सुप्रीम कोर्ट में एक समय सबकुछ ठीक नहीं रहने के जस्टिस कुरियन जोज़फ़ के बयान के बाद फिर से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या सच में तब कई गड़बड़ियाँ थीं? क्या पूर्व सीजेआई में कुछ कमियाँ थीं?
चुनावों से जुड़े हर मामलों में क्या चुनाव आयोग की ही चलती है? आयोग ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉण्ड योजना में अापत्ति के बावजूद इनमें से किसी भी ख़ामी को दूर नहीं किया गया है।
मराठाओं को आरक्षण देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को यदि 68 फ़ीसदी आरक्षण देने की छूट मिल गई तो क्या दूसरे राज्य भी 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आरक्षण नहीं माँगने लगेंगे?
क्या असहमति के बिना लोकतंत्र संभव है? इस पर सरकारें भले ही घालमेल करती हों, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने साफ़ संदेश दिया है कि असहमति लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।