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प्रतीकात्मक तसवीरफ़ोटो साभार: करुणा सोसायटी

कमलनाथ का ऐसा गो संवर्धन? कमरे में बंद भूख-प्यास से तड़पकर मर गईं 17 गायें

मध्य प्रदेश में गायों के साथ अजीब क्रूरता की गई। छोटे-छोटे दो कमरों में गायों को बंद कर दिया गया। न खाना और न पानी। गायें तड़पती रहीं। रंभाती रहीं। कई दिनों तक भूखी-प्यासी रही गायें आख़िरकार तड़प-तड़पकर मर गईं। 17 गायों के शव मिले हैं। यही बात शुरुआती जाँच में आई है। माना जा रहा है कि उन्हें इसलिए कमरों में बंद किया गया था क्योंकि ये बाहर आवारा घुमती थीं और फ़सलों को चर जाती थीं। 

यह सनसनीखेज मामला ग्वालियर से लगे भिंड ज़िले का है। यह मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के ‘गो संवर्धन प्लान’ को तगड़ा झटका है। मुख्यमंत्री के ट्वीट पर पुलिस ने एक दर्जन लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर कर जाँच शुरू कर दी है। दरअसल, भिंड के डबरा शहर से 10 किलोमीटर दूर हाइवे स्थित ग्राम समूदन के एक सरकारी स्कूल के परिसर में बुधवार देर रात जेसीबी से गड्ढा खोदकर मृत गायों को दफनाने की सूचना मिली थी। भनक लगते ही ‘गो प्रेमी’ भी पहुँच गये। ख़ूब हंगामा हुआ। ग्रामीणों की शिकायत पर पुलिस ने पहले तो पूरे मामले को हलके में लिया। शिकायत करने वाले ग्रामीणों ने हाइवे को जाम किया तो पुलिस को मौक़े पर पहुँचना पड़ा। गुरुवार को गायों का विधिवत हिन्दू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। डबरा सिटी थाने में गो वध प्रतिषेध अधिनियम के तहत केस दर्ज करने पर ग्रामीण तो शांत हो गए, लेकिन गुरुवार तक मामला इतना गरमा गया कि राजनीति तेज़ हो गई।

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लोगों के प्रदर्शन के बाद इस घटना पर गुरुवार दोपहर में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा - ‘डबरा के समूदन में 17 गायों की मृत्यु की ख़बर बेहद दुखद है। निष्पक्ष जाँच के निर्देश दिए हैं। हम गो माता की रक्षा और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयासरत और वचनबद्ध हैं। ऐसी घटनाएँ बर्दाश्त नहीं की जा सकती हैं।‘ इस ट्वीट के बाद कलेक्टर-एसपी सहित दूसरे अधिकारी मौक़े पर पहुँचे।

फ़सल बर्बाद करने की अमानवीय सज़ा

शुरुआती जाँच में सामने आया है कि कुछ ग्रामीणों ने समूदन गाँव के शासकीय मिडिल स्कूल परिसर में पटवारियों के बैठने के लिए बनाये गये दो कमरों में गायों को क़ैद करके रखा था। इन कमरों में क़रीब 20 दिनों तक गायें क़ैद रहीं। ये कमरे ऐसे थे जहाँ न तो सूरज की रोशनी पहुँचती थी और न ही पर्याप्त मात्रा में हवा। बताया गया है कि ये गायें खेतों में धान की फ़सल को नुक़सान पहुँचा रही थीं, इसी के चलते इन्हें क़ैद किया गया था। गायों को चारा और पानी नहीं दिया गया। भूख और प्यास से तड़प-तड़पकर इनकी मौत हो गई।

जिस परिसर में यह कमरा है, वहाँ दो स्कूल, पंचायत भवन, जनमित्र केंद्र और आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होते हैं। बताया जाता है कि बुधवार को कमरे से बदबू आने पर सरपंच, पंचायत सचिव और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को गायों की मौत की जानकारी मिल गई थी, लेकिन आरोप है कि सभी ने मामले को दबाने का प्रयास किया। एसडीएम ने जनपद पंचायत, पीडब्ल्यूडी, महिला एवं बाल विकास विभाग, ज़िला शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर ज़िम्मेदारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

गायें क़रीब 20 दिनों तक स्कूल परिसर में बने कमरों में भूखी-प्यासी कैद रहीं। निश्चित तौर पर भूख-प्यास से परेशान होने पर ये ख़ूब रंभायी होंगी। आवाज़ें आसपास के घरों तक कैसे नहीं पहुँच पायीं?

स्कूल नियमित खुल रहा था, फिर भी शिक्षकों को यह बात कैसे मालूम नहीं हुई? ग्रामीणों को इसकी भनक कैसे नहीं लग पायी? सवाल यह भी है कि गायों के मालिकों ने गायों को ढूंढने का प्रयास ज़रूर किया होगा, वे क्यों नहीं पता लगा पाए?

कमलनाथ को ‘गाय प्यार’ दिखावा: बीजेपी

कमलनाथ सरकार गो संवर्धन और संरक्षण के लिए प्रदेश में 1 हज़ार स्मार्ट गोशालाएँ बनवा रही है। बिड़ला जैसे समूह इस मामले में आगे आये हैं। कुछ ज़िलों में गोशाला निर्माण का काम न केवल शुरू हो चुका है, बल्कि गति भी पकड़ चुका है। ऐसे में भिंड में गायों की दर्दनाक मौतों से जुड़ा यह मामला सरकार के लिए शर्मनाक क़रार दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश बीजेपी ने पूरे मामले पर सरकार के ख़िलाफ़ तीखी टिप्पणियाँ करते हुए उसके गो संरक्षण और संवर्धन प्लान को दिखावा क़रार दिया है।

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गाय पर दिग्विजय-कमलनाथ में ‘ट्वीट वॉर’

बता दें कि गायों को लेकर दिग्विजय-कमलनाथ ट्विटर पर आमने-सामने आ चुके हैं। सड़क मार्ग से इंदौर से भोपाल लौटते वक़्त बीच रास्ते में सड़क पर गायों के बैठे हुए मिलने पर दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किये थे। अपने ट्वीट में सिंह ने कहा था, ‘गायों की इस तरह की दुर्दशा दुखद है। दुर्घटनाएँ होती हैं। गाय और लोग इसमें हताहत होते हैं।’ दिग्विजय के ट्वीट के जवाब में कमलनाथ ने कई ट्वीट करते हुए अपनी सरकार के गायों के संरक्षण को लेकर किये गये और किये जा रहे काम गिना दिये थे।

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क़मर वहीद नक़वी
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