केरल में मुक़ाबला मार्क्सवादियों के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच है।
केरल विधानसभा चुनाव के बाद मौजूदा वाम मोर्चा सरकार की वापसी हो सकती है। केरल में हर विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल या उनके गठबंधन की हार होती है। लेकिन इस बार सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत हो सकती है।
G23 गुट के नेताओं की बग़ावत से जूझ रही कांग्रेस को केरल के विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ा झटका लगा है। पार्टी के बड़े नेता और दिल्ली के प्रभारी रहे पीसी चाको ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
140 विधानसभा सीटों वाले केरल में इस बार फिर से वाम दलों के गठबंधन लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ़) की सरकार बन सकती है, ऐसा टाइम्स नाउ सी वोटर का सर्वे बता रहा है।
कस्टम्स विभाग का कहना है कि स्वपना सुरेश ने कहा है कि मुख्यमंत्री के कहने पर ही उन्होंने सोने की तस्करी की थी, जबकि इस मामले की जाँच कर रही नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेन्सी का कहना है कि इसका कोई सबूत नहीं है।
केरल की पिनराई विजयन की वामपंथी सरकार वापस आएगी या नहीं? क्या कांग्रेस जो स्थानीय चुनाव में कमतर प्रदर्शन के बाद से नई रणनीति बना कर कोशिशों में जुटी है, कोई बढ़त नहीं हासिल करेगी?
केंद्र सरकार के जिन तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हीं क़ानूनों के ख़िलाफ़ केरल की विधानसभा ने एक प्रस्ताव पास किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार इन विवादास्पद क़ानूनों को वापस ले।
ज्यों-ज्यों किसान आंदोलन अपने चरम की ओर बढ़ रहा है, केंद्र सहित बीजेपी की राज्य सरकारों के प्रचार हमले बढ़ते ही जा रहे हैं। प्रचार की ये तोपें अमूमन तथ्य और वास्तविक आंकड़ों की जगह झूठ के बारूद और गोलों से भरी होती हैं।
21 साल की युवा मार्क्सवादी कार्यकर्ता आर्या राजेंद्रन तिरुवनन्तपुरम शहर की नयी मेयर होंगी। सीपीएम की ज़िला इकाई ने आर्या राजेंद्रन के नाम की सिफ़ारिश प्रदेश इकाई से की है।
विशेष सीबीआई अदालत ने तिरुवनंतपुरम में फ़ादर थॉमस कुट्टूर और सिस्टर सेफ़ी को सिस्टर आभया की हत्या करने और सबूत नष्ट करने का दोषी माना है। उन्हें आजीवन कारावास के साथ-साथ 5-5 लाख रुपए के ज़ुर्माने की सज़ा दी गई है।
पार्टी नेताओं के बीच खींचतान-तनातनी, तू-तू, मैं-मैं और ज़बरदस्त गुटबाज़ी की वजह से कांग्रेस पार्टी को केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में जीत नहीं मिल पायी है।
तरह-तरह के आरोपों से घिरे और कई तरह के संकटों का सामना कर रहे वाम लोकतांत्रिक मोर्चा यानी लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ़्रंट (एलडीएफ़) ने केरल के स्थानीय निकायों के चुनाव में तमाम अनुमानों के उलट ज़ोरदार जीत दर्ज की है।
केरल के विधानसभा चुनाव में महज 6 महीने का वक़्त बचा है। ऐसे में बीजेपी मुसलिम-ईसाई समुदाय की इस सोशल इंजीनियरिंग और हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण से अपनी सियासी ज़मीन को पुख़्ता करने की कोशिश में है।