loader

विपक्ष ने डाले मोदी के सामने हथियार, जनता ख़ुद बचाए अपनी लाज

उत्तर भारत में विपक्ष ने मोदी जी के समक्ष हथियार डाल दिये हैं। अब निहत्थे अवाम को अपनी लाज ख़ुद अपने हाथों से बचानी होगी क्योंकि मीडिया उसके वस्त्र लेकर पहले ही पेड़ पर चढ़ गया है।
पहले चरण के मतदान का नामाँकन अठारह मार्च से शुरू है पर उत्तर प्रदेश में कुँवर अखिलेश अभी छठे दौर की सीटों के कुनबी उम्मीदवार तय करने में व्यस्त हैं। बहन जी की हर सीट के बारे में चंडूखाने से बारह करोड़ से बाइस करोड़ रुपये तक की बोली की चर्चा प्रदेश की हर पान की दुकान, चाय की दुकान और कटिंग सैलून से होकर प्रत्येक ड्राइंग रूम में जा पहुँची है। ख़बर है कि बीएसपी महासचिव सतीश मिश्रा इस के बारे में स्पष्टीकरण के कई ड्राफ़्ट लिख चुके हैं जिसमें से किसी एक को फ़ाइनल करने का बहनजी को अभी समय नहीं मिला है क्योंकि वह अभी कांग्रेस को सबक सिखाने की योजना बनाने में व्यस्त हैं।
ताज़ा ख़बरें

सुस्ता रही कांग्रेस

बिहार में 2014 में 90% सीट जीतने वाले एनडीए का हफ़्तों पहले सीट बँटवारे का मसला फ़ाइनल हो चुका है पर यूपीए वाले उस दूरबीन की खोज से लौट नहीं पाये हैं जिससे पैमाने तय हों क्योंकि ये पिछली बार 90% सीट हारे थे। दिल्ली में केजरीवाल ने सिद्धान्त की राजनीति को खूँटी पर टाँग कर कांग्रेस से समझौते की हर कोशिश कर ली पर कांग्रेस अभी ई-पोल (E-poll) करके कार्यकर्ताओं की राय ले रही है।
हालत यह है कि अमेठी तक में बीजेपी हर बूथ पर जी जान लड़ा रही है। वहीं 2014 में कुल 44 सीटों पर सिमट गई पार्टी ग़लतफ़हमी के सबसे ऊँचे पहाड़ पर जा बैठी है और प्रियंका गाँधी को भी दाँव पर लगा चुकी है।
बड़ी मुश्किल से राजस्थान और मध्य प्रदेश में एकदम बार्डर पर मिली जीत से बौराये कांग्रेसी मैनेजर सिर के बल भी पूरे चुनाव भर खड़े रहें तो तीन अंक छूने लायक नहीं हो पायेंगे।

कोसों आगे बीजेपी

बीजेपी ने बीते चार साल में देश के लगभग हर जनपद में ज़मीन ख़रीदकर अपना अत्याधुनिक दफ़्तर बना डाला है। ये दफ़्तर वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग समेत तमाम नई तकनीकों से लैस हैं। क़रीब चार सौ लोकसभा सीटों से उनकी बूथ लेवल की मॉनीटरिंग और एनालिसिस दो साल से चल रही है।
विपक्ष को जो साँस मिल रही है वह दिल्ली को छोड़ दें तो मरहूम रोहित वेमुला, हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी, कन्हैया कुमार और चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे युवा आंदोलनकर्मियों और दिलीप सी मंडल जैसे सोशल मीडिया के हस्तक्षेपकारियों के अनवरत प्रयास से मिल रही है। राहुल गाँधी 2014 से 2017 तक छुट्टियाँ ही मना रहे थे। अखिलेश यादव खै़र मना रहे थे और बहनजी ख़ामोश मोड में थीं। सिर्फ़ तेजस्वी सड़क पर थे क्योंकि उन्हें सड़क पर कर दिया गया था।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
शीतल पी. सिंह
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

चुनाव 2019 से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें