प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ वाराणसी से नामांकन दाखिल करने वाले पूर्व बीएसएफ़ जवान तेज़ बहादुर यादव ने पर्चा खारिज किए जाने के चुनाव आयोग के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
यादव ने पहले निर्दलीय रहते हुए मोदी को चुनौती देने की योजना बनाई, बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। लेकिन चुनाव आयोग ने उनका पर्चा यह कह कर खारिज कर दिया था कि उन्होंने एक ज़रूरी दस्तावेज़ तय समयसीमा के अंदर जमा नहीं कराया था। उनसे कहा गया था कि वह बीएसएफ़ से यह प्रमाण पत्र ला कर दें कि उन्हें भष्ट्राचार या निष्ठाहीनता के कारण नहीं निकाला गया था।
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यादव पहली बार सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने बीएसएफ़ के खाने की शिकायत करते हुए एक वीडियो फ़ेसबुक पर डाला था, जो वायरल हो गया। इसके बाद बीएसएफ़ ने पूरे मामले की जाँच की और उन्हें अनुशासनहीनता के आधार पर नौकरी से निकाल दिया।
यादव ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि उन्हें भेदभावपूर्ण और बेतुका है और उसे रद्द कर दिया जाना चाहिए।
तेज़ बहादुर यादव ने कहा था कि वह हार-जीत के लिए नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी को आईना दिखाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। यादव ने यह भी कहा था कि मोदी ने सैनिकों से किया गया एक भी वादा पूरा नहीं किया है।
यादव को गठबंधन का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई थीं। क्योंकि एक ओर तो बीजेपी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है लेकिन अब गठबंधन ने उसके सामने एक पूर्व जवान को ही मैदान में उतार दिया था, इससे यह लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई थी।
वाराणसी सीट पर अंतिम चरण में 19 मई को वोटिंग होनी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बीजेपी के टिकट पर यहाँ से मैदान में हैं। अब पूरे देश की नज़रें वाराणसी लोकसभा सीट पर टिक गई हैं। बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के भी यहाँ से चुनाव लड़ने की जोरदार चर्चा थी लेकिन अब कांग्रेस ने यहाँ से अजय राय को टिकट दिया है।
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