लगभग सवा महीने के अपने प्रचार के दौरान दिग्विजय सिंह ने उस तरह का कोई भी विवादित बयान नहीं दिया है जिन्हें लेकर वे ‘ख्यात’ रहे हैं।
साध्वी की उम्मीदवारी के एलान के बाद तो दिग्विजय सिंह कुछ ज़्यादा ‘संभले’ हुए नजर आ रहे हैं। सिंह ने अब तक के प्रचार के दौरान ना तो ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द का उपयोग किया है और ना ही ‘हिन्दुत्व की पैरोकारी’ पर सवाल उठाए हैं।दिग्विजय सिंह के प्रचार के दरमियान एक दिलचस्प बात यह भी देखी गई है कि दिग्विजय सिंह के मंच और कांग्रेस के ख़ेमे से भी भगवा आतंकवाद अथवा हिन्दुत्व के पैरोकारों के ख़िलाफ़ अब तक ऐसी बयानबाज़ी क़तई नहीं हुई है, जिससे बीजेपी को कांग्रेस को घेरने का मौका मिल पाये। सवा माह के अपने प्रचार में सिंह मंदिर-मंदिर मत्था टेक रहे हैं। उनके भाषण और बयान पूरी तरह से ‘संतुलित’ हैं।
हर दिन 10-12 घंटे प्रचार
आम दिनों में भी 72 वर्षीय दिग्विजय सिंह का ‘दिन’ तड़के ही शुरू हो जाता है। वे अलसुबह उठकर नियमित व्यायाम और योगा करते हैं। इसके बाद मेल-मुलाक़ात का सिलसिला शुरू होता है। उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद से हर दिन प्रचार में वह 10 से 12 घंटे खपा रहे हैं। सिंह का प्रचार ‘द्वार-द्वार दस्तक’ पर ज़्यादा केन्द्रित है। वे नुक्कड़ सभाएँ और बैठकों को भी जमकर संबोधित कर रहे हैं। पूरे दिन प्रचार में बड़ी सभाएँ गिनी-चुनी ही कर रहे हैं।
‘जैसा देश वैसा भेष’
दिग्विजय सिंह के उद्बोधन के बिन्दु क्षेत्र के अनुसार होते हैं। मसलन यदि वह ग्रामीण इलाक़े में हैं तो भाषण के अधिकांश अंश विकास के मुद्दे पर केन्द्रित होते हैं। कमलनाथ सरकार द्वारा किसानों की कर्जमाफ़ी और सस्ती बिजली का ज़िक्र करना वह नहीं भूलते। गाँवों के विकास की अपनी परिकल्पना भी वे वोटरों के बीच रखते हैं। ग़रीब बस्तियों में जाने पर बस्तियों का चहुँमुखी विकास उनके भाषण का केन्द्र बिन्दु होता है।
शहरी क्षेत्र में प्रचार के दौरान दिग्विजय भोपाल को लेकर अपना विजन पेश करते हैं। वह यह बताना नहीं भूलते कि अगर वह सांसद चुने गए तो वह भोपाल को शिक्षा और रोज़गार का ऐसा हब बनायेंगे जिसमें पढ़कर युवा यहीं नौकरियाँ भी हासिल कर पाएँगे।
दंगों को लेकर घेरते हैं बीजेपी को
मुसलिम बस्तियों में प्रचार के दौरान बाबरी ढाँचा ढहाये जाने के बाद देश भर में 1992 में हुए दंगों का ज़िक्र कर वह बीजेपी को जमकर घेरते हैं। उस दौरान भोपाल में भी जबरदस्त दंगे हुए थे। भोपाल गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता रहा है।
दंगों में मुसलिमों द्वारा हिंदू भाईयों की मदद का ज़िक्र भी वह अपने भाषण में ज़रूर करते हैं। इस ज़िक्र के दौरान संकेतों में वह साध्वी प्रज्ञा सिंह और बीजेपी को यह कहते हुए आड़े हाथों लेना भी नहीं भूलते कि बीजेपी क्या चाहती है और भोपाल को लेकर उसका नज़रिया क्या है? वह स्पष्ट करे।
जमकर लगते हैं ठहाके
दिग्विजय सिंह का कोई भी भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना के बग़ैर पूरा नहीं होता। वह 5 सालों के मोदी सरकार के कार्यकाल की लच्छेदार ढंग से आलोचना करते हैं। वोटर से पूछते हैं - खाते में 15 लाख आये? युवाओं को 2 करोड़ नौकरियाँ मिलीं? अच्छे दिन आये? - भीड़ से जवाब मिलता है - नहीं। दिग्विजय सिंह, मोदी को सबसे बड़ा फेंकू बताते हैं तो सभा में लोग ठहाके लगते हैं।दिग्विजय सिंह कहते हैं, ‘झूठ बोलने का ओलंपिक हो जाये तो भारत के लिए नरेंद्र मोदी तयशुदा गोल्ड मेडल लायेंगे’ उनके इस कटाक्ष पर भी लोग ठहाके लगाते हैं। सिंह अपनी हर सभा का समापन इस ‘गारंटी’ के साथ करते हैं कि - ‘मोदी अब कि बार पीएम नहीं बनेंगे।’ दिग्विजय सिंह के इस ‘विश्वास’ पर मोदी और बीजेपी विरोधी वोटर तालियाँ पीटता नज़र आते हैं।
‘बिना फीस वाला वकील बनाइये’
दिग्विजय सिंह अपने हर भाषण में वोटरों से यह कहना भी नहीं भूलते कि, ‘12 मई को (वोट वाले दिन) दिग्विजय सिंह की ‘पैरवी’ (अपना वोट देकर) कीजिये - 23 मई को नतीजे आने के बाद संसद भेजने पर दिग्विजय सिंह पूरे 5 साल भोपाल के हर वोटर की ‘पैरवी’ हर अवसर पर ‘बिना फ़ीस वाले वकील’ के तौर पर करेगा।साध्वी को बताते हैं ‘गूंगी गुड़िया’
हेमंत करकरे और बाबरी मसजिद का ढाँचा ढहाने संबंधी बयानों के बाद चुनाव आयोग ने 2 मई से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के प्रचार को 72 घंटों के लिए बैन किया है। दिग्विजय सिंह चुनाव आयोग के फ़ैसले के बाद से अपने प्रचार में साध्वी प्रज्ञा पर यह कहते हुए चुटकियाँ ले रहे हैं - ‘हम तो चाहते हैं साध्वी जी खूब बोलें। भोपाल को लेकर अपना विजन पेश करें। आरएसएस और बीजेपी नहीं चाहती कि साध्वी जी खुलकर अपनी बात कहें। संघ और बीजेपी चाहते हैं कि साध्वी उनकी ‘गूंगी गुड़िया’ बनी रहें। फ़ैसला साध्वी जी को करना है - क्या वह गूंगी गुड़िया बनकर रहना पसंद करेंगी?’खजाने की चाबी सिंह के हाथों में
प्रचार के दौरान दिग्विजय सिंह, मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपना बड़ा भाई बताते हैं और दिग्विजय सिंह के प्रचार के लिए पहुँचने पर मुख्यमंत्री कमल नाथ कहते हैं दिग्विजय सिंह से उनका नाता 40 बरस पुराना है। दोनों भाई से भी बढ़कर हैं। कमलनाथ कहते हैं कि दिग्विजय सिंह उन्हीं के कहने पर राजगढ़ छोड़कर भोपाल के चुनावी रण में उतरे हैं।कमलनाथ अपने भाषणों में यह अवश्य कहते हैं कि, ‘दिग्विजय सिंह को भोपाल का सांसद बनाइये, फंड की चिंता ना कीजिये - हम केन्द्र के भरोसे भोपाल को नहीं रहने देंगे। मध्य प्रदेश के खजाने की चाबी दिग्विजय सिंह के हाथों में है, वह और हम भोपाल के विकास में फंड का रोड़ा नहीं आने देंगे।’
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