मसला बेहद रोचक और चौंकाने वाला है। शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शालेय शिक्षा विभाग ने भोपाल में एक आयोजन किया था। विभाग के मंत्री और अफ़सर विदेश दौरे पर थे। इस वजह से 5 सितंबर को होने वाला राज्य स्तरीय कार्यक्रम 6 सितंबर को आयोजित किया गया।
स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री प्रभुराम चौधरी कार्यक्रम में वक़्त पर नहीं पहुंचे। उनकी लेटलतीफ़ी का शिकार कार्यक्रम के अध्यक्ष और सूबे के गवर्नर लालजी टंडन हो गये। प्रोटोकॉल है कि प्रदेश के किसी भी आयोजन में यदि महामहिम राज्यपाल के अलावा अन्य अतिथि भी होते हैं तो गवर्नर, अन्य अतिथियों के पहुंच जाने के बाद राजभवन अथवा अपने विश्राम स्थल से कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना होते हैं।
लालजी टंडन समय के बेहद पाबंद हैं। वह अपने हर कार्यक्रम में तय वक़्त पर ही पहुंचते हैं। शिक्षक दिवस के इस कार्यक्रम में अध्यक्ष की हैसियत से आमंत्रित राज्यपाल टंडन इंतजार करते रहे, कई बार उन्होंने पता करवाया। मालूम होता रहा, स्कूल शिक्षा मंत्री चौधरी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे हैं। चौधरी के पहुंचने के बाद टंडन कार्यक्रम में पहुंचे। उन्होंने अपने भाषण में लेटलतीफ़ी को लेकर शिक्षा मंत्री और नाथ सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया।
महामहिम ने संकेतों में मुख्यमंत्री कमलनाथ की भी ‘बखिया उधेड़ी। हरेक समाचार पत्र और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने राज्यपाल के ‘आक्रोश’ को ही अपनी हेडलाइन बनाया। सरकार की जमकर भद पिटी। एक सुगबुगाहट यह भी रही कि विभाग ने राज्यपाल को अध्यक्षता के लिए आमंत्रित करते वक़्त बताया था कि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भी शामिल रहेंगे। आयोजन में मुख्यमंत्री के ना आने पर भी राज्यपाल ‘भड़के’ और उन्होंने संकेतों में आयोजकों को ख़ूब खरी-खोटी सुनाई।
लालजी टंडन को मध्य प्रदेश का राज्यपाल बने थोड़ा ही वक़्त हुआ है और प्रदेशवासी पहली बार राज्यपाल के ‘रौद्र रूप’ से वाकिफ़ हुए। राज्यपाल द्वारा सरकार की आलोचना करने की भनक मुख्यमंत्री नाथ को लगी तो वह सक्रिय हुए। दरअसल, मुख्यमंत्री दिल्ली के दौरे पर थे और शनिवार को दिल्ली से ही उन्होंने राज्यपाल टंडन से फ़ोन पर बातचीत की थी। मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री और विभाग के अधिकारियों को मिलने के लिए राज्यपाल के पास भी भेजा।
मंत्री प्रभुराम चौधरी और विभाग के अफ़सरों ने महामहिम से मुलाक़ात करते हुए पूरे मामले में तमाम सफाई दी। सीएम के एक्शन और मंत्री की सफाई के बाद रविवार को आनन-फानन में विभाग के दो अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए गए।
दो को दिया कारण बताओ नोटिस
गाज तो बड़ों पर गिरनी थी!
जानकारों का कहना है कि अपनी गर्दन बचाने के लिए सरकार ने छोटे अधिकारियों को ‘सूली’ पर टांग दिया है। सही मायनों में मामले के लिए बड़े अधिकारियों (आयुक्त लोक शिक्षण और प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा) के ख़िलाफ़ एक्शन होना चाहिये था। जानकार दावा कर रहे हैं कि आयोजन से जुड़ी सभी तैयारियों को इन अफ़सरों ने ही अंतिम रूप दिया था। कार्यक्रम के अतिथिगण भी इन अधिकारियों ने ही तय किये थे। छोटे अफ़सर तो आयोजन को संपन्न कराने भर के लिए तैनात थे।
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