई जवाब दिया गया।
दिग्विजय के इसी ख़त के बाद उमंग सिंघार बिफरे थे। उन्होंने पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को तीख़े ख़त लिखे। फिर मीडिया से कहा, ‘ख़ुद को प्रदेश की राजनीति से दूर बताने वाले दिग्विजय सिंह परदे के पीछे से सरकार चलाने का प्रयास कर रहे हैं। सत्ता की मलाई खाने को आतुर हैं।’ सिंघार ने संकेतों में यह भी कहा था, ‘इस तरह की गंध को मध्य प्रदेश में फैलने से रोकना चाहिए।’
मंगलवार को सिंघार के उस बयान पर भारी बवाल मचा जिसमें सिंघार ने दिग्विजय सिंह के तार शराब और खनन माफ़िया से जुड़े होने का दावा किया।
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कैबिनेट मंत्री का बयान बेहद अहम है। उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। यदि सिंघार सही हैं तो सरकार दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ एक्शन ले और यदि वह गलत हैं तो सिंघार के विरूद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए।
कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय महासचिव, बीजेपी
जमुना देवी के भतीजे हैं सिंघार
दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ खुलकर मैदान में आने वाले उमंग सिंघार पूर्व उपमुख्यमंत्री स्वर्गीय जमुना देवी के भतीजे हैं। जमुना देवी, दिग्विजय सिंह की सरकार में उपमुख्यमंत्री हुआ करती थीं। जमुना देवी का एक बयान कि ‘मैं दिग्विजय सिंह के तंदूर में जल रही हूं’ बेहद चर्चा में रहा था।
जमुना देवी ने यह बयान दिग्विजय सिंह की सरकार में रहते हुए ही दिग्विजय के ख़िलाफ़ दिया था। चर्चित नैना साहनी तंदूर कांड के बाद जमुना देवी द्वारा दिया गया यह बयान देश भर की मीडिया की सुर्खियां बना था। अब दिग्विजय के ख़िलाफ़ सिंघार की बयानबाज़ी मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है।
बता दें कि मध्य प्रदेश की गुटीय राजनीति में उमंग सिंघार ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट से आते हैं। उनकी दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ तमाम बयानबाज़ी और ‘दुस्साहस’ को इस समीकरण से जोड़कर ही देखा जा रहा है।
पूरे प्रकरण को लेकर बुधवार को दी गई अपनी प्रतिक्रिया में सिंधिया ने सिंघार की बयानबाज़ी को न केवल जायज क़रार दिया बल्कि मुख्यमंत्री कमलनाथ को मशविरा दिया कि वह दोनों पक्षों (दिग्विजय सिंह और उमंग सिंघार) को साथ बैठाकर मामले को ‘सुलझाएँ।
कमलनाथ ने दी दो टूक नसीहत
दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उमंग सिंघार को तलब किया था। मंगलवार देर शाम दोनों के बीच चर्चा हुई। बताते हैं कि नाथ ने सिंघार को सरकार और पार्टी को मुश्किल में डालने वाली बयानबाज़ी से बाज़ आने की सलाह दी है। जानकारी के मुताबिक़, नाथ ने उमंग से कहा है, ‘जो कुछ कहना है, सीधे मुझसे या संगठन के आला पदाधिकारियों से कहें। सार्वजनिक और मीडिया में बात करने की ज़रूरत नहीं है।’ नाथ की इस कथित नसीहत के बाद बुधवार को सिंघार ने पूरे मामले का पटाक्षेप हो जाने का दावा मीडिया के बीच किया।
पूरी ‘फ़ॉर्म’ में हैं सिंधिया
महाराष्ट्र का प्रभार मिलने के बाद ख़ासे खिन्न वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पूरी ‘फ़ॉर्म’ में हैं। मध्य प्रदेश प्रवास पर पहुंचे सिंधिया ने पिछले दो दिनों में दो विषयों पर ना केवल तीख़ी नाराज़गी जताई है, बल्कि सड़क पर उतरने की चेतावनी भी दे दी है। अवैध उत्खनन को लेकर उन्होंने कहा, ‘चुनाव में अवैध उत्खनन को मैंने बीजेपी के ख़िलाफ़ मुख्य मुद्दा बनाया था। अवैध उत्खनन आज भी पूरे चरम पर है। यह नहीं रुका तो मुझे एक बार फिर सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’
इसके अलावा सिंधिया ने किसानों की कर्जमाफी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘किसानों की कर्जमाफ़ी सही तरह से नहीं हुई तो वह स्वयं आंदोलन करेंगे।’ यहां बता दें कि कर्जमाफ़ी को लेकर नाथ सरकार को बीजेपी लगातार घेर रही है। सदन के साथ सड़क पर भी बीजेपी ने मोर्चा खोला हुआ है।
कमलनाथ की परेशानी केवल दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया भर नहीं हैं। सरकार और संगठन में ‘अराजकता’ का आलम हर तरफ़ है। वरिष्ठ मंत्री ऐसे सुर आलाप रहे हैं, जिससे सरकार की मुश्किलें निरंतर बढ़ रही हैं। मंत्री पद के दावेदार विधायकों ने भी सरकार पर दबाव बनाया हुआ है।
मंत्री पद के दावेदार राज्यवर्धन सिंह और हीरालाल के दबाव में मंगलवार रात को आनन-फानन में धार जिले के आबकारी अधिकारी को सरकार को हटाना पड़ा। इस आबकारी अधिकारी को हटाने का जबरदस्त दबाव उमंग सिंघार का भी था। सिंघार ने दिग्विजय सिंह के लोगों पर अवैध शराब के कारोबार में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए इसी आबकारी अधिकारी को निशाने पर लिया था।
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