चुनाव बाद यदि एनडीए ज़रूरी आँकड़े जुटा भी लेती है तो क्या नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे? यह सवाल इसलिए कि प्रधानमंत्री पद के लिए बार-बार नितिन गडकरी का नाम उछलता रहा है।
नरेंद्र मोदी की महाकाय शख़्सियत के इर्द-गिर्द व्यक्ति केंद्रित प्रचार इस चुनाव की सबसे बड़ी कहानी है और इससे यह लगता है कि कोई और मुद्दा या उम्मीदवार चुनाव मैदान में है ही नहीं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत निश्चित मानी जा रही है, लेकिन वाराणसी के आसपास के क्षेत्रों में माहौल ऐसा नहीं है। कितना असर होगा सपा-बसपा गठबंधन का?
लोकसभा चुनाव के पाँच चरणों के मतदान हो जाने के बाद नतीजों को लेकर तसवीर काफ़ी हद तक साफ़ हो गई लगती है। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजय रथ अटकता दिख रहा है।
पूर्वांचल की कम से कम 16 सीटों पर गठबंधन को 2014 में जो कुल वोट मिले थे वे बीजेपी को मिले वोटों से काफ़ी ज़्यादा थे। ग्यारह सीटों पर बीजेपी आगे थी। तो क्या बीजेपी की मुश्किल नहीं बढ़ेगी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने उन्हें गालियाँ दी हैं और उनकी माँ के लिए भी अभद्र भाषा का प्रयोग किया है। पर मोदी ऐसा क्यों कह रहे हैं?
अखिलेश यादव ने क्यों कहा कि अगर आधी आबादी से अगला पीएम चुना जाय तो अच्छा हो और अगला पीएम गठबंधन देगा और वह यूपी से होगा? ये क्या मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के संकेत नहीं हैं?
एक पखवाड़ा पहले तक जहाँ दिल्ली की राजनीति गठबंधन की अनिश्चितता में फँसी हुई थी, अब 12 मई को मतदान से पहले सब अकेले-अकेले अपना सबकुछ दाँव पर लगाए हुए हैं।
यूपी में पूरब के इलाक़े में बीजेपी और संघ का नया नारा है कि उन्हें ग़ैर यादव पिछड़ों व ग़ैर जाटव दलितों का वोट मिल रहा है लेकिन गठबंधन ने इसकी काट निकाल रखी है।
दलितों के इंसानी हुकूक का सबसे बड़ा दस्तावेज़ भारत का संविधान है। उसके साथ हो रही छेड़छाड़ की कोशिशों से हमारे गाँव के दलित चौकन्ने हैं। उनको जाति के शिकंजे में लपेटना नामुमकिन है।
वर्तमान चुनाव में एक तरफ़ बीजेपी है, जो राजनीतिक दल कम, संघ परिवार का चुनावी चेहरा अधिक है, तो दूसरी तरफ़ विपक्ष है, जो मात्र गणितीय आधार पर बीजेपी को हराने की जुगत में है।