केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिए एक अहम फैसले में समलैंगिक जोड़े को साथ रहने की इजाजत दे दी। हाई कोर्ट ने यह आदेश आदिला नसरीन की ओर से दायर याचिका पर दिया। यह जोड़ा आदिला नसरीन और नूरा फातिमा का है। इस समलैंगिक जोड़े को इनके माता-पिता ने एक दूसरे से अलग कर दिया था।
आदिला केरल के अलुवा की जबकि नूरा कोझीकोड की रहने वाली हैं। दोनों ही 19 मई को अपने-अपने घर छोड़कर निकल गई थी और उन्होंने एक एनजीओ के शिविर में शरण ली थी। जब नूरा के परिवार वाले वहां पहुंचे और हंगामा हुआ तो पुलिस भी वहां पहुंची।
इस समलैंगिक जोड़े ने अपने परिजनों के साथ जाने से मना कर दिया। लेकिन आदिला के माता-पिता एनजीओ से बातचीत कर दोनों को वहां से ले गए। 23 मई को आदिला ने पुलिस में शिकायत दी कि नूरा के माता-पिता उसे अपने साथ ले गए हैं।
आदिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि पुलिस इस मामले में कार्रवाई नहीं कर रही है। हालांकि पुलिस का कहना था कि वह लगातार इस मामले में अपना काम कर रही है। आदिला ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर भी अपनी बात को रखा था। आदिला ने अपनी याचिका में कहा था कि वह और उसकी पार्टनर फातिमा नूरा को उनके परिवारों ने शारीरिक और मानसिक रूप से सताया है और कुछ दिन पहले नूरा का उसके परिवार वालों ने अपहरण कर लिया।
आदिला के वकील ने अदालत से कहा था कि अपहरण के बाद नूरा का कहीं पता नहीं चल सका है। हाई कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए पुलिस को आदेश दिया कि वह नूरा को अदालत के सामने लेकर आए। इसके साथ ही आदिला को भी अदालत में पेश होने के लिए कहा गया।
जस्टिस विनोद के. चंद्रन की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि वयस्क लोगों के एक साथ रहने पर कोई रोक नहीं है।
स्कूल के दिनों से हैं साथ
22 साल की आदिला और 23 साल की नूरा तब से साथ हैं, जब वे सऊदी अरब में स्कूल में साथ पढ़ती थीं। जब वे सऊदी अरब से भारत लौटीं और यहां उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया, उसके बाद वे फिर से रिलेशनशिप में रहने लगीं। लेकिन उनके माता-पिता ने उनके इस रिश्ते का लगातार विरोध किया।
ग्रेजुएशन के बाद दोनों ने फैसला किया कि वे साथ ही रहेंगी लेकिन परिजन इसका विरोध करते रहे।
एलजीबीटी समुदाय का मिला साथ
हाई कोर्ट के फैसले के बाद नूरा ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि अब वह बेहद राहत महसूस कर रही हैं। जबकि आदिला ने कहा कि उन्हें एलजीबीटी समुदाय की ओर से इस मामले में काफी साथ मिला और उनके सहयोग और हाई कोर्ट के आदेश की वजह से ही अब वे लोग आजाद हैं।
आदिला ने कहा कि लेकिन अभी भी वे पूरी तरह आजाद नहीं हैं क्योंकि उनके परिवार विशेषकर नूरा के परिवार वाले उन्हें लगातार धमकियां दे रहे हैं।
अदालत ने की थी टिप्पणी
LGBTQIA+ समुदाय के हक़ों की हिफ़ाजत के संदर्भ में मद्रास हाई कोर्ट ने बीते साल कई अहम टिप्पणियां की थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे डॉक्टर्स जो इस बात का दावा करते हों कि वे समलैंगिकता का इलाज करते हैं, उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाने चाहिए।
जस्टिस वेंकटेश ने कहा था कि LGBTQIA+ समुदाय के लोगों को उनकी निजता का और सम्मान के साथ अपना जीवन जीने का पूरा हक़ है, इसके तहत उनका सेक्सुअल ओरियंटेशन, लिंग की पहचान और उसकी अभिव्यक्ति सहित अपने पार्टनर को चुनने की इच्छा शामिल है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत इसे पूरी तरह से संवैधानिक सुरक्षा हासिल है।
अपनी राय बतायें