बताया जा रहा है कि प्रियंका गाधी इस बात से डरी हुई हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इस बार अमेठी में बुरी तरह फँसे हुए हैं और चुनाव हार भी सकते हैं।
यूपी में पहले तीन चरणों में बीजेपी को बड़ा सियासी नुक़सान होने की आशंका है। इसीलिए चौथे चरण से पहले पीएम मोदी ने ख़ुद मोर्चा संभालते हुए वाराणसी में हिंदू कार्ड खेला।
बेगूसराय में मुक़ाबला बेहद रोचक है। कन्हैया कुमार, तनवीर हसन और गिरिराज सिंह के बीच हो रहे इस जोरदार मुक़ाबले में दिनकर के द्वंदगीतों की गूंज सुनाई दी।
सारे देश की नज़रें बेगूसराय सीट पर टिकी हुई हैं। कहा जा रहा है कि अगर कन्हैया कुमार मुसलिम मतों के विभाजन में सफल हो गए तो वह गिरिराज सिंह की जीत सुनिश्चित कर देंगे।
एक दौर था जब मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन ने चुनाव नहीं होने दिया था। एक आज का दौर है कि चुनाव आयोग को उसकी शक्तियों की याद सुप्रीम कोर्ट को दिलानी पड़ रही है।
कल तक मध्य प्रदेश की जो आईएएस बिरादरी शिवराज सिंह चौहान के सामने ‘नतमस्तक’ हुआ करती थी, उसने सरकार बदलते ही ‘पलटी’ मार ली है। उन्होंने शिवराज सिंह के ख़िलाफ़ ‘मोर्चा’ क्यों खोल दिया है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया। वाराणसी में अपना नामांकन पत्र भरने से एक दिन पहले गुरुवार को उन्होंने एक मेगा रोडशो किया था।
धुले लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले मुसलिम बहुल मालेगाँव सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र में साध्वी प्रज्ञा का मामला प्रमुख मुद्दा बन गया है और दूसरे चुनावी मुद्दे दब गए हैं। इस क्षेत्र में क़रीब 17 फ़ीसदी वोटर मुसलिम हैं।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की डूबती नाव को बचाने मैदान में उतरी प्रियंका गाँधी कम से कम बनारस में मोदी से दो-दो हाथ नहीं करेंगी। अगले दो-तीन दिनों में पार्टी इसका एलान भी कर देगी। तो क्या कांग्रेस डर गई?