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वाड्रा को सरकार करने वाली थी गिरफ़्तार, प्रियंका को उतार कांग्रेस ने पलट दी बाज़ी

आख़िर प्रियंका गाँधी को सक्रिय राजनीति में उतारने का एलान समय से पहले और आनन फानन में क्यों किया गया? पढ़ें यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।
शीतल पी. सिंह

कांग्रेस ने रॉबर्ट वाड्रा की संभावित गिरफ़्तारी से पहले ही प्रियंका गाँधी को सक्रिय राजनीति में उतार दिया। यह एक तरह से कांग्रेस का 'प्रीएम्पटिव स्ट्राइक' था। प्रियंका के राजनीति में आने से होे सकने वाले नुक़सान को कम करने के लिए मोदी सरकार ने वाड्रा को गिरफ्तार करने की योजना बनाई थी। उस योजना को लागू करने से पहले ही कांग्रेस ने प्रियंका को राजनीति में उतार कर सरकार की चाल नाकाम कर दी।  

दरअसल, प्रियंका गाँधी को सक्रिय राजनीति में उतारने की कांग्रेस की योजना पहले ही बन चुकी थी, पर इसका एलान उनके अमेरिका से लौटने के बाद फ़रवरी के पहले हफ़्ते में किया जाना था। इसकी भनक मोदी सरकार को लग गई। मोदी सरकार ने प्रियंका के राजनीति में आने से होने वाले असर को कम करने के लिए उनके पति को गिरफ़्तार कराने की योजना बना ली। 
‘सत्य हिंदी’ को सूत्रों से जानकारी मिली है कि नौकरशाही के अपने पुराने वफ़ादारों से कांग्रेस आलाकमान को पहले ही यह सूचना मिल गई कि वाड्रा को गिरफ़्तार करने की योजना बन चुकी है। उसे बताया गया था कि इसके पहले कि प्रियंका गाँधी स्वदेश लौटें और उन्हें पार्टी का महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी जाए, रॉबर्ट वाड्रा गिरफ़्तार कर लिए जाएँगे। 

इस सूचना पर 10 जनपथ में चले चंद घंटों के एक गोपनीय मंथन के तुरंत बाद प्रियंका गाँधी के सक्रिय राजनीति में पदार्पण की घोषणा कर दी गई। इसकी जानकारी परिवार के सिवा सिर्फ़ एक व्यक्ति राज्यसभा सांसद अहमद पटेल को थी। 

यहाँ तक कि ग़ुलाम नबी आज़ाद जो प्रियंका की नियुक्ति की घोषणा तक यूपी के प्रभारी थे, उस दिन सुबह छह बजे की फ़्लाइट से दिल्ली से लखनऊ पहुँचे थे और वहाँ उन्हें कई कार्यक्रमों में भाग लेना था। आज़ाद को उत्तर प्रदेश के प्रभारी पद से हटाया जाएगा, यह तय था और 'सत्य हिन्दी' ने यह खबर दी थी। पर यह प्रियंका के अमेरिका से वापस लौटने के बाद होना था। ख़ुद आज़ाद को पता नहीं था कि कुछ घंटों बाद ही उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।   

मोदी सरकार का प्रशासन आम चुनाव से पहले देश में भ्रष्टाचार से लड़ता हुआ चेहरा तैयार करना चाहता है। वाड्रा की गिरफ़्तारी की योजना इसी का एक हिस्सा थी। 

रॉबर्ट वाड्रा गिरफ़्तार हो जाते तो बीजेपी कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के तमाम तरह के आरोप लगा कर उसे पूरी तरह घेर लेती। चुनाव के ठीक पहले गाँधी परिवार के किसी आदमी की गिरफ़्तारी से कांग्रेस को बहुत ही अधिक राजनीतिक नुक़सान होता। बीजेपी इस गिरफ़्तारी को खूब प्रचारित करती और उसका भरपूर सियासी इस्तेमाल करती। लेकिन प्रियंका की नियुक्ति से मामला उलट गया। अब यदि उनके पति गिरफ़्तार होते हैं तो कांग्रेस पार्टी राजनीतिक बदले की भावना और केंद्रीय एजंसियों के राजनीतिक इस्तेमाल का ज़बरदस्त प्रचार कर बीजेपी और सरकार को घेर सकती है। इससे इसे लोगों की सहानुभूति मिल सकती है और वह उसका फ़ायदा उठा सकती है। 

मोदी सरकार का प्रशासन अभी तक नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललित मोदी, विजय माल्या आदि मामलों में कुछ हासिल नहीं कर पाया है और न ही इसकी संभावना है कि आम चुनाव से पहले कुछ हो पाएगा। आईएलएफ़एस समेत तमाम बड़ी कंपनियों के क़र्ज में डूबने की ख़बरें मध्य वर्ग में सरकार के वित्तीय प्रबंधन की कुशलता को संदेह के दायरे में खड़ा कर रही हैं। 

फ़ेल हो गई योजना

ख़ुफ़िया तंत्र ने सरकार को बता दिया था कि प्रियंका गाँधी को राजनीति में लाकर कांग्रेस 'मास्टर स्ट्रोक' खेलना चाहती है जो आम चुनाव में बहुत बड़ा मुद्दा बन सकता है। इसकी हवा निकालने के लिए 7, लोक कल्याण मार्ग ने एजेंसियों के द्वारा रॉबर्ट वाड्रा को उठा लेने का जोख़िम लेने का फ़ैसला ले लिया था। उनको भरोसा था कि इससे प्रियंका गाँधी ख़ुद और कांग्रेस रक्षात्मक हालत में होगी। 

उन्हें इस बात का भी भरोसा था कि चीख़ते चैनल और ललकारती प्रिंट मीडिया की हेडलाइन्स कांग्रेस को बैकफ़ुट पर पहुँचा देंगी, पर ख़बर लीक हो गई और कांग्रेस ने बाज़ी उलट दी। शर्माई एजेंसियों ने हुड्डा के घर, दफ़्तर, रिश्तेदारों आदि के यहाँ छापे मारकर लीपापोती की जो कोशिश की, उससे वह हासिल न हो सका जिसका आकलन मूल प्लान के तहत किया गया था।
Priyanka Gandhi Congress general secretary Robert vadra may arrest  - Satya Hindi
इस बदले घटनाक्रम से 7, लोक कल्याण मार्ग में तनाव बढ़ गया है। अमित शाह अभी भी बीमार हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की तैयारियाँ मोदी जी की चिंताओं को कम करने की जगह और बढ़ा रही हैं। 
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