लगता है कि जानलेवा संक्रमण कोरोना से मौत के खौफ़ ने रिश्तों की संवेदनशीलता को भी ख़त्म कर दिया है! क़रीब पचास किलोमीटर का सफर पैदल तय कर पति के साथ इंदौर से अपने मायके उज्जैन पहुँची एक बेटी को माँ ने इस कारण घर में नहीं घुसने दिया कि, ‘तुम्हें घर में एंट्री दी तो हम भी मुसीबत में आ जायेंगे।’
इंदौर से पैदल चलकर कई उम्मीदों के साथ मायके उज्जैन पहुँची इस महिला का नाम निलोफर है। वह इंदौर के अत्यधिक कोरोना संक्रमित क्षेत्र टाटपट्टी बाखल से लगे कागजीपुरा में रहती है। निलोफर का कहना है कि उसके तीन बेटों को पुलिस उठाकर ले गई है। उसके घर को स्वास्थ्य महकमे ने सील कर दिया है। बेटों को कहाँ ले जाया गया है? उसे नहीं मालूम है।
पता चला है कि निलोफर के तीनों बेटे कोरोना संक्रमित हैं। ज़िला प्रशासन ने तीनों को आइसोलेट किया हुआ है। निलोफर और उसके पति इनायत हुसैन भी कोरोना संदिग्ध की श्रेणी में हैं। इनके सैंपल लिए गए हैं। जाँच रिपोर्ट आने के पहले के प्रोटोकाॅल के मद्देनज़र इन्हें घर में ही क्वरेंटाइन किया गया था। इनका घर भी इसी प्रोटोकाॅल के चलते सील किया गया। दंपती प्रोटोकाॅल को तोड़ते हुए चुपचाप इंदौर से उज्जैन के लिए निकल गए।
निलोफर का कहना है पूरे घटनाक्रम से वह और उसके पति इनायत हुसैन काफ़ी डरे हुए थे। भय और घबराहट में ही रविवार तड़के तीन बजे इंदौर के कागजीपुरा से पैदल ही पति-पत्नी उज्जैन के लिए निकल पड़े थे। उज्जैन में खजूरवाली मसजिद के पास शेषवानी मोहल्ला में उसका मायका है। निलोफर ने कहा, ‘जब हम पति-पत्नी मायके पहुँचे तो अम्मी नज़मा बी ने हमें घर में घुसने नहीं दिया। उनका कहना था, यदि हमें घर में लिया तो समूचा घर मुसीबत में पड़ जाएगा।’
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