एक चुनाव-पूर्व सर्वे में पाया गया है कि बालाकोट हवाई हमले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव में फ़ायदा होगा। सर्वे में भाग लेने वाले पाँच में से चार लोगों ने कहा है कि उन्होंने बालाकोट हमले के बारे में सुना है और ऐसे लोगों में 46 प्रतिशत ने कहा कि वे चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनें। जिन लोगों ने बालाकोट हवाई हमले के बारे में नहीं सुना है, उनमें से सिर्फ़ 32 प्रतिशत लोग ही मोदी को फिर प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं। यह ट्रेंड उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक, सब जगह देखा गया है।
दरअसल, सीएसडीएस, लोकनीति, द हिन्दू, भास्कर और तिरंगा टीवी ने 7 जनवरी से 26 फ़रवरी के बीच एक सर्वेक्षण कराया।
सर्वे के नतीजे बताते हैं कि बालाकोट हवाई हमले, ग़रीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण और पीएम-किसान योजना का सीधा लाभ सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी को मिलेगा। सर्वे में 43 फ़ीसद लोगों ने कहा है कि वे चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बनें। यह लोकनीति के 2014 के सर्वे से 7 प्रतिशत और 2016 के सर्वे से 9 प्रतिशत अधिक है।
ग़रीबों को आरक्षण है मुद्दा
जिन लोगों ने ग़रीबों के लिए आरक्षण के बारे में सुन रखा था, उनमें से 57 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे चाहते हैं कि मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बनें। आरक्षण के बारे में जिन्हें नहीं मालूम था, उनमें से 37 फ़ीसदी लोग भी मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं। इसी तरह किसानों को पैसे देने की योजना का एलान करने से भी मोदी को लाभ हो सकता है। जिन लोगों के खाते में पैसे डाले गए, उनमें से 54से 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे नरेंद्र मोदी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनता हुआ देखना चाहते हैं।लेकिन इन लोगों ने यह नहीं कहा कि लोकसभा चुनाव में ये तीन सबसे अहम मुद्दे होंगे। जब यह पूछा गया कि उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा क्या है, 20 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बेरोज़गारी सबसे बड़ा मुद्दा है, जबकि सर्वे में भाग लिए लोगों के छठे हिस्से ने विकास को सबसे अहम माना। सिर्फ़ 2 प्रतिशत लोगों ने राष्ट्रीय सुरक्षा और बालाकोट हमले को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बताया। तीन प्रतिशत लोगों ने ग़रीबों के लिए आरक्षण को तरजीह दी।
लेकिन इस सर्वे में यह बात भी उभर कर सामने आई है कि बेरोज़गारी से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना कम हुई है। जिन लोगों को बेरोज़गारी और महंगाई बढ़ने के बारे में पता था, उनमें से ज़्यादातर लोग यह चाहते हैं कि एनडीए सरकार की वापसी हो।
रफ़ाल का ख़ास असर नहीं
सर्वे में यह भी पाया गया कि रफ़ाल सौदे का ख़ास असर नहीं है। आधे से अधिक लोगों को रफ़ाल डील के बारे में पता ही नहीं है। जिन्हें पता है उनमें से भी 41 प्रतिशत लोगों ने ही इसे महत्वपूर्ण मुद्दा माना।इस सर्वे से यह बात तो साफ़ है कि जब सत्तारूढ़ दल ने राष्ट्रवाद और उग्र हिन्दुत्व को चुनावी मुद्दा बना दिया और लोक जीवन से जुड़े तमाम मुद्दे हाशिए पर धकेल दिए गए हैं, बेरोज़गारी, ग़रीबी, आर्थिक पछड़ेपन को आम जनता ने याद रखा है। विपक्षी दलों ने भले ही इसे मजबूती से नहीं उठाया हो, राजनीतिक विमर्श से यह भले ही ग़ायब हो, पर जनता के बीच यह मुद्दा महत्वपूर्ण है। अधिकतर लोग इसे अहम मानते हैं।
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