गाय के नाम पर राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी का अब मानना है कि गाय के बल पर अर्थव्यवस्था भी खड़ी की जा सकती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गाय, गाय के गोबर और गोमूत्र के बल पर कोई व्यक्ति अपनी आर्थिक हालत सुधार सकता है और देश की अर्थव्यवस्था को भी ठीक किया जा सकता है।
इंडियन वेटनरी एसोसिएशन की ओर से महिला पशु चिकित्सकों की लिए आयोजित कार्यक्रम 'शक्ति 2021' में मुख्यमंत्री ने यह कहा। उन्होंने वहाँ मौजूद पशु चिकित्सकों से कहा,
“
यदि हम चाहें तो गाय के पालन, उसके गोबर व गोमूत्र से अपनी आार्थिक स्थिति ठीक कर सकते हैं और देश की अर्थव्यवस्था को भी लायक बना सकते हैं।
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
उन्होंने इसका आगे कहा, "मध्य प्रदेश के श्मशान घाटों पर गाय के उपले से बने गौकाष्ठ का इस्तेमाल कर लकड़ी का प्रयोग कम कर दिया गया है।"
इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने पशु चिकित्सकों और विशेषज्ञों को सलाह दी कि वे गोपालन पर शोध करें ताकि यह छोटे किसानों व पशु पालकों के लिए फ़ायदे का काम बन सके।
वहाँ मौजूद केंद्रीय मत्स्य पालन, पशु पालन व दुध्य व्यवसाय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि गुजरात में बड़ी तादाद में महिलाएं गोपालन के काम में लगी हुई हैं और इससे डेरी व्यवसाय समृद्ध हुआ है।
बजट में गाय पर विशेष आबंटन
याद दिला दें कि बीजेपी सरकार ने 2019 के अंतरिम बजट में गायों के लिए अलग से व्यवस्था की थी और उस पर करोड़ों रुपए खर्च करने की योजना का एलान किया था। अंतरिम बजट पेश करते हुए तत्कालीन कार्यकारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कई बड़े वादे किए थे।
उन्होंने गायों के लिए अलग से आयोग बनाने और कामधेनु योजना की घोषणा की थी। बजट भाषण में गोयल ने कहा था, 'गौमाता के सम्मान में और गौमाता के लिए यह सरकार कभी पीछे नहीं हटेगी। जो ज़रूरत होगी, वह काम करेगी।'
अंतरिम बजट 2019 की बड़ी घोषणाएँ
- गायों के लिए शुरू होगी कामधेनु योजना।
- राष्ट्रीय गोकुल आयोग बनाया जाएगा।
- कामधेनु योजना पर 750 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
- पशुपालन और मत्स्य के लिए कर्ज़ में 2 फ़ीसदी ब्याज में छूट मिलेगी।
- वित्त मंत्री ने कहा कि कामधेनु योजना के तहत गायों का संरक्षण किया जाएगा। योजना के तहत गोहत्या, गो तस्कर, फ़र्ज़ी गोसेवक के अलावा पालतू गायों को छोड़ देने वाले लोगों पर भी कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा किसानों के लिए भी कई योजनाओं की घोषणा की गई।
यूपी में गोपालन के लिए 'सेस'
इसी समय यानी 2019 में ही उत्तर प्रदेश सरकार ने गायों की सेवा के लिए पैसे उगाहने के लिए अतिरिक्त 'सेस' का एलान किया था। योगी सरकार ने आवारा गायों की देखभाल के लिए आश्रय स्थल बनाने, उनके चारे पानी के लिए शराब की बिक्री पर 0.5 फ़ीसदी अतिरिक्त 'सेस' लगाया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि गायों के लिए आश्रयस्थल बनाने और उनकी देखभाल के लिए 16 नगर निगमों को 160 करोड़ रुपए जबकि हर जिले को 1.20 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। प्रदेश सरकार ने गांवों, स्थानीय निकायों में गौशालाएं बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये अतिरिक्त जारी किए।
कांग्रेस ने भी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौशाला खोलने का वादा किया था।
केजरीवाल : गायों के लिए हॉस्टल
गायों पर यह राजनीति बीजेपी तक सीमित नहीं है। राहुल गाँधी, योगी आदित्यनाथ के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गायों की चिंता हुई। दिल्ली सरकार ने 2019 में ही गायों के लिए ‘पीजी हॉस्टल’ बनाने का एलान किया था। सरकार ने कहा था कि वह इन ‘पीजी हॉस्टल’ को इस तरह बनाएगी कि यहाँ बुज़ुर्ग लोग भी रह सकेंगे।
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के घुम्मनहेड़ा गाँव में ‘पीजी हॉस्टल’ बनाने के लिए जगह खोज ली है। सरकार के पशु स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने कहा है कि इन हॉस्टल की मदद से सरकार पशुओं के टीकाकरण के बारे में भी जानकारी रख सकेगी। सरकार की पूरी दिल्ली में 33 गौशालाएँ बनाने और 5 पुरानी गौशालाओं को नए ढंग से बनाने की योजना है।
गाय राष्ट्रीय पशु?
याद दिला दें कि इसी साल सितंबर में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि गाय भारत की संस्कृति का अहम हिस्सा है और इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए।
जस्टिस यादव ने कहा था, “गो रक्षा का काम केवल किसी एक संप्रदाय का नहीं है बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का काम देश के हर नागरिक का है, फिर चाहे उसका धर्म कुछ भी हो।” क़ानूनी ख़बरें देने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच के मुताबिक़, जस्टिस ने कहा, “जब गाय का कल्याण होगा, तभी देश का कल्याण होगा।”
जस्टिस यादव ने कहा था कि भारत ही एक ऐसा देश है, जहां अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं, जो अलग-अलग ढंग से पूजा करते हैं लेकिन देश के लिए उनके विचार एक जैसे हैं। उन्होंने कहा, “गाय को भारत के प्राचीन ग्रंथों जैसे वेदों और महाभारत में भी एक अहम हिस्से के रूप में दिखाया गया है।”
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