साहित्य के लिए 2022 कैसा रहा? सुर्खियों में साहित्यकार गीतांजलिश्री रहीं तो सलमान रुश्दी भी रहे। कोरोना काल के बाद साहित्य की दुनिया में फिर से क्या उस तरह की हलचल हुई जैसी कोरोना से पहले हुआ करती थी?
भारत की वर्तमान राजनीति कैसी है और क्षेत्रीय दलों की विचारधारा और इसके प्रभाव क्या हैं? इस सवाल का जवाब एक किताब में समेटने की कोशिश की गई है। पढ़िए अकु श्रीवास्तव की किताब 'सेंसेक्स क्षेत्री दलों का' की समीक्षा।
क्या हिंदी साहित्य में विडंबनाओं को समाहित किया गया है? हिंदी लेखकों में विडंबना का कितना बोध है? हिंदी साहित्य में इन विडंबनाओं का कैसा इस्तेमाल हुआ है?
हिंदी साहित्य के व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की 10 अगस्त को पुण्यतिथि थी। जानिए, मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में जन्मे परसाई की कैसी शख्सियत थी और वह कैसे याद किए जाते रहे हैं...
भीष्म साहनी का 8 अगस्त को जन्मदिन था। इसी दिन 1915 में उनका जन्म आज के पाकिस्तान के रावलपिंडी में हुआ था। जानिए बतौर साहित्यकार वह किस रूप में याद किए जाते हैं…
रेत समाधि उपन्यास को बुकर पुरस्कार मिलने पर गीतांजलि श्री पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ क्यों आ रही हैं? क्या हिंदी साहित्य और आलोचकों ने उन्हें अब तक उपेक्षित रखा था? क्या ऐसे लोग गीतांजलि श्री को जानते भी हैं?
लेखिका गीतांजलि श्री का उपन्यास टूम ऑफ सैंड अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली हिंदी साहित्य की पहली कृति बन गई। जानिए, इस पुरस्कार से क्या होगा हिंदी साहित्य पर असर।
गीतांजलि श्री का 'रेत समाधि' अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला भारतीय भाषा का पहला उपन्यास बना है तो क्या हिंदी भाषी समुदायों में लिखने-पढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा? क्या लोग किताबों के प्रति रुचि लेंगे?
वैसे तो टीवी पत्रकारिता को लेकर कई किताबें आ चुकी हैं, लेकिन वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश राजपूत की नयी किताब में उन घटनाओं का ज़िक्र है जो टेलीविजन पर नहीं आ सका है। पढ़िए, समीक्षा में इस किताब में क्या है ख़ास।
लेखिका गीतांजलि श्री का उपन्यास टूम ऑफ सैंड अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट की गई हिंदी भाषा की पहली कृति थी और पुरस्कार जीतने वाली भी यह पहली कृति बन गई।
रोहिण कुमार की किताब लाल चौक में कश्मीर के समकालीन इतिहास के साथ ही मौजूदा परिदृश्य की जटिलताओं और उलझावों को दर्शाया गया है। कैसी है यह किताब, जानिए पुस्तक समीक्षा में।