भारत चीन सीमा तनाव और चीन के चरित्र को प्रसिद्ध लेखक कृश्न चंदर ने 1964 में लिखे अपने उपन्यास 'एक गधा नेफा में' काफ़ी बारीकी से उजागर किया है। तबके चीनी प्रधानमंत्री के साथ एक गधे का काल्पनिक संवाद रोचक है।
अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ कांग्रेस के अहिंसक आन्दोलन के पीछी भी किसी तरह की हिंसा छिपी थी? प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर सत्य हिन्दी की विशेष कड़ी में पढ़ें अपूर्वानंद को।
उर्दू अदब की बात हो और राजिंदर सिंह बेदी के नाम के ज़िक्र के बिना ख़त्म हो जाए, ऐसा नामुमकिन है। अपनी दिलचस्प कथा शैली और जुदा अंदाजे-बयाँ की वजह से बेदी उर्दू अफसानानिगारों में अलग से ही पहचाने जाते हैं।
गाँव से कुएँ अब गायब हो रहे हैं, सामूहिकता ख़त्म हो रही है। ऐसे में प्रेमचंद की कहानी को एक बार फिर याद कर रहे हैं लेखक अपूर्वानंद। प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर सत्य हिन्दी की विशेष श्रृंखला की 23 वीं कड़ी।
बीता साल पंजाबी साहित्य की प्रमुख हस्ताक्षर अमृता प्रीतम का जन्मशती वर्ष था। जन्मशती वर्ष पर जिस तरह से अमृता को याद किया जाना और उनके साहित्य पर बात होनी चाहिए थी, वह पूरे देश में कहीं नहीं दिखाई दी।
प्रेमचंद का पूरा जीवन दर्शन तार्किकता और विवेक की नींव पर टिका हुआ है। राष्ट्रीयता और जाति भेद के बारे में क्या सोचते थे प्रेमचंद? प्रेमंचद के 140 साल पूरे होने पर सत्य हि्न्दी की विशेष श्रृंखला में पढ़े अपूर्वानंद को।
प्रेमचंद गांधी की राजनीति ही नहीं, उनके सामाजिक सरोकारों से भी प्रभावित थे। प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर सत्य हिन्दी की विशेष श्रृंखला में पढ़ें अपूर्वानंद को।
प्रेमचंद ने अपने साहित्य में जाति व्यवस्था पर गहरी चोट की है। प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने सत्य हिन्दी की विशेष श्रृंखला की 20 वीं कड़ी में पढ़ें अपूर्वानंंद को।