लोकसभा चुनाव 2019 के लिए वोटों की ग़िनती जारी है। लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में मतदान हुआ था। चुनाव प्रचार के दौरान सभी राजनीतिक दलों ने जमकर ताक़त झोंकी। इस चुनाव में पहली बार देश भर में (वोटर वेरिफ़ाइबेल पेपर ऑडिट ट्रेल) का इस्तेमाल देश भर में किया गया।
चुनाव प्रचार के दौरान जहाँ बीजेपी ने राष्ट्रवाद को मुख्य मुद्दा बनाया वहीं कांग्रेस ने नोटंबदी, जीएसटी, किसानों की ख़राब हालत, रफ़ाल सौदे में गड़बड़ी को लेकर मोदी सरकार पर लगातार हमले किए।
बता दें कि एग्ज़िट पोल के नतीजों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने की संभावना जताई गई है। इसके बाद से ही बीजेपी समर्थकों में ख़ासा उत्साह है, वहीं विपक्ष मोदी सरकार को सत्ता में आने से रोकने के लिए लगातार रणनीति बनाने में जुटा हुआ है।एक संभावना यह भी बन रही है कि अगर एनडीए बहुमत के आंकड़े से दूर रहा और प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गाँधी के नाम पर क्षेत्रीय दलों में सहमति नहीं बनी तो तीसरे मोर्चे के नेताओं को भी सरकार बनाने का मौक़ा मिल सकता है। इस बात के संकेत ख़ुद कांग्रेस महासचिव ग़ुलाम नबी आज़ाद दे चुके हैं। आज़ाद ने हाल ही में कहा था कि चुनाव नतीजे के बाद अगर उनकी पार्टी को प्रधानमंत्री पद की पेशकश नहीं की गई तो कांग्रेस इसे मुद्दा नहीं बनाएगी।
सातवें चरण का मतदान ख़त्म होने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी चुनाव नतीजे आने के बाद गठबंधन बनाने के संकेत दिए थे। एक सवाल के जवाब में राहुल ने कहा था कि विचारधारा के स्तर पर मायावती, मुलायम सिंह, ममता और चंद्रबाबू नायडू बीजेपी को सपोर्ट नहीं करेंगे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्षी दलों से एकजुट रहने की अपील की है। दूसरी ओर, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने इस बार 'दक्षिण से प्रधानमंत्री' की मुहिम शुरू की है। केसीआर फ़ेडरल फ़्रंट के नाम पर कुछ विपक्षी दलों के नेताओं से मिलकर प्रधानमंत्री पद पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उन्हें जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों का समर्थन मिलता नज़र आ रहा है।
एग्ज़िट पोल के नतीजे आने के बाद से ही जिस तरह कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं ने एकजुट होने का प्रयास किया है, उससे इतना तय है कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस को तीसरे मोर्चे को समर्थन देने में कोई परेशानी नहीं होगी।
लोकसभा चुनाव के प्रमुख उम्मीदवारों पर नज़र डालें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी यूपी की अमेठी और केरल के वायनाड से, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी रायबरेली से, केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद पटना साहिब से, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा तुमकुर से, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी से, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार सासाराम से, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भोपाल से चुनाव मैदान में हैं।
इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गाँधीनगर से, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आज़मगढ़ से, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित उत्तर-पूर्वी दिल्ली से, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत से, पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल फ़िरोजपुर से, पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे सोलापुर से, पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारुक़ अब्दुल्ला श्रीनगर से और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार बेगूसराय सीट से चुनाव मैदान में हैं। बहरहाल, चुनाव परिणामों के बाद ही स्पष्ट होगा कि कौन सा दल सरकार बनाएगा और कौन विपक्ष में बैठेगा।
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