देशव्यापी लाॅकडाउन 3.0 के बीच मध्य प्रदेश के सागर जिले में जैन मुनि का विहार (यात्रा) और विहार की जोरदार अगवानी सवालों के घेरे में हैं। दो दिन बीत जाने के बाद लाॅकडाउन तोड़ने वालों के ख़िलाफ़ एक्शन लिया गया है। इस मामले में 5 नामजद और लगभग 150 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ विभिन्न धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया है।
बता दें कि सागर जिले के बंडा ब्लाॅक में 11 मई को मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज का विहार पहुंचा था। सागर शहर से यह विहार 9 मई को निकला था। रास्ते में कई जगह समाज के लोगों ने विहार की अगवानी की। बंडा पहुंचने पर मुनिश्री प्रमाण सागर और जैन समाज के अन्य मुनिश्री समय सागर महाराज का मिलन हुआ था।
मुनिश्री की एक झलक पाने, विहार की अगवानी और मिलन को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में जैन समाज के लोग सड़क पर उतर आये थे। इस दौरान सोशल डिस्टेसिंग की अनदेखी के साथ-साथ मास्क लगाने की अनिवार्यता का भी बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ।
लाॅकडाउन के बीच विहार, विहार की अगवानी और मुनियों के मिलन के साक्षी बनने के लिए प्रोटोकाॅल का उल्लंघन कर सड़कों पर उतरे लोगों का वीडियो वायरल होते ही सवाल उठने शुरू हो गये थे। क्योंकि लाॅकडाउन में अनावश्यक रूप से घरों से निकलने पर रोक के साथ-साथ सभी तरह की धार्मिक गतिविधियां पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। सभी धार्मिक स्थल और इबादतगाह आमजनों के लिए बंद हैं।
वीडियो वायरल होने के बाद सागर जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण भूरिया ने मीडिया से कहा था, ‘पूरे मामले की जांच का आदेश दिया गया है। लाॅकडाउन तोड़ने की बात सही पायी गई तो ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ सख्त एक्शन लिया जायेगा।
हैरान करने वाली एक बात यह भी है कि विहार का सिलसिला जारी है। मुनिश्री का विहार, बंडा से सागर जिले के ही अन्य पड़ाव शाहपुर बस्ती के लिए बढ़ चुका था। विहार के शाहपुर से दमोह जिले के कुंडलपुर पहुंचने का कार्यक्रम बताया गया है।
जहां मुनि ठहरे थे वहां कोरोना के दो रोगी
बताया गया है कि मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज और विहार में उनके सहयोगीगण सागर शहर के जिस भाग्योदय अस्पताल परिसर में पिछले करीब डेढ़ महीने से ठहरे हुए थे, उस भाग्योदय अस्पताल में कोरोना का एक संदिग्ध रोगी संतराम यादव 6 मई को बीना नगर से पहुंचा था। हालत नाजुक होने पर अस्पताल प्रबंधन ने उसे भोपाल रेफर कर दिया था। भोपाल में संतराम की 7 मई को मौत हो गई थी।
संतराम की मौत की सूचना आते ही भाग्योदय अस्पताल में हड़कंप मच गया था। अस्पताल प्रबंधन ने कुछ डाॅक्टरों समेत एक दर्जन से ज्यादा स्टाॅफ को होम क्वरेंटीन कर दिया था। सभी की कोरोना की जांच भी की गई। मंगलवार शाम जांच रिपोर्ट आने पर सामने आया कि अस्पताल का लैब टेक्निशियन मनोज चौरसिया कोरोना पाॅजिटिव है। मनोज ने संतराम की जांच की थी।
क्यों हिचक रहा है प्रशासन?
मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज का विहार ना रोके जाने पर सवालों का सिलसिला तेज हो गया है। सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि अस्पताल परिसर में लंबे वक्त तक रहे मुनिश्री और उनके सहयोगियों को क्वरेंटीन करने का आदेश देने में प्रशासन आखिर क्यों हिचक रहा है?
विहार का अगला पड़ाव मध्य प्रदेश का दमोह जिला है, जो अब तक कोरोना से मुक्त है। यात्रा को ग्रीन ज़ोन वाले जिले के लिए आगे बढ़ने से रोकने के लिए क़दम क्यों नहीं उठाया जा रहा है?
सागर जिले की कलेक्टर सुश्री प्रीति मैथिल ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, विहार के लिए 20 लोगों को अनुमति दी गई थी। विहार को आगे बढ़ने से रोके जाने के सवाल पर वह मौन साधे रहीं।
उधर, दमोह के कलेक्टर तरूण राठी से भी ‘सत्य हिन्दी’ ने संपर्क किया। कलेक्टर ने कहा, ‘मुनिश्री के दमोह पहुंचने संबंधी कोई जानकारी मेरे पास नहीं है। मैं पता करके बताऊंगा।’ उन्होंने ‘सत्य हिन्दी’ को दमोह के एसडीएम से बात करने की सलाह दी।
एसडीएम, दमोह रविन्द्र चौकसे ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘मुनिश्री का विहार अभी दमोह जिले में नहीं पहुंचा है। दमोह में विहार की कोई अग्रिम अनुमति जिला प्रशासन से फिलहाल नहीं ली गई है।’
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