स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से मध्य प्रदेश के सबसे समृद्ध माने जाने वाले इंदौर शहर से एक ‘भयावह तसवीर’ मंगलवार को सामने आयी। कोरोना संदिग्ध एक वृद्ध की कथित रूप से वक़्त पर समुचित उपचार और एम्बुलेंस नहीं मिल पाने के कारण मौत हो गई। परिजन उसे जैसे-तैसे स्कूटी पर लेकर अस्पताल पहुँचे, लेकिन वृद्ध बच नहीं पाया। परिजनों का आरोप है कि वक़्त पर एम्बुलेंस और उपचार मिल जाता तो वृद्ध की मौत नहीं होती।
मृतक का नाम पांडुराव चांदले (55 वर्ष) बताया गया है। पांडुराव की मौत से जुड़ा पूरा मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने और मीडिया के हरकत में आने के बाद ज़िला प्रशासन ने मामले की जाँच के आदेश दिये हैं। जाँच के आदेश के पहले अपुष्ट सूचना सामने आई कि मृतक का शव उसके घर में पाँच घंटे तक रखा रहा। लेकिन शव का पोस्टमार्टम नहीं किया गया। मृतक की मौत की वजह कोरोना थी, इससे जुड़ा कोई सैंपल भी नहीं लिया गया है। जाँच दल का इंतज़ार करने के बाद शाम को परिजनों द्वारा मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
मृतक के एक रिश्तेदार ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर ‘सत्य हिन्दी’ को बताया, ‘पांडुराव पिछले पाँच-सात दिनों से अस्वस्थ थे। मज़दूरी करके स्वयं और परिजनों का जीवन यापन करने वाले पांडुराव गत दिवस अपने परिजनों के साथ इंदौर के कोरोना चिन्हित सरकारी अस्पताल एमवाय पहुँचे थे। तब कुछ दवाएँ देकर उन्हें घर लौटा दिया गया था।’
रिश्तेदार के अनुसार, पांडुराव को साँस लेने में तकलीफ हो रही थी। कुछ अन्य लक्षण भी कोरोना से मिलते-जुलते थे। पांडुराव इंदौर की बड़वाली चौकी से लगे अहिल्या पलटन के निवासी थे। घर में पत्नी के अलावा बेटा-बहू, डेढ़ वर्ष का पोता, बेटी और भतीजी भी रहते हैं। पांडुराव की बस्ती के निकट कई वे मोहल्ले भी हैं, जहाँ कोरोना का ख़ासा प्रकोप है।
बताया गया है कि सुबह 11 बजे के क़रीब पांडुराव की तकलीफ बढ़ी। इसके बाद परिजनों ने उन नंबरों पर संपर्क साधकर सहायता माँगी, इमरजेंसी में जिनका उपयोग करने का मशविरा स्थानीय प्रशासन और सरकार सतत दे रही है। प्रचारित नंबरों पर काॅल के बावजूद कथित तौर पर मदद न मिलने पर परिजन पांडुराव को दो-पहिया वाहन स्कूटी पर ही लेकर निकट के क्लॉथ मार्केट अस्पताल पहुँचे। डाॅक्टरों ने देखने के बाद पांडुराव की गंभीर हालत देख एमवाय अस्पताल ले जाने का मशविरा दिया।
रिश्तेदार के अनुसार, क्लॉथ मार्केट अस्पताल से एम्बुलेंस की माँग की गई। अस्पताल प्रबंधन ने 300 रुपये जमा कराने को कहा। इस बीच परिजनों ने रिक्शा और अन्य वाहन भी तलाशा, लेकिन नहीं मिला। चूँकि एम्बुलेंस से जुड़ी खाना-पूर्ति में वक़्त लग रहा था, लिहाज़ा परिजन - पांडुराव को स्कूटी पर ही लेकर एमवाय के लिए भागे। अस्पताल पहुँचने के पूर्व ही पांडुराव की मौत हो गई।
‘सत्य हिन्दी’ ने पूरे घटनाक्रम को लेकर कलेक्टर मनीष सिंह और सीएमएचओ इंदौर से बात करने का प्रयास किया, लेकिन दोनों से ही संपर्क नहीं हो सका। घटनाक्रम से जुड़े ब्यौरे के लिए ‘सत्य हिन्दी’ ने कलेक्टर सिंह को व्हाटसएप और एसएमएस भी किया, लेकिन समाचार लिखे जाने के समय तक उनका जवाब नहीं मिल पाया था।
कोरोना जाँच के दावों को लेकर उठाये सवाल
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने पांडुराव की मौत पर अफसोस जताते हुए कहा है कि घटनाक्रम ने शिवराज सरकार के कोरोना से लड़ने के दावों की पोल खोलकर रख दी है। वक़्त पर उपचार नहीं मिलने के अभाव में पांडुराव की मौत होने का दावा करते हुए यादव ने कहा, ‘मौत के बाद भी इंदौर ज़िला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे द्वारा उचित क़दम नहीं उठाया जाना न केवल पीड़ादायक बल्कि आश्चर्यजनक भी है।’
यादव ने कहा, ‘पांडुराव के परिवार में अनेक सदस्य हैं। इस मान से भी समय रहते स्वास्थ्य महकमे को क़दम उठाने चाहिए थे। ज़रूरी जाँच-पड़ताल न होने से पांडुराव के परिजनों पर भी संक्रमण का ख़तरा मंडरा गया है।’
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