प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर अपूर्वानंद बता रहे हैं कि ‘ईदगाह’ की याद इस प्रसंग में सहज ही आती है। प्रेमचंद का प्यारा हामिद हास्यपूर्ण युक्तियों का सहारा लेता है अपने दोस्तों से बदला लेने का।
प्रेमचंद के हास्य बोध, उनकी करुणा और गढ़ी गई भाषा पर यह लेख लिखा है कि अपूर्वानंद ने। प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर यह सत्य हिन्दी की विशेष पेशकश है।
प्रेमचंद 140 के हुए। नहीं, यह कहना पूरी तरह सही न होगा। प्रेमचंद तो कुल जमा 110 के हुआ चाहते हैं। इनकी पैदाइश 1910 की है। उसके पहले का अवतार था नवाब राय।
सुमित्रानंदन पंत छायावाद और सौंदर्य के अप्रतिम कवि। प्रकृति उनके विशाल शब्द-संसार की आत्मा है। पंत जी का जन्म 20 मई, 1900 में अल्मोड़ा के कौसानी गाँव में हुआ था।
हिंदी बल्कि कहना चाहिए कि हिंदुस्तानी उपन्यास के विकास क्रम में 'काला जल' की दस्तावेज़ी अहमियत पहले संस्करण (प्रकाशन काल: 1965) से ही स्थापित हो गई थी।
12 मई 2020 ई. की रात दस बज कर अठारह मिनट पर मेरे मोबाइल की घंटी बजी। स्क्रीन पर नाम चमक रहा था – डॉ. अपूर्वानंद। मैंने फ़ोन उठाया और उधर से आवाज़ आई कि ‘नवल जी गुज़र गए।’
आज भी जब कभी मुग़ल काल के बादशाहों का ज़िक्र होता है तो औरंगज़ेब और दारा शिकोह बरबस ही आमने-सामने खड़े होते दिखते हैं। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें भाई भाई का न हुआ, बेटा बाप का न हुआ और बाप बेटों का नहीं हुआ।
आज भारती जी की जयंती है। आज वह होते तो वह तिरानवे साल के होते। उन्हें 1972 में साहित्य में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था। आज उन्हें किस रूप में याद किया जाए?