यूपी में एनडीए को लगेगा झटका
इस सवेक्षण के मुताबिक़, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ गठबंधन को ज़बरदस्त झटका लग सकता है। कुल 80 सांसद देने वाले इस राज्य में एनडीए को महज 27 सीटें मिल पाएँगी, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उसे 73 सीटें मिली थीं, यानी उसे 46 सीटों का नुक़सान होगा।राजस्थान नें एनडीए को कम सीटें
इस सर्वेक्षण पर भरोसा करें तो एनडीए को राजस्थान में भी घाटा होगा। इस राज्य में एनडीए को कुल 17 सीटें मिल सकती हैं, यानी उसे 8 सीटों का नुक़सान हो सकता है।बिहार भी हाथ से बाहर
टाइम्स नाउ-वीएमआर ओपिनियन पोल के अनुसार, बीजेपी अगुआई वाले गठबंधन की स्थिति बिहार में भी बहुत अच्छी नहीं होगी और वह राज्य भी उसके हाथ से बाहर निकल जाएगा, यानी उसे पहले से कम सीटें मिलेंगी। बिहार में एनडीए को 25 सीटें मिलेंगी, यानी पिछले चुनाव से पाँच कम। दूसरी ओर, इस राज्य में कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए की स्थिति सुधरेगी। वहाँ उसे 15 सीटें मिलेंगी, जबकि पिछले चुनाव में उसे 10 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा थाा।बंगाल में बीजेपी की बहार?
पश्चिम बंगाल में सबसे आगे राज्य का सत्तारूढ़ दल रहेगा। वहां तृणमूल कांग्रेस सबसे ज़्यादा 32 सीटों पर कब्जा कर लेगी। लेकिन टाइम्स नाउ-वीएमआर ओपिनियन पोल के मुताबिक़, यहां बीजेपी की स्थिति में ज़बरदस्त सुधार। यहां उसे 9 सीटें मिलने के आसार हैं। यानी पिछले चुनाव के 2 की तुलना में 7 सीटें अधिक मिलेंगी। इस सर्वे के मुताबिक़ तो कांग्रेस को सिर्फ़ एक सीट मिलेगी जबकि वाम दलों का खाता भी नहीं खुल पाएगा।
ओड़ीशा में एनडीए को बढ़त
इसी तरह ओड़ीशा में भी एनडीए को ज़बरदस्त कामायबी मिलने के संकेत हैं। सर्वे में पाया गया है कि इस राज्य की बीजेपी को 13 सीटें मिल सकती हैं। यह पिछले चुनाव में मिली सीटों से 12 सीटें ज़्यादा है। राज्य के सत्तारूढ़ बीजू जनता दल के सांसदों की तादाद 20 से घट कर 8 हो जाएगी, यानी उसे 12 सीटें कम मिलने के आसार हैं।अगले आम चुनाव को लेकर यह अब तक का चौथा ओपिनियन पोल है। इसके पहले इंडिया टीवी-सीएनएक्स, इंडिया टुडे-कार्वी और एबीपी न्यूज़-सी वोटर ने चुनाव पूर्व सर्वेक्षण किए हैं। इन चारों सर्वेक्षणों से एक बात बिल्कुल साफ़ है कि सत्तारूढ़ बीजेपी और उसकी अगुआई वाले गठबंधन एनडीए को बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। यह भी साफ़ संकेत है कि विपक्षी गठबंधन यूपीए को भी बहुमत हासिल नहीं होने जा रहा है। त्रिशंकु लोकसभा बनने का आसार बिल्कुल स्पष्ट हैं। ऐसे में छोटे और स्थानीय दलों की भूमिका बहुत ही अहम हो जाएगी और उनके समर्थन के बग़ैर किसी गठबंधन की सरकार नहीं बनने जा रही है, यानी वे एक तरह से 'किंगमेकर' की भूमिका में होंगे।
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