पूरे देश में महात्मा गाँधी जी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है लेकिन मध्य प्रदेश में इसे लेकर ऐसी घटना हुई है जिससे हंगामा खड़ा हो गया है। आज़ाद हिन्द फ़ौज़ के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री राज्यश्री ने मंगलवार को ग्वालियर में गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की तसवीर की न केवल आरती उतारी, बल्कि गाँधी जी की मौत के लिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहरा डाला। राज्यश्री के बयान से कांग्रेस की भृकुटियां तन गईं और उसने राज्यश्री तथा कार्यक्रम के आयोजकों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने की मांग की है।
नाथूराम गोडसे का ग्वालियर से संबंध रहा है। कहा जाता है कि गोडसे ने बापू के हत्याकांड को अंजाम देने से पहले कई दिनों तक ग्वालियर में तमंचा (पिस्तौल) चलाने की प्रैक्टिस की थी। गोडसे को महिमा मंडित करने वाले पहले भी ग्वालियर में इस तरह के आयोजन कर विवाद पैदा करते रहे हैं। हिन्दू महासभा ने 15 नवंबर को गोडसे के बलिदान दिवस के तौर पर मनाया था। गोडसे को 15 नवंबर के दिन फांसी पर लटकाया गया था।
राज्यश्री इस मौक़े पर यह कहने से भी नहीं चूकीं कि बापू की मौत के लिए वास्तव में जवाहरलाल नेहरू और उनकी सरकार को जिम्मेदार माना जाना चाहिए।’ राज्यश्री ने कहा, ‘गोली लगने के बाद वक्त रहते बापू को अस्पताल पहुंचाने में कोताही दिखाई गई। ज्यादा खून बह जाने से बापू की मृत्यु हुई। यदि समय रहते उन्हें अस्पताल ले जाया जाता तो वह बच जाते।’ राज्यश्री ने बापू के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराये जाने को भी संकेतों में नेहरू सरकार की साज़िश करार दिया।
कांग्रेस ने राज्यश्री और कार्यक्रम के आयोजकों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने की माँग की है। कांग्रेस प्रवक्ता चतुर्वेदी ने कहा, ‘हिन्दू महासभा के पदाधिकारी केवल और केवल ख़बर बनने के लिए इस तरह की स्तरहीन बयानबाजी करते हैं। मीडिया को ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्वों को तवज्जो नहीं देनी चाहिए।’
मंदिर बनाने की कोशिश की थी
हिंदू महासभा ने दो साल पहले ग्वालियर में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाने के लिए मूर्ति लगाने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस ने महासभा की कोशिश को नाकाम कर दिया था। पुलिस ने तब मूर्ति को अपने कब्जे में ले लिया था। महासभा ने उस मूर्ति को वापस देने की माँग भी की, उस दौरान कांग्रेस की शिकायत और विरोध के बाद शिवराज सरकार ने प्रतिमा जब्त कर ली थी।
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