भारतीय जनता पार्टी के महासचिव और मध्य प्रदेश के बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के एक सरकारी घर पर कथित तौर पर ‘जबरिया क़ब्ज़े’ को लेकर उलझ गये हैं। बंगला उन्हें लोक निर्माण विभाग के मंत्री रहते अलाॅट हुआ था। बाद में बाला-बाला इस घर को उस आशा फ़ाउंडेशन के नाम आवंटित कर दिया गया था, जिसकी मुखिया विजयवर्गीय की पत्नी आशा विजयवर्गीय हैं। सामने आया है कि फ़ाउंडेशन ने पिछले 10 सालों से बंगले का किराया नहीं भरा है।
इंदौर के पलासिया क्षेत्र स्थित सरकारी घर से जुड़ा पूरा मामला बेहद दिलचस्प है। क्षेत्र में कई बंगले हैं। बंगला नंबर 2 और 3 लोक निर्माण विभाग के पुल में हैं। साल 2003 में बीजेपी सत्ता में आयी थी। कैलाश विजयवर्गीय मंत्री बनाये गये थे। विजयर्गीय के पास लोक निर्माण महकमे का ज़िम्मा आया था।
इंदौर से आने वाले विजयवर्गीय को लोक निर्माण मंत्री के नाते पलासिया क्षेत्र में बंगला नंबर 3 अलाॅट किया गया था। साल 2008 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले विजयवर्गीय को अलाॅट यह बंगला ‘आशा फ़ाउंडेशन’ के नाम आवंटित हो गया था। फ़ाउंडेशन की संचालक कैलाश विजयवर्गीय की आशा विजयवर्गीय हैं।
बंगले का मासिक किराया 1100 रुपये फिक्स था। साल 2014 तक किराया यही रहा। इसके बाद किराया राशि 6000 रुपये महीना कर दी गई। आशा फ़ाउंडेशन ने साल 2010 तक तो नियमित किराया भरा। बाद में किराया भरना बंद कर दिया। पिछले दस सालों से किराया नहीं भरा गया है। किराया लाखों में पहुँच चुका है।
ऐसे खुला ‘राज’
वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में निज़ाम बदला। पन्द्रह सालों तक सत्ता में रही बीजेपी की सरकार चली गई। कांग्रेस का राज आया। इंदौर के कांग्रेसी नेता सज्जन सिंह वर्मा लोक निर्माण मंत्री बने। पलासिया क्षेत्र का बंगला नंबर 2 वर्मा को अलाॅट किया गया।
पन्द्रह महीनों बाद कमलनाथ की सरकार चली गई। शिवराज सरकार आ गई। शिवराज फिर मुख्यमंत्री हो गये। सरकार बदलते ही नाथ सरकार में मंत्री रहे नेताओं से भोपाल समेत मध्य प्रदेश भर में सरकारी आवास खाली कराने का सिलसिला आरंभ हुआ। भोपाल में तो कई पूर्व मंत्रियों के सरकारी घरों को सील तक किया गया।
इसी क्रम में इंदौर के पलासिया क्षेत्र स्थित बंगला नंबर दो खाली करने के लिए लोक निर्माण विभाग के पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा को नोटिस दिया गया। खतो-खिताबत और घर खाली कराने की कार्रवाई के बीच वर्मा ने बंगला नंबर तीन का मसला उठाया।
उन्होंने कहा, ‘पूर्व हो जाने की वजह से जब उनसे सरकारी घर खाली कराया जा रहा है तो बरसों पहले मंत्री नहीं रहे कैलाश विजयवर्गीय से वक़्त रहते घर खाली कराने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई?’
वर्मा ने यह भी सवाल उठाया कि कैलाश विजयवर्गीय के नाम अलाॅट बंगला बाला-बाला उनकी पत्नी आशा विजयवर्गीय के फ़ाउंडेशन के नाम आख़िर कैसे और क्यों हो गया?
विभाग के कार्यपालन यंत्री ने झाड़ा पल्ला
बंगले को लेकर विवाद गहराने के बीच पलासिया क्षेत्र के बंगले की देखरेख के लिए अधिकृत कार्यपालन यंत्री राजेन्द्र कुमार जोशी से मीडिया ने सवाल किये तो उनके बयान ने पूरे मामले को नया रंग दे दिया। जोशी ने मीडिया को दी गई अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि यह बंगला आशा फ़ाउंडेशन के नाम आख़िर कैसे ट्रांसफर हो गया।’
‘सत्य हिन्दी’ ने मामले पर कैलाश विजयवर्गीय से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया, लेकिन टिप्पणी के लिए वह उपलब्ध नहीं हो सके। उनके फ़ोन से निरंतर नो-रिप्लाॅय आता रहा।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा, ‘इंदौर के भाई के इस कृत्य से जुड़े पूरे मामले की उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिए।’ भूपेन्द्र गुप्ता ने यह भी कहा, ‘बीजेपी की कथनी और करनी में भारी फर्क है। प्रतिपक्ष के लिए कुछ नियम होते हैं और सत्तापक्ष से जुड़े लोगों के लिए कुछ और होते हैं।’
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता गुप्ता ने कैलाश विजयवर्गीय से बंगले का दस सालों का बकाया किराया ब्याज समेत वसूले जाने की माँग भी की।
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