2014 में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 43 प्रतिशत वोट के साथ 73 सीटें मिली थीं, लेकिन सपा-बसपा के गठबंधन के बाद ऐसा नहीं लगता कि 2019 में बीजेपी की राह आसान होगी।
चुनाव से पहले सरकार दो लाख करोड़ के ‘फ़्री गिफ़्ट’ बाँट सकती है। ये तोहफ़े ख़ास कर किसानों और मध्य वर्ग को दिए जाने वाले हैं क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि ये दो वर्ग सरकार से बहुत नाराज़ हैं।
कोलकाता में हुई ममता बनर्जी की विशाल जनसभा 1977 की याद ताज़ा कर रही है। उस समय रामलीला मैदान में इंदिरा गाँधी के विरुद्ध इतनी ही जबर्दस्त जनसभा हुई थी। क्या दोनों रैलियों में कोई समानता है?
बीजेपी का ‘ऑपरेशन लोटस’ कर्नाटक में फ़्लॉप रहा। उसे आशंका है कि लोकसभा चुनावों में उसकी सीटें घटेंगी, इसलिए राज्य की सत्ता हथियाने के लिए वह इस ऑपरेशन में जुटी थी।
कोलकाता में हुई विशाल रैली मे तमाम बीजेपी-विरोधी दल इस पर एकमत हैं कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर बातचीत बाद में की जाएगी, फिलहाल मोदी को हटाने पर ज़ोर।
येदियुरप्पा का ‘ऑपरेशन लोटस’ सफल नहीं रहा। एक ज्योतिषी के अलावा कांग्रेस के एक दिग्गज का भी साथ होने के कारण उन्हें उम्मीद थी कि वह इस बार सीएम बन जाएँगे।
कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड मैदान में हो रही ममता बनर्जी की रैली पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि यह सिद्धांत विहीन नेताओं की गोष्ठी है।
कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की यूनाइटेड इंडिया रैली में 20 विपक्षी दलों के नेताओं का जमघट लगा हुआ है। बताया जा रहा है कि क़रीब 8 लाख लोग रैली में पहुँचे हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं से ‘शक्ति’ ऐप के ज़रिये चुनावी मुद्दों से संबंधित फ़ीडबैक तो पार्टी लेगी, लेकिन उम्मीदवारों के बारे में रायशुमारी नहीं करेगी।
कभी सोनिया गाँधी के विदेशी मूल को बड़ा मुद्दा बना कर कांग्रेस छोड़ने वाले शरद पवार इन दिनों सोनिया और राहुल की तारीफ़ करते हैं और नरेंद्र मोदी को खरी-खोटी सुनाते हैं।
उत्तर प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने के कांग्रेस आलाकमान के फ़ैसले से प्रदेश इकाई में ख़ासी बेचैनी है। छोटे-बड़े नेता और चुनाव लड़ने की चाहत रखने वाले लोग परेशान हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को बीजेपी ओर कांग्रेस दोनों पर हमला किया। मायावती का संदेश साफ़ है कि वह बीजेपी और कांग्रेस दोनों से अलग एक नये विकल्प की तलाश में हैं।
2019 की लड़ाई को जीतने के लिए कांग्रेस ‘शक्ति’ और बीजेपी नमो ऐप से उम्मीदवारों के बारे में जानकारी जुटा रही है। इससे दोनों पार्टियों के नेताओं में ख़ासी बेचैनी है।