पश्चिम बंगाल के बाद अब दक्षिणी राज्य केरल में भी राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच के मतभेद खुल कर सामने आने लगे हैं। बीजेपी की केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त राज्यपाल और ग़ैर-बीजेपी दल शासित राज्य सरकार के बीच की लड़ाई बढ़ती जा रही है।
केरल के राज्यपाल आरिफ़ मुहम्मद ख़ान ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को चिट्ठी लिख कर विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। उन्होंने इसके साथ ही कहा है कि राज्य सरकार विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन करें ताकि वे खुद इन विश्वविद्यालयों के कुलपति यानी चांसलर की भूमिका निभा सकें।
कड़ी चिट्ठी
आरिफ़ मुहम्मद ख़ान की चिट्ठी की भाषा तल्ख़ है। उन्होंने कहा कि यदि उनके पास यह अध्यादेश लाया जाए कि मुख्यमंत्री ही कुलपति की भूमिका निभाएंगे तो वे उस पर तुरन्त दस्तख़त कर देंगे।
उन्होंने चिट्ठी में कहा कि राज्य सरकार जिस तरह विश्वविद्यालयों का कामकाज चला रही है, वे उससे बेहद परेशान हैं।
समझा जाता है कि राज्यपाल इस बात पर बेहद नाराज़ हैं कि कुन्नूर विश्वविद्यालय के उपकुलपति के पद पर प्रोफ़ेसर गोपीनाथ रवींद्रन को एक बार फिर चार साल के लिए नियुक्त कर दिया गया है।
विधेयक में संशोधन से नाराज़
पर्यवेक्षकों का कहना है कि आरिफ़ मुहम्मद ख़ान इस बात पर खफ़ा हैं कि विधानसभा ने विश्वविद्यालय अधिनियम में एक संशोधन किया है। इस संशोधन के तहत विश्वविद्यालय अपीलीय पंचाट के सदस्यों को नियुक्त करने का अधिकार चांसलर से ले लिया गया है।इस संशोधन में उस प्रावधान को भी ख़त्म कर दिया गया है जिसके तहत राज्यपाल पंचाट यानी ट्राइब्यूनल में नियुक्ति के मामले में हाई कोर्ट से सलाह मशविरा कर सकते थे।
इसके पहले केरल सरकार ने शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में उपकुलपति की नियुक्ति के लिए एक ही नाम राज्यपाल के पास भेजा था। समझा जाता है कि आरिफ़ मुहम्मद ख़ान इससे भी नाराज़ हैं।
याद दिला दें कि इसके पहले केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान चर्चा में आए थे जब इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अधिवेशन में कुछ इतिहासकारों ने उनका विरोध किया था।
बता दें कि केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी की अगुआई वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार है।
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