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हेमंत सोरेन
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केरल की एलडीएफ़ सरकार द्वारा 'आपत्तिजनक' सोशल मीडिया पोस्ट्स को लेकर लाए गए अध्यादेश पर सरकार के भीतर ही मतभेद सामने आने के बाद इसे रोक लिया गया है। मुख्यमंत्री विजयन ने सोमवार को कहा है कि इसे अमल में नहीं लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को समर्थन देने वाले और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए खड़े होने वाले लोगों ने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि विधानसभा में इसे लेकर चर्चा की जाएगी और सारे राजनीतिक दलों की बात सुनने के बाद ही इस संबंध में आगे कोई क़दम उठाया जाएगा।
इस अध्यादेश को लेकर एलडीएफ़ सरकार में शामिल दल सीपीएम ने भी नाराजगी जताई थी। बीजेपी और कांग्रेस जैसी दूसरी विपक्षी पार्टियाँ तो आलोचना कर ही रही हैं।
हालाँकि, इन आलोचनाओं पर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने दावा किया था कि इसका उपयोग 'अभिव्यक्ति की आज़ादी' या 'निष्पक्ष पत्रकारिता' के ख़िलाफ़ नहीं किया जाएगा।' मुख्यमंत्री की यह सफ़ाई तब आई है जब कहा जा रहा है कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम का केंद्रीय नेतृत्व इस मामले में असहमत है। केरल में वामपंथी दलों के गठबंधन एलडीएफ़ यानी लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ़्रंट की सरकार है और इसमें सीपीएम के साथ ही सीपीआई भी शामिल है। इस सरकार के मुखिया पिनाराई विजयन हैं।
पिनाराई विजयन की सरकार ही 'आपत्तिजनक' सोशल मीडिया करने वालों पर कार्रवाई करने के लिए अध्यादेश लेकर आ रही थी। शुक्रवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान ने केरल पुलिस (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी थी। इसमें केरल पुलिस अधिनियम में एक नई धारा, 118 (ए) शामिल है।
इस प्रस्तावित अध्यादेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की सूचना या मैसेज पोस्ट करता है जो अपमानजनक है या किसी अन्य व्यक्ति को अपमानित या धमकी देने का इरादा रखता है तो तीन साल की कैद या 10,000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों की सज़ा भुगतनी पड़ सकती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया था कि उन्हें 'कानून से झटका लगा'। उन्होंने जानना चाहा कि सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी 'अत्याचारी' फ़ैसले का बचाव कैसे करेंगे।
मेरे मित्र सीताराम येचुरी, महासचिव, सीपीआई (एम), इन अत्याचारी निर्णयों का बचाव कैसे करेंगे?'
Also shocked by the attempt to implicate Mr Ramesh Chennithala, LOP, in a case where the investigation agency had filed a closure report FOUR times
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 22, 2020
How will my friend @SitaramYechury , GS, CPI(M), defend these atrocious decisions?
इस मामले में 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा कि उनकी पार्टी इसके विरोध में है कि ऐसे मामलों के लिए अध्यादेश का रुख अख्तियार किया गया। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने सफ़ाई दी है कि आपत्तियों और आशंकाओं पर विचार किया जाएगा और आम राय को भी तवज्जो दिया जाएगा। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सीपीएम के नेता भी राज्य सरकार के फ़ैसले से असमत हैं।
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