आखिर क्या वजह है कि चीन रह रह कर भारतीय सीमा में घुसपैठ करता है। इसका खुलासा सामरिक मामलों के टिप्पणीकार रंजीत कुमार ने अपनी ई-बुक 'ड्रैगन ने हाथी को क्यों डसा ( भारत- चीन रिश्तों की कहानी)' में काफी गहराई से किया है।
प्रसिद्ध नारीवादी निवेदिता मेनन की किताब 'सीइंग लाइक अ फेमिनिस्ट' का हिंदी अनुवाद 'नारीवादी निगाह से' नाम से हाल ही में प्रकाशित हुआ है। किताब बड़ी सरलता से हमे मौजूदा व्यवस्था, जेंडर अवधारणाओं और व्यवहारिक प्रयोगों के विरोधाभासों से रूबरू करती हैं।
बिहार के दलित आंदोलन में हीरा डोम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण एवं सराहनीय है। इस सन्दर्भ में चर्चित कथाकार मधुकर सिंह की कहानी ‘दुश्मन’ का विशेष स्थान है।
एक तबका गांधी की हत्या को सही ठहराने की भौंडी और वीभत्स कोशिश कर रहा है। तब एक बार फिर गांधी की हत्या पर नये सिरे से पड़ताल की ज़रूरत थी। अब यह नई कोशिश एक किताब- ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ की शक्ल में सामने आयी है।
कोरोना संक्रमण को रोकने में सरकार की नाकामी को टीवी एंकर सिस्टम की नाकामी बता रहे हैं, सरकार की नहीं। क्या मामला है, पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का व्यंग्य।
हिंदी साहित्य की प्रख्यात कवयित्री महादेवी वर्मा की शुक्रवार को 114वीं जयंती मनाई गई। पढ़िए, वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन क्या लिखते हैं महादेवी वर्मा की लेखनी पर।
डॉ. मुकेश कुमार की पुस्तक ‘मीडिया का मायाजाल’ मीडिया विषयक चार दर्जन लेखों का संग्रह है जिसमें बीते चार-पाँच साल में मीडिया के स्वभाव में आए परिवर्तन चिंता के साथ व्यक्त हुए हैं।
22 मई, 1987 को हुआ हाशिमपुरा कांड मुसलमानों की सामूहिक रूप से की गई स्वतंत्र भारत के इतिहास में हिरासती हत्याओं का सबसे बड़ा मामला था। इस पर विभूति नारायण राय ने 'हाशिमपुरा 22 मई' किताब लिखी है। पेश है इसकी समीक्षा।
देवरस और गोलवलकर का राजनीति के प्रति कैसा नज़रिया था? पढ़िए, एका वेस्टलैंड के प्रकाशन और विजय त्रिवेदी द्वारा लिखी गई किताम ‘संघम् शरणम् गच्छामि’ पुस्तक के अंश।
नाटककार विजय तेंदुलकर का आज यानी 6 जनवरी को जन्मदिन है। भारतीय रंगमंच को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने वाले विजय तेंदुलकर, देश के महान नाटककारों में से एक थे।
गीतकार, कवि गोपाल दास ‘नीरज‘ का 4 जनवरी को जन्मदिन है। वह उस कवि सम्मेलन परम्परा के आख़िरी वारिस थे, जिन्हें सुनने और पढ़ते हुए देखने के लिए हज़ारों श्रोता रात-रात भर बैठे रहते थे।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ के नज़दीक मलीहाबाद में 5 दिसम्बर, 1898 में पैदा हुए शब्बीर हसन खां, बचपन से ही शायरी के जानिब अपनी बेपनाह मुहब्बत के चलते, आगे चलकर जोश मलीहाबादी कहलाए। लेकिन वह पाकिस्तान क्यों चले गए?