कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सामूहिक रूप से नमाज अदा करने वालों पर एफ़आईआर दर्ज की गई है। इस जानलेवा वायरस के संक्रमण से बचने और इसे फैलने से रोकने के लिए 21 दिनों का देशव्यापी लाॅकडाउन है। भोपाल में तो कर्फ्यू लगा हुआ है लेकिन बावजूद इसके पुराने भोपाल के एक घर में गुरुवार रात को सामूहिक रूप से नमाज अदा कराई जा रही थी। सूचना मिलने पर पुलिस ने मालिक मकान सहित कुल 30 लोगों के विरूद्ध एफ़आईआर दर्ज की है।
भोपाल में यह मामला थाना टीलाजमालपुरा में दर्ज हुआ है। शाहिद हुसैन (26वर्ष) नामक शख्स ने अपने घर में सामूहिक नमाज़ का आयोजन किया था। सूचना मिलने पर पुलिस मौक़े पर पहुंची और शाहिद सहित वहां मौजूद सभी लोगों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 188, 269, 270 के तहत केस दर्ज कर लिया।
देशव्यापी लाॅकडाउन के चलते किसी को भी घर के बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से परेशान लोगों को ही सड़कों पर निकलने दिया जा रहा है और इसके लिये भी लोगों को पुलिस से अनुमति लेनी पड़ रही है। सामूहिक रूप से इकट्ठा होने की इजाजत किसी को भी नहीं है।
चूंकि धर्मस्थल भी लाॅकडाउन में शामिल हैं, लिहाजा भोपाल के शहर क़ाज़ी ने लोगों से अपने-अपने घरों में ही नमाज़ अदा करने की अपील की है। इस तरह की अपील उलेमाओं ने पूरे देश में की हुई है। देश एवं प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में मुसलमान इस अपील का अनुसरण कर रहे हैं।
शहर क़ाज़ी की अपील के बाद पुलिस ने हर थाना क्षेत्र में घर के अंदर ही नमाज़ अदा करने का अनाउंसमेंट करवाया था। इसके बावजूद भी शाहिद ने गुरुवार रात को लोगों को अपने घर में बुलाकर सामूहिक नमाज़ अदा कराई।
वीडियो से भी की थी अपील
चार दिन पहले भोपाल के शहर क़ाज़ी ने एक वीडियो जारी करके मुसलमानों से अपील की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि मसजिद से माइक पर अजान सुनकर जो लोग उस वक्त मसजिद में हैं, वे वहीं नमाज़ पढ़ें जबकि जो लोग घरों में हैं, वे घरों में नमाज़ पढ़ें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार की तरफ से जो आदेश दिए जा रहे हैं उन्हें मानें और उनका पालन करें।
अब तक 61 केस दर्ज
लाॅकडाउन और कर्फ्यू के आदेश का उल्लंघन करने पर भोपाल जिले में अब तक कुल 61 केस दर्ज किए गए हैं। इनमें सरकारी आदेश का उल्लंघन कर दुकान खोलने, बेवजह रोड पर घूमने, सामूहिक नमाज़ अदा करने, दुकान के सामने भीड़ लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने के प्रकरण शामिल हैं।
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