मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों पर उपचुनाव के लिए चौसर बिछी हुई है। ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए सत्तारूढ़ दल बीजेपी और प्रतिपक्ष कांग्रेस, तेजी से अपने पत्ते फेंक रहे हैं। दोनों ही दलों का ‘खेल खराब’ करने के लिए बीएसपी और सपाक्स ने भी मजबूती से ताल ठोकते हुए चुनावी ‘दंगल’ को बेहद रोचक बना दिया है।
बता दें, मध्य प्रदेश में विधानसभा की 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों से रिक्त हुई हैं। जबकि तीन सीटों पर मौजूदा विधायकों के असामायिक निधन से उपचुनावों की स्थितियां बनी हैं। बिहार के विधानसभा चुनाव के साथ ही मध्य प्रदेश में रिक्त कुल 28 विधानसभा सीटों के लिए भी उपचुनाव कराए जाने के संकेत हैं। चुनाव की तारीखों की घोषणा इस माह संभावित है। अक्टूबर माह में चुनाव कराए जाने की संभावना जताई जा रही है।
पसीना बहा रहे सिंधिया
सत्तारूढ़ दल बीजेपी पूरी शिद्धत के साथ उपचुनाव में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाते हुए वोटों पर सेंधमारी का अभियान छेड़ा हुआ है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उपचुनाव वाले क्षेत्रों की ख़ाक छान रहे हैं। सरकार और बीजेपी संगठन ने मिलकर पूरी ताकत झोंकी हुई है। प्रेक्षकों की निगाह बीजेपी के संभावित प्रत्याशियों पर टिकी हुई हैं।
चुनावी तिकड़म
उधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर चुकी है। कांग्रेस ने पहली सूची में 15 उम्मीदवारों के नाम घोषित किये हैं। पार्टी दूसरी सूची जारी करने से पहले बीजेपी के प्रत्याशियों की घोषणा होने का इंतजार कर रही है। कांग्रेस चाहती है कि बीजेपी के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के बाद उसके अंदर उपजने वाले असंतोष को वह भुनाये।
कांग्रेस ने कई ऐसे बीजेपी के नेताओं को तोड़ने में कामयाबी भी हासिल की है जो टिकट ना मिलने की सूरत में बीजेपी से बगावत कर बैठे हैं। कांग्रेस के इस कदम से समूचा उपचुनाव बेहद रोचक होता जा रहा है। हाल ही में सागर जिले की सुरखी सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक रहीं पारूल साहू को कांग्रेस ने अपने खेमे में शामिल किया है।
पारूल का टिकट पक्का है। नाम के एलान की औपचारिकता शेष है। सुरखी में वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास समर्थक और बीजेपी के लगभग तय उम्मीदवार गोविंद सिंह राजपूत को चुनौती देने वाली हैं। शिवराज की कैबिनेट में राजपूत काबीना मंत्री हैं।
सिलावट को घेरने की कोशिश
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमल नाथ ने इंदौर जिले के सांवेर में बेहद चतुराई से सिंधिया समर्थक एक और मंत्री तुलसी सिलावट को टारगेट किया हुआ है। कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू को चुनाव मैदान में उतारा हुआ है। धन और बाहुबल के लिहाज से गुड्डू खासे तगड़े उम्मीदवार करार दिये जा रहे हैं।
सभी सीटों पर लड़ेगी बीएसपी
कांग्रेस और बीजेपी के व्यूह चक्रों को भेदने और उनका ‘खेल खराब’ करने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और सामान्य, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण समाज (सपाक्स) ने भी कमर कसी हुई है। बीएसपी आम तौर पर उपचुनावों से दूर रहती है। लेकिन यूपी के बाद अब मध्य प्रदेश में भी उसने सभी 28 सीटों के लिए उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने के लिए ताल ठोक रखी है।
दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष महेन्द्र बौद्ध को तो बीएसपी ने तोड़ भी लिया है।
बीएसपी अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित भांडेर सीट से बौद्ध को उम्मीदवार घोषित करने वाली है। कांग्रेस ने इस सीट से बीएसपी के पुराने और बेहद कद्दावर नेता फूल सिंह बरैया को टिकट दे दिया है। बौद्ध इसी बात से कुपित होकर ‘हाथ’ का साथ छोड़कर ‘हाथी’ पर सवार हो गये हैं।
सपाक्स ने दिखाया दमखम
उधर, सपाक्स ने भी सभी 28 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए कांग्रेस और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सपाक्स ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कुछ दलों के साथ समझौता करते हुए राज्य की 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। मुरैना जिले की अम्बाह सीट (उपचुनाव होना है) पर वह दूसरे क्रम पर आयी थी। कुल आठ सीटें ऐसी रहीं थीं, जहां सपाक्स ने दूसरे और तीसरे क्रम पर रहते हुए प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी का ‘खेल खराब’ किया था।
साल 2018 के चुनाव में सपाक्स को मिले वोटों की वजह से बीजेपी को पांच सीटों और कांग्रेस को तीन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी को यह पांच सीटें हारना ही बेहद महंगा पड़ा था और वह लगातार चौथी बार सरकार बनाने से चूक गई थी।
ग्वालियर-चंबल पर है नजर
सपाक्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी तीनों ही हमारे प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं। हम अपने दम पर सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रहे हैं।’ बकौल त्रिवेदी, ‘शिवराज सिंह सरकार, मध्य प्रदेश बीजेपी, प्रतिपक्ष कांग्रेस और बीएसपी के पाखंडों को जनता जान चुकी है। अब इनकी दाल मध्य प्रदेश में गलने वाली नहीं है।’
“
हमने 2018 के चुनाव में सबसे ज्यादा सफलता विंध्य क्षेत्र में हासिल की थी। अबकी बार ग्वालियर-चंबल का क्षेत्र हमारे निशाने पर है। हमें बेहतर नतीजे मिलेंगे, मुझे ऐसी उम्मीद है। सपाक्स के पास मुद्दों की लंबी फेहरिस्त है।’
हीरालाल त्रिवेदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सपाक्स
जल्द घोषित होंगे उम्मीदवार
त्रिवेदी ने कहा, ‘कोरोना संक्रमण के फैलाव और हालातों को देखते हुए हमने उपचुनाव टालने की मांग केन्द्रीय चुनाव आयोग से की हुई है। बावजूद इसके तारीखों का एलान होता है तो हम उपचुनाव के लिए रेडी हैं। टिकटों की स्क्रीनिंग के एक दौर का काम पूरा हो चुका है। दूसरी बैठक 26 को बुलाई गई है। इसके बाद 30 सितंबर को चुनाव समिति की बैठक होगी और अक्टूबर के पहले सप्ताह में हम भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर देंगे।’
सपाक्स के अलावा कांग्रेस और बीजेपी के लिए बीएसपी भी बड़ा सिरदर्द साबित होने वाली है। बीएसपी ने कई सीटों पर कद्दावर उम्मीदवार उतारे हैं। उम्मीदवार चयन में जातीय समीकरणों का ध्यान भी उसने रखा है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कई सीटें ऐसी हैं, जहां बीएसपी का खासा दबदबा है।
कांग्रेस को होगा ज़्यादा नुक़सान?
बीएसपी के चुनाव मैदान में उतरने से ज्यादा घबराहट कांग्रेस के खेमे में देखी जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि बीएसपी बीजेपी के बजाय कांग्रेस को ज्यादा नुकसान पहुंचायेगी। कुछ सीटों पर बीएसपी बीजेपी का भी खेल बिगाड़ने की स्थिति में है। कुल मिलाकर ग्वालियर-चंबल संभाग की कई सीटों पर मुकाबला बहुकोणीय होना तय माना जा रहा है। जो ज्यादा दम लगाने में सफल होगा, बाजी उसके हाथ आयेगी।
यह है सरकार बनाने-बचाने का गणित
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। इनमें 28 रिक्त हैं। विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 116 का है। बीजेपी के पास फिलहाल उसके अपने 107 विधायक हैं। जबकि कांग्रेस के पास केवल 88 विधायक ही हैं। बीएसपी के दो, एसपी का एक और चार विधायक निर्दलीय हैं।
बीजेपी को अपने दम पर सत्ता में बने रहने के लिए महज 9 सीटों की दरकार है क्योंकि तब वह 116 के आंकड़े पर पहुंच जायेगी। जबकि कांग्रेस को सत्ता पाने के लिए सभी 28 सीटें जीतनी होंगी।
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