उत्तर प्रदेश के मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे को गुरूवार सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन में पकड़ लिया गया। लेकिन उसने सरेंडर किया या वह गिरफ्तार हुआ? इसे लेकर पुलिस की कहानी में झोल ही झोल हैं।
दरअसल, विकास दुबे की ‘गिरफ्तारी’ जिस नाटकीय ढंग से हुई, उसने अनेक सवाल खड़े किये। मंदिर परिसर में सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारी द्वारा विकास को देखने की सूचनाएं आयीं। इसके बाद उसने तत्काल आला अफसरों को अलर्ट किया और पुलिस ने विकास को ‘आसानी’ से हिरासत में ले लिया।
विकास की गिरफ्तारी से ठीक पहले मीडिया भी मौके पर पहुंच गया। मीडिया कर्मियों ने विकास को ले जाने की घटना की रिकॉर्डिंग की। मीडिया के सामने पुलिस ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन विकास ने खुद आगे आकर चिल्लाते हुए कहा, ‘मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला।’
सवाल यह है कि बुधवार को हरियाणा के फरीदाबाद में नजर आया विकास गुरूवार को आखिर उज्जैन कैसे पहुंच गया?
फरीदाबाद से उज्जैन तक का सड़क मार्ग से रास्ता करीब 12 घंटे का है। राज्यों की सीमाओं को उसने पार कैसे किया? सरगर्मी से तलाश में जुटे पुलिस दलों को उसने आखिर चकमा कैसे दिया? इस मुद्दे पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह का वीडियो -
विकास महाकाल का भक्त है। इसी के चलते वह आया, ऐसा माना गया। कोरोना काल की वजह से बाहरी लोगों को दर्शन के लिए ऑनलाइन पर्ची लेनी होती है। विकास के पास ढाई सौ रुपये की जो पर्ची निकली है, वह फर्जी थी और किसी और के नाम पर थी।
साधारण कर्मचारी ने कैसे पकड़ लिया
शुरुआती सूचनाओं के अनुसार, दर्शन करने जाते वक्त संदेह होने पर सुरक्षा कर्मी ने उसका मास्क हटवाया और तब पता चला कि वह विकास दुबे है। सुरक्षा कर्मी ने मौके पर मौजूद सहयोगियों को बुलाया और पुलिस के आला अधिकारियों को सूचना दी।
बताया गया है कि पकड़े जाने पर विकास ने सुरक्षा कर्मियों से हाथापाई की और भागने का प्रयास किया। लेकिन पुलिस के ये दावे गले नहीं उतर रहे हैं। विकास बेहद शातिर और क्रूर है। ऐसे में वह निहत्था रहे। पुलिस उसे आसानी से पकड़ ले? यह बातें हजम होने के लायक नहीं हैं।
शहीदों के परिजनों ने भी उठाये सवाल
विकास दुबे और उसके गैंग के हमले में शहीद हुए पुलिस वालों के परिजनों ने भी विकास की मध्य प्रदेश में कथित नाटकीय ‘गिरफ्तारी’ पर सवाल उठाये हैं। परिजनों ने संकेतों में आरोप लगाया कि विकास की गिरफ्तारी ‘फ़िक्सिंग’ है।
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