खरगोन में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने रामनवमी के जुलूस पर पत्थर फेंकने वालों के मकानों को बीते दिनों में बुलडोजर से गिरा दिया है। इसमें एक ऐसे मकान को भी गिरा दिया गया है जो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना था। खरगोन के जिला प्रशासन ने खसखसबाड़ी व कुछ अन्य इलाकों में मकानों को गिराए जाने की कार्रवाई की थी। खसखसबाड़ी में ऐसे 12 घरों को गिराया गया था।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बिड़ला मार्ग पर बना एक मकान हसीना फखरू का था। उनके पति को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यह मकान मिला था।
बता दें कि खरगोन में रामनवमी पर निकले जुलूस के बाद दो समुदाय आमने-सामने आ गए थे और हिंसा हुई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि रामनवमी के जुलूस पर पत्थर फेंकने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
60 साल की हसीना ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सोमवार सुबह नगर पालिका के कर्मचारी बुलडोजर के साथ आए, उन्हें धक्का देकर बाहर निकाला और कुछ ही मिनटों में उनका घर गिरा दिया। हसीना के परिवार में उनके अलावा 7 लोग हैं जिसमें 5 लड़के और 2 लड़कियां हैं। उनके बेटे अमजद खान ने कहा कि वे लोग 30 सालों से इस इलाके में एक प्लॉट में रह रहे थे।
उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि साल 2020 तक वे लोग कच्चे घर में रहते थे लेकिन उसके बाद प्रधानमंत्री आवास योजना से स्वीकृति मिली और हमने पक्का घर बना लिया। वह बताते हैं कि उन्हें सरकार से मकान के लिए ढाई लाख रुपए मिले।
अमजद के पास मकान की प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद भी है। जब नया घर मिला था तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उन्हें बधाई दी थी।
परिवार के मुताबिक, हसीना को 7 अप्रैल को एक नोटिस मिला था जिसमें उनसे कहा गया था कि वह 3 दिन के भीतर घर के मालिकाना हक से जुड़े तमाम कागजात दिखाएं वरना घर को गिरा दिया जाएगा। इसके 3 दिन बाद ही रामनवमी पर दो समुदायों के बीच झड़प हो गई।
अमजद ने कहा कि वह सारे दस्तावेजों को लेकर शुक्रवार को जिला अदालत पहुंचे और वहां से उन्हें एक जवाबी पत्र भी मिला। लेकिन शनिवार और रविवार को सभी दफ्तर बंद थे तो ऐसे में वह इन्हें कैसे जमा करते। लेकिन सोमवार को ही नगर पालिका के कर्मचारी बुलडोजर के साथ आ गए।
सरकारी जमीन पर बना लिया मकान
इस बारे में जिलाधिकारी पी. अनुग्रह ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हसीना के परिवार को पैसा किसी दूसरे प्लॉट पर मकान बनाने के लिए दिया गया था लेकिन उन्होंने सरकारी जमीन पर मकान बना लिया। उन्होंने कहा कि यह सरकारी जमीन दो करोड़ की है और हमने सिर्फ सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया है।
जबकि अमजद ने कहा कि उन्होंने इसी प्लॉट के लिए आवेदन दिया था और इसी प्लॉट पर घर बनाने की मंजूरी मिली। उन्होंने कहा कि अगर उनके पास किसी दूसरे प्लॉट पर रहने का विकल्प होता तो वह अपनी जीवन भर की कमाई को अतिक्रमण वाले किसी प्लॉट पर क्यों खर्च करते।
रामनवमी पर निकले जुलूस के दौरान हुई पत्थरबाजी के बाद हिंदू और मुसलमान दोनों समुदायों के घरों में आग लगा दी गई थी और इसके बाद इस इलाके में काफी दिन तक कर्फ्यू लगा रहा। दंगाइयों ने कई दुकानों को भी आग लगा दी थी।
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