मध्य प्रदेश के दो पुराने राजघरानों में बड़ा 'गद्दार’ कौन, इस सवाल पर ज़बरदस्त रार छिड़ गई है। एक राज परिवार है सिंधिया का (ग्वालियर राजघराना) और दूसरा कुनबा है दिग्विजय सिंह (राघोगढ़ रियासत) का। स्वतंत्रता आंदोलन और अलग-अलग हुकूमतों के दौर में किसने विरोधियों का साथ दिया और किसने भारत के क्रांतिवीरों की पीठ में छूरा घोंपने का काम किया? इन सवालों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर पूरे चरम पर है।
पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य दिग्विजय सिंह द्वारा सिंधिया राजघराने के कथित गद्दारी करने वाले इतिहास का उल्लेख करने पर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक बुरी तरह तिलमिलाए हुए हैं।
बता दें कि बीजेपी ज्वाइन करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया शनिवार को पहली बार राघोगढ़ पहुंचे थे। सिंधिया ने कांग्रेस के साथ-साथ दिग्विजय सिंह और उनके परिजनों को भी निशाने पर लिया था।
सिंधिया ने दिग्विजय सिंह परिवार के बेहद क़रीबी राघोगढ़ के पूर्व विधायक स्वर्गीय मूल सिंह दादा के पुत्र हीरेंद्र प्रताप सिंह को कांग्रेस से तोड़कर बीजेपी में शामिल कराया।
हालाँकि सिंधिया की भाषणबाज़ी मौजूदा दौर की राजनीति से जुड़े आरोपों के आसपास ही सिमटी रही थी। उन्होंने गड़े मुर्दे नहीं उखाड़े थे।
इधर अपनी ‘टेरिटरी’ (राघोगढ़) में सिंधिया की एंट्री दिग्विजय सिंह को बेहद नागवार लगी। दिग्विजय सिंह ने बिना देर किये गुना जिले की चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र के रघुनाथपुरा गांव और विदिशा जिले की लटेरी तहसील के मुंडेला गांव में कांग्रेस के जन-जागरण अभियान में शिकरत करते हुए ज्योतिरादित्य और सिंधिया राजघराने पर तीखा जवाबी हमला बोला था।
दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश की चुनी हुई सरकार को पैसा लेकर गिराने का आरोप लगाते हुए केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को जमकर आड़े हाथों लिया था। सिंह ने कहा था, ‘25 से 30 करोड़ रुपये प्रति विधायक के हिसाब से सौदा कर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुनी हुई कमलनाथ सरकार को गिरा दिया।’
दिग्विजय सिंह यहीं नहीं रुके थे उन्होंने आगे कहा था,
“
सिंधिया राज परिवार की गद्दारी वाला इतिहास किसी से छिपा हुआ नहीं है। जब एक पीढ़ी गद्दारी करती है तो आने वाली हर पीढ़ी अपनी पूर्व की पीढ़ी का अनुसरण करती है।
दिग्विजय सिंह, कांग्रेस नेता
दिग्विजय सिंह का तीखा बयान ज्योतिरादित्य सिंधिया को किस कदर चुभा यह बात दिग्विजय सिंह के बयान के ठीक बाद सामने आ गयी। सिंधिया खुद तो मैदान में नहीं आये, उन्होंने अपने एक ऐसे सिपाहासालार को मैदान में उतारा जिसकी हैसियत दिग्विजय सिंह के सामने कुछ भी नहीं है।
सिंधिया के साथ बीजेपी में आए मध्य प्रदेश कांग्रेस के पुराने प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने अपने आका सिंधिया के कथित इशारे पर दिग्विजय सिंह को निशाने पर ले लिया।
पंकज ने रविवार को एक बयान जारी करते हुए कहा, ‘सिंधिया जब तक कांग्रेस पार्टी में थे तब दिग्विजय सिंह उनके आगे-पीछे घूमते थे। सिंधिया और उनके परिवार की शान में कशीदे पढ़ते थे। गद्दारी तो दिग्विजय सिंह जी आपने और कमलनाथ जी ने चुनाव जीतने और सरकार बनाने के बाद सूबे के किसानों, युवाओं, बहन-बेटियों के साथ की। धोखा किया। छल किया। पहले 28 और फिर चार विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों में कांग्रेस को जनता ने अपना नतीजा सुनाकर दिया। ज़्यादातर सीटें कांग्रेस बुरी तरह हार गई।’
पंकज चतुर्वेदी ने अपने बयान में दिग्विजय सिंह के पूर्वजों का इतिहास भी पेश किया। दिग्विजय सिंह के पिता राजा बलभद्र सिंह और बलभद्र सिंह के दादा राजा रघुवर सिंह द्वारा भारत विरोधी शासकों का साथ देने का आरोप लगाया। चतुर्वेदी ने कहा, ‘गद्दारी करने वालों को खुद अपनी गिरेबां में झांकना चाहिए। मिथ्या आरोप लगाने के पहले दिग्विजय सिंह जी आपको राज्य की जनता को यह बताना चाहिए कि राजा बलभद्र सिंह जी को सिंधिया राज परिवार ने ग्वालियर किले में कैद क्यों किया था?’
चतुर्वेदी ने कहा, ‘राघोगढ़ के राजा रहते हुए राजा बलभद्र सिंह ने 1775 से 1782 तक सिंधिया राज परिवार के खिलाफ अंग्रेजों का साथ दिया था। सिंधिया घराने ने जब अंग्रेजों को परास्त करने के बाद बलभद्र सिंह को सजा स्वरूप कैद करके रखा गया था।’
‘सोमवार को जारी किया राजा बलभद्र सिंह का खत’
बड़ा गद्दार कौन? सवाल पर सोमवार को भी मध्य प्रदेश में पूरे दिन राजनीति गर्माई रही। पंकज चतुर्वेदी ने भाजपा दफ्तर में प्रेस कांफ्रेंस कर दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह का कथित पत्र मीडिया को जारी किया।
चतुर्वेदी दावा करते हुए कहा, बलभद्र सिंह जी ने अपने वंश और अंग्रेज भक्ति का वर्णन करते हुए एक पत्र 16 सितंबर 1939 को लिखा था। उन्होंने अपने पत्र में कहा था, ‘मेरे पूर्वजों ने 1779 से ब्रिटिश सरकार को भरपूर सेवाएं प्रदान की हैं। मेरे पिताजी ने भी आपको अपनी निजी सेवा प्रदान की हैं। पिछले युद्ध के समय भी ब्रिटिश सरकार को राघोगढ़ ने अपनी भरपूर सेवा प्रदान की हैं। अब मैं आपको अपनी वफादारी से भरी सेवा प्रदान करना अपना धर्म समझता हूं।’
पंकज चतुर्वेदी ने यह भी दावा किया कि बलभद्र सिंह जी का अंग्रेजों को लिखा गया ये पत्र साल 2002 में भोपाल में राजकीय अभिलेखागार और पुरातत्व विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में रखा गया था। उस वक्त दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। सिंह को पता चला था तो उन्होंने इस पत्र को प्रदर्शनी से हटवा दिया था।
‘मुगलों की वफादारी में मिला था राघोगढ़’
चतुर्वेदी ने इतिहासकार राजा रघुवीर सिंह का उल्लेख करते हुए कहा, “राजा रघुवीर सिंह ने लिखा है, ‘दिग्विजय सिंह के पूर्वजों को मुगलों की वफादारी के बदले में राघोगढ़ मिला। जबकि पानीपत की तीसरी लड़ाई में राघोगढ़ के तत्कालीन राजा ने मराठा साम्राज्य के सेनापति सदाशिवराव भाऊ को कोई सहयोग देने से इनकार कर दिया था और मुगलों का साथ दिया था’।”
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कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा मैदान में उतरे
पंकज चतुर्वेदी के तीखे हमले के जवाब में कांग्रेस की ओर से सोमवार को प्रदेश प्रवक्ता के.के. मिश्रा मैदान में उतरे। उन्होंने कहा, ‘पंकज चतुर्वेदी का कद दिग्विजय सिंह के राजनैतिक कद के सामने घुटनों से नीचे भी नहीं है। मोहन भागवत, नरेंद्र मोदी, अमित शाह और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह आरोप लगाते तो वे जवाब देते।’
मिश्रा ने कहा, ‘सिंधिया राजघराने का इतिहास बीजेपी को दोबारा ठीक से पलटना चाहिए। महात्मा गांधी की हत्या में प्रयुक्त हुई 9 एमएम की पिस्टल सिंधिया घराने ने ही नाथूराम गोडसे को मुहैया कराई थी, इतिहास में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है।’
‘राजनीति अजब है, भाजपा की भाषा बोल रही है कांग्रेस’
बड़ा गद्दार कौन? मध्य प्रदेश का ताज़ा विवाद पर वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक राकेश दीक्षित कांग्रेस और बीजेपी की चुटकी ले रहे हैं।
दीक्षित कहते हैं, ‘बदली हुई राजनीति का असल रंग यही है। सिंधिया कल तक जब कांग्रेस में थे तब रानी लक्ष्मीबाई से गद्दारी के लिए भाजपाई ग्वालियर राजघराने को कठघरे में खड़ा किया करते थे। आज कांग्रेस वही सवाल खड़े कर रही है जो कल तक भाजपाई उठाया करते थे।’
दीक्षित ने पंकज चतुर्वेदी की बयानबाज़ी और आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भी तंज कसते हुए कहा, ‘बीजेपी किस कदर मौकापरस्त दल है, ‘बड़ा गद्दार कौन’ को लेकर ताज़ा बयानबाज़ी में भी नज़र आ रहा है। पंकज अकेले क़िला लड़ाते मैदान में नज़र आ रहे हैं।’
बता दें कि पंकज के बयान के बीच भाजपा के किसी भी बड़े नेता का कोई बयान दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ अभी तक सामने नहीं आया है। पंकज ने बीजेपी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की तब भी बीजेपी के एक अदना प्रवक्ता के अलावा कोई भी बड़ा चेहरा मंच पर दिखलाई नहीं दिया।
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प्रेक्षकों ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘राजा-महाराजा के बीच गद्दार एपीसोड को लेकर छिड़ी सियासत पर बीजेपी फिलहाल दूर खड़े रहकर मंद-मंद मुस्कुराने की रणनीति पर चल रही है!’
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