'कर्मा कोला' से मशहूर हुई अंग्रेजी लेखिका गीता मेहता ने पद्मश्री पुरस्कार लेने से इनकार कर कई सवाल तो खड़े कर ही दिए हैं, नरेंद्र मोदी के कामकाज के तरीके और उनकी शैली पर भी प्रश्न उठाया है। उन्होंने न्यूयॉर्क से जारी बयान में कहा कि वह इस पुरस्कार के लिए चुनी जाने पर बहुत ही सम्मानित महसूस करती हैं कि सरकार ने उन्हें इस लायक माना, पर इसका समय सही नहीं है क्योंकि चुनाव नज़दीक होने से लोग इसका ग़लत अर्थ निकालेंगे।
'स्नेक्स एंड लैडर्स', 'अ रिवर सूत्रा' और 'राज' की लेखिका गीता ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बड़ी बहन भी हैं। उनके पति सॉनी मेहता अमेरिकी प्रकाशन संस्था अल्फ्रेड ए नॉफ़ के मुख्य संपादक और नॉफ़ डबलडे पब्लिकेशन ग्रुप के अध्यक्ष हैं। यह कंपनी अमेरिका की बड़ी प्रकाशन कंपनियों में एक है। इसने छह नोबेल पुरस्कार विजेता लेखकों की किताबें छापी हैं। इसके अलावा इसने टोनी ब्लेअर और बराक ओबामा की बेस्टसेलर्स कही जानी वाली किताबें भी छापी हैं। इस प्रकाशन से छपना किसी लेखक के लिए सम्मान की बात मानी जाती है।
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एनडीटीवी.कॉम की सुनेत्रा चौधरी की रिपोर्ट के मुताबिक़, एक दिन नवीन पटनायक के दिल्ली स्थित घर पर टेलीफ़ोन की घंटियाँ बजीं तो उसे उठाने वाला कर्मचारी आश्चर्य में पड़ गया। फ़ोन प्रधानमंत्री आवास से था और दूसरी छोर पर ख़ुद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। मोदी ने उससे गीता मेहता का टेलीफ़ोन नंबर माँगा। ख़ैर, वह नबंर नहीं दे पाया क्योंकि उसके पास यह नंबर नहीं था। समझा जाता है कि वॉशिंग्टन में तैनात किसी भारतीय राजनयिक ने उस नंबर का जुगाड़ किया होगा। मोदी ने गीता मेहता से मिलने की इच्छा जताई।
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रिपोर्ट के मुताबिक़, गीता मेहता भारत आईं तो प्रधानमंत्री आवास गईं और मोदी से मुलाक़ात की। लोगों का कहना है कि 20 मिनट के लिए तय यह बैठक जब 90 मिनट चलती रही तो गीता मेहता उठ खड़ी हुईं और मोदी से कहा, 'आप बहुत ही व्यस्त होंगे।'
लेखक मोदी
क्या टेलीफ़ोन कॉल और इस बैठक का पद्मश्री पुरस्कार से कोई संबंध है? निश्चत तौर पर कहना मुश्किल है। पर पर्यवेक्षकों का कहना है कि नरेंद्र मोदी जिस तरह 10 लाख के सूट और महँगे मो ब्लां कलम के शौकीन हैं, वे उसी तरह छपने को लेकर भी संवेदनशील हैं। उन्होंने अंग्रेज़ी में 'एग्ज़ाम वॉरियर्स' तो हिन्दी में 'ज्योतिपुंज' लिखा है, 'मन की बात' तो है ही। पर्यवेक्षकों का यह भी कहना है कि मुमकिन है कि वे चाहते हों कि अल्फ्रेड ए नॉफ़ उनकी कोई किताब छाप दे। आखिर उसने टोनी ब्लेअर और बराक ओबामा की किताबें तो छापी ही हैं। पर नॉफ़ ने यह पुस्तकें इन लेखकों के पद से हटने के बाद छापी हैं।पर्यवेक्षक यह भी मानते हैं कि मोदी शायद नवीन पटनायक को संकेत देना चाहते थे। चुनाव के पहले यदि बीजेडी और बीजेपी चुनाव लड़े तो ओडीशा में पार्टी को फ़ायदा हो सकता है। हालाँकि बीजेडी ने बीजेपी के साथ न जाने की बात पहले ही कह दी है, पर कोशिश करने में क्या हर्ज है। तो क्या मोदी एक तीर से दो शिकार खेलना चाहते थे? अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक से उनकी किताब भी छप जाए और राजनीतिक गठजोड़ भी हो जाए।
बहरहाल, गीता मेहता के इनकार से बीजेपी नाराज़ है। बीजेपी महासचिव पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा, 'कारण जो भी हो, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार को इनकार करना राष्ट्र का अपमान है।' ओड़ीशा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष प्रदीप माझी ने इसे बीजेडी को शर्मिंदगी से बचाने की कोशिश क़रार दिया। उन्होंने कहा, 'मेहता ने बीजेपी और बीजेडी केअंदरूनी तालमेल के खुलासे को रोकने के लिए पुरस्कार लेने से इनकार किया है।'
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