मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में ‘लोकतंत्र बचाओ यात्रा’ निकालने वाले नामदेव दास त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा रविवार को भारी मुश्किलोंं में फंस गये। इंदौर ज़िला प्रशासन ने एयरपोर्ट रोड स्थित उनके अवैध आश्रम और दूसरे अतिक्रमणों को तोड़ दिया। इतना ही नहीं, विरोध जताने पर बाबा को गिरफ़्तार कर जेल भी भेज दिया गया।
कंप्यूटर बाबा मध्य प्रदेश के चर्चित बाबाओं में शुमार हैं। साल 2018 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस का झंडा उठाया था। राज्य की 28 सीटों पर हाल ही में हुए उपचुनावों में भी उनके तेवर ख़ासे तीखे रहे। बाबा ने ‘लोकतंत्र बचाओ यात्रा’ निकाली।
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स्टार प्रचारक
कम्प्यूटर बाबा उपचुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारक बनाये गये थे। उपचुनाव के दौरान वह विभिन्न सीटों पर प्रचार के लिए गए। बाबा ने ‘टिकाऊ बनाम बिकाऊ’ और ‘गद्दारी’ के मुद्दे को जमकर उछाला।बाबा के निशाने पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया भी खूब रहे। बाबा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा नाथ सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले बीजेपी नेताओं पर भी जमकर निशाना साधा था।
बाबा को जेल
इंदौर ज़िला प्रशासन की टीम रविवार सुबह दल-बल के साथ बाबा के एयरपोर्ट रोड स्थित आश्रम पहुँची। टीम ने देखते ही देखते बाबा के तमाम अतिक्रमणों को ध्वस्त कर दिया। बाबा के समर्थकों ने विरोध जताया तो पुलिस ने 5 लोगों को हिरासत में ले लिया। बाद में बाबा भी सामने आये तो पुलिस ने उन्हें भी गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया।बदले की कार्रवाई?
कंप्यूटर बाबा के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई पर सबसे पहली प्रतिक्रिया पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की आयी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘इंदौर में बदले की भवना से कम्प्यूटर बाबा का आश्रम व मंदिर बिना किसी नोटिस के तोड़ा जा रहा है। यह राजनैतिक प्रतिशोध की चरम सीमा है। मैं इसकी निंदा करता हूँ।’मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के. के. मिश्रा ने भी कार्रवाई की तीखी भर्त्सना की। एक बयान में उन्होंने कहा, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से अतिक्रमण करने वालों का पक्षधर नहीं हूं, किन्तु कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर की गई कार्रवाई राजनैतिक प्रतिशोध है, उन्हें जेल भेजा गया है। कैसा है जनतंत्र यहां, यह है अद्भुत तंत्र - साधु बैठा जेल में, डाकू हैं स्वतंत्र।’
हथियार बरामद
ज़िला प्रशासन ने बाबा के आश्रम से 315 बोर की एक राइफ़ल और एक एयरगन भी बरामद करने का दावा किया है। फिलहाल दोनों बंदूकों को अपनी अभिरक्षा में लेने के बाद प्रशासन ने इस बात की छानबीन शुरू कर दी है कि दोनों बंदूकें लायसेंसी हैं या ग़ैरक़ानून रूप से रखी गई थीं। पुलिस का कहना है कि यदि बंदूक अवैध हुईं तो बाबा के ख़िलाफ़ आर्म्स एक्ट का मुक़दमा भी कायम किया जायेगा।80 करोड़ की ज़मीन
ज़िला प्रशासन के एक अफ़सर के अनुसार, बाबा के चुंगल से मुक्त कराई गई भूमि की कीमत लगभग 80 करोड़ रूपये है। मंदिर के अलावा भव्य और आलीशान आश्रम बाबा ने बना रखा था। गोशाला का संचालन भी बाबा आश्रम के निकट सरकारी ज़मीन पर कर रहे थे।शिवराज ने दिया था मंत्री का दर्जा
मुख्यमंत्री रहते शिवराज सिंह ने साल 2018 में कंप्यूटर बाबा को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। असल में बाबा ने नर्मदा नदी में अवैध उत्खनन को लेकर मुहिम छेड़ रखी थी। अवैध उत्खनन को लेकर खुद शिवराज और उनकी सरकार बाबा के निशाने पर रही थी। शिवराज सरकार द्वारा अचानक बाबा को राज्यमंत्री का दर्जा दिये जाने के बाद बाबा के सुर बदल गये थे। वे सरकार के गुणगान करने लगे थे।विधानसभा के 2018 के चुनाव के वक्त बाबा ने पलटी मारते हुए कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। वह बीजेपी और सरकार के ख़िलाफ़ लामबंद हो गये थे।
नामदेव दास से कम्प्यूटर बाबा
नामदेव दास त्यागी से कंप्यूटर बाबा बनने की बाबा की कहानी रोचक है। वह अपने साथ लैपटॉप रखते हैं। लैपटॉप के नियमित उपयोग के चलते अनुयायी उन्हें कम्प्यूटर बाबा कहने लगे। बाद में इसी नाम से वह प्रचलित हो गये।बाबा शानो-शौकत भरी जिंदगी जीना पसंद करते हैं। वह हवाई यात्राओं के बेहद मुरीद हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें कई बार प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराया।
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