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मोदी के बाद अब कमलनाथ की भी मुश्किलें बढ़ाएँगे पेट्रोल-डीज़ल

कर्ज़माफ़ी की घोषणा के बाद भी किसानों को संतुष्ट नहीं कर पा रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। वचन पत्र में लोक-लुभावन वादे कर सत्ता में आने वाली कमलनाथ सरकार के सामने पेट्रोल और डीज़ल के दाम कम करने का मुद्दा सिर उठाये खड़ा है। सत्ता संभाले महीना भर होने जा रहा है, मगर पेट्रोलियम पदार्थों के दाम कम करने को लेकर सरकार ने चुप्पी साध रखी है। ग़रीब और मध्यम वर्ग इससे ख़ासा ग़ुस्से में है।

आईटी इंजीनियरिंग के बाद ख़ुद का कारोबार करने वाले ‘सिसनेनो’ के मुखिया ज़ुबेर अंसारी का कहना है, ‘मध्यम वर्ग के हितों की रक्षा की पहल कमलनाथ सरकार को सबसे पहले करनी चाहिए थी।’ वह कहते हैं, ‘कांग्रेस के नेताओं ने अपनी हर चुनावी सभा में कहा था सत्ता में आते ही पेट्रोल और डीज़ल के दाम कम करेंगे, महीना भर होने वाला है, इस बारे में मुख्यमंत्री ने अभी तक कोई पहल नहीं की है।’

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपने चुनावी वचन-पत्र में पेट्रोल और डीज़ल में राज्य सरकार के टैक्स को कम करने के साथ रसोई गैस पर भी 100 रुपये प्रति सिलिंडर की छूट ग़रीबों को देने का वादा किया है। अभी सरकार के पास पाँच साल हैं, लेकिन लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है।

डीज़ल-पेट्रोल पर कहाँ कितना वैट?

देश भर में मध्य प्रदेश दूसरा ऐसा राज्य है जहाँ पेट्रोल पर 35.78 प्रतिशत वैट वसूला जा रहा है। देश में पहली पायदान पर महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र में मुंबई, थाने और नवी मुंबई में पेट्रोल पर महाराष्ट्र की सरकार 39.12 और बाकी इलाक़ों में 38.11 फ़ीसदी वैट पेट्रोल पर जनता से वसूल रही है। इन दोनों सूबों के अलावा आंध्र प्रदेश में 35.77 और पंजाब में 35.12 प्रतिशत वेट पेट्रोल पर राज्य की सरकारें ले रही हैं। अन्य राज्यों और केन्द्र-शासित क्षेत्रों में वैट कम है। डीज़ल पर वैट के मामले में देश में मध्यप्रदेश आठवीं पायदान पर है। मध्य प्रदेश में डीज़ल पर वैट की दर 23.81 प्रतिशत है।

  • मध्य प्रदेश में प्रतिपक्ष में रहते हुए कांग्रेस, मध्यप्रदेश की तत्कालीन बीजेपी सरकार से सवाल करती थी कि वह वैट कम करके राज्य की जनता को राहत क्यों नहीं देती? अब स्थितियाँ उलट है। सत्ता में कांग्रेस और प्रतिपक्ष में बीजेपी है। वादा कांग्रेस का है कि वैट उसे घटाना है। बीजेपी सही अवसर की ताक में है। पेट्रोल और डीज़ल के दामों की कमी को लेकर बीजेपी परदे के पीछे रहते हुए आंदोलन को हवा देने की जुगत में है।

2017-18 में अतिरिक्त कमाए 2518 करोड़

मध्यप्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार ने अकेले 2017-18 में पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स और सेस से 2 हजार 518 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की थी। साल 2017-18 में सरकार का इन दो मदों से टैक्स कलेक्शन 9 हजार 350 करोड़ रुपये रहा था। साल 2014-15 में इन मदों में सरकार को 6 हजार 832 रुपये टैक्स ही मिल पाया था। टैक्स बढ़ाया तो 2015-16 में 7 हज़ार 631 करोड़ और साल 2016-17 में 9 हजार 160 रुपये की आय हुई थी।

  • बता दें कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के ठीक पहले शिवराज सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल के दामों में अपने टैक्स काटकर ढाई रुपये प्रति लीटर के हिसाब से उपभोक्ताओं को राहत दी थी। इस कटौती से प्रदेश के खज़ाने को होने वाली पेट्रोलियम उत्पादों की आय 200 करोड़ रुपया महीना कम हो गई थी। कमलनाथ सरकार यदि करों में राहत देने का निर्णय लेती है तो इस मद में मिलने वाले राजस्व के ग्राफ़ का आँकड़ा और नीचे चला जाएगा। जानकार कह रहे हैं कि खज़ाने के जो हाल हैं, उसे देखते हुए राहत बहुत जल्द मिल पाने की संभावनाएँ नहीं के बराबर हैं।

50 हजार करोड़ चाहिए, प्रावधान 5 हजार करोड़ का

प्रदेश के किसानों के दो लाख रुपये तक का बैंकों का कर्ज़ माफ़ करने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता है। खज़ाना खाली है। कमलनाथ सरकार हाल ही के विधानसभा सत्र में सेकंड सप्लीमेंट्री बजट में कई ख़र्चों में कटौती करते हुए 5 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान ही कर पायी है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है, ‘कर्ज़ फ़ी शिगूफ़ा साबित होगी। किसान ख़ुद को ठगा हुआ महसूस करेगा।’ ऑफ द रिकॉर्ड मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने स्वीकारा है, ‘फ़ील्ड में जवाब देना मुश्किल होने लगा है।’

वित्त मंत्री बोले, खज़ाने की हालत ख़स्ता

राज्य के वित्त मंत्री तरुण भनोट ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘खज़ाने के हालात बेहद ख़स्ता हैं...। मोदी सरकार ने जीएसटी का शेयर पहली तारीख़ की बजाय 20 तारीख़ को देना आरंभ कर दिया है, इससे कठिनाइयाँ और बढ़ गई हैं।’ भनोट किसानों की कर्ज़माफ़ी के लिए आवश्यक राशि जल्द जुटा लेने का भरोसा दिलाते हुए यह भी मान रहे हैं कि कई मदों में लक्ष्य के अनुरूप राजस्व इस वित्तीय वर्ष में मिल पाना मुमकिन नज़र नहीं आ रहा है। वह यह भी मान रहे हैं कि इससे आने वाले दिनों में कठिनाइयाँ बढ़ेंगी, लेकिन बनने वाले प्रतिकूल हालातों से निपट लेने का दीवा भी वह कर रहे हैं।

1200 करोड़ के बॉन्ड से कर्ज़ ले रही सरकार

शिवराज सरकार क़रीब दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ कमलनाथ सरकार को विरासत में देकर गई है। आख़िरी वक्त में रोज़मर्रा के ख़र्चे चलाने और तनख़्वाह बाँटने के लिए शिवराज सरकार ने दो हज़ार करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया था। खज़ाने के हालात अब और बदतर हैं। कमलनाथ सरकार मार्च तक का ख़र्च सुचारु रूप से चलाये जाने के लिए जोड़तोड़ कर रही है। सरकार हाल ही में 19 हजार करोड़ रुपये का सेकंड सप्लीमेंट्री बजट लेकर आयी है। इसके अलावा 1200 करोड़ रुपयों के बॉन्ड जारी करते हुए इस महीने में अलग-अलग तारीख़ों में कर्ज़ भी सरकार उठा रही है।

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संजीव श्रीवास्तव
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