‘आप’ और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा या नहीं, इसे लेकर चर्चाएँ जोरों पर हैं। इस पूरे मुद्दे पर नज़र डालें तो पता चलता है कि गठबंधन को लेकर कांग्रेस कंफ़्यूज़्ड है।
पुरानी अदावत भुला कर मैनपुरी में बसपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के लिए रैली करेंगी तो मुज़फ़्फ़रनगर में अखिलेश यादव राष्ट्रीय लोकदल मुखिया अजित सिंह के लिए वोट माँगेंगे।
जिस देश की 60 फ़ीसदी आबादी रोजाना तीन डॉलर यानी 210 रुपये से कम की आमदनी में अपना गुजारा करती है, वहाँ एक अनुमान के मुताबिक़ 2019 के आम चुनाव में प्रति वोटर आठ डॉलर यानी 560 रुपये ख़र्च होने जा रहा है।
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि दिल्ली न सही हरियाणा में ही कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी से चुनावी गठबंधन हो जाए।
महागठबंधन की काट, प्रियंका फ़ैक्टर से निपटने और एंटी इनकंबेंसी को रोकने के लिए बीजेपी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर अपने मौजूदा सांसदों के टिकट काटने जा रही है।
2019 चुनाव जैसी कठिन रेस की शुरुआत में कोई भी अटकल लगाना ख़तरे से खाली नहीं है। फिर भी, मैं वे दस कारण बताना चाहूँगा कि क्यों मुझे लगता है कि इस दौड़ में फ़िलहाल नरेंद्र मोदी काफ़ी आगे हैं।
मोदी ने अपने प्रचार में करोड़ों-अरबों रुपये ख़र्च कर दिए। विदेश-यात्राओं में अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों को मात दे दी और कुल मिलाकर प्रचार मंत्री ही साबित हुए।
चुनाव में एक तरफ मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन है, तो दूसरी तरफ़ यूपीए गठबंधन जिसमें कांग्रेस भी है। देखना है कि विपक्ष कितना एकजुट होकर मोदी के ख़िलाफ़ लड़ पाता है।
लोकसभा चुनाव के सात चरणों में से तीन चरणों का चुनाव रमज़ान में कराए जाने को लेकर घमासान शुरू हो गया है। कई पार्टियों ने रमज़ान में चुनाव कराने का कड़ा विरोध किया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता और प्रधानमंत्री के संभावित दावेदारों में से एक समझे जाने वाले शरद पवार ने घोषणा की है कि वह अगला लोकसभा चुनाव नही लड़ेंगे।