केंद्र में रह चुकी सरकारों पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप पहले भी लगते रहे हैं लेकिन मोदी सरकार के दौर में तो ऐसा लगता है कि हद पार हो चुकी है। पिछले छह सालों में विपक्षी दलों के कई नेताओं ने जांच एजेंसियों द्वारा उन्हें नाहक परेशान किए जाने के आरोप लगाए। और इसी से नाराज़ होकर पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र सहित कई राज्य सरकारों ने फरमान जारी कर दिया कि सीबीआई को अगर उनके राज्य में किसी मामले की जांच करनी होगी तो इसके लिए राज्य सरकार की अनुमति ज़रूरी होगी।
निश्चित रूप से इस सबसे केंद्रीय एजेंसियों की साख गिरी है। बीजेपी शासित केंद्र ही नहीं राज्य सरकारों पर भी पुलिस, सीबीसीआईडी के दुरुपयोग के आरोप लग रहे हैं और ख़िलाफ़ बोलने वाले पत्रकारों की आवाज़ों को कुचलने के भी।
ताज़ा मामला केरल का है, जहां 7 महीने के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी यहां से वाम दलों को उखाड़ने के मिशन में जुटी हुई है। केरल की पिनाराई विजयन सरकार बीते कुछ महीनों से भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मुसीबत में है लेकिन एक ताज़ा ऑडियो से जांच एजेंसियों पर आरोप लग रहा है कि वे विजयन सरकार को बेवजह फंसाना चाहती हैं।
क्या है मामला?
सितंबर महीने से केरल की राजनीति में कुरान की प्रतियों और खजूर के अलावा भारी मात्रा में सोना मंगवाए जाने को लेकर माहौल गर्म है। केरल के विपक्षी दलों बीजेपी और कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि वामपंथी नेताओं ने निजी इस्तेमाल के लिए अरब से यह सामान मंगवाया है, जोकि विदेशी मुद्रा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) का उल्लंघन है।
इसके बाद एजेंसियां हरक़त में आ गईं क्योंकि वे शायद मौक़े के इंतजार में थीं। मंगवाए गए सोने की कीमत करोड़ों में थी, इसलिए सीमा शुल्क विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मामला दर्ज़ कर जांच शुरू की। सीमा शुल्क विभाग ने केरल सरकार के ख़िलाफ़ दो मामले दर्ज़ कर लिए।
स्वप्ना सुरेश को किया गिरफ़्तार
जांच एजेंसियों ने स्वप्ना सुरेश को मुख्य आरोपी बनाया और उनके साथियों संदीप नायर और सरिथ पीएस को भी गिरफ्तार किया। स्वप्ना सुरेश केरल सरकार की एक संस्था में काम करती थीं और उनके मुख्यमंत्री कार्यालय के कुछ बड़े अधिकारियों से अच्छे संबंध थे।
अब इन्हीं स्वप्ना सुरेश का एक नया ऑडियो वायरल हुआ है, जिससे राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया है। इस ऑडियो में स्वप्ना को कथित रूप से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि, ‘अगर वह (स्वप्ना) इस बात को क़ुबूल कर लें कि वह मुख्यमंत्री विजयन के पूर्व प्रधान सचिव एम. शिवाशंकर के साथ यूएई गई थीं तो उन्हें (स्वप्ना को) सरकारी गवाह बना दिया जाएगा।’ एम. शिवाशंकर इस मामले में अभियुक्त हैं और उन पर विजयन के लिए वित्तीय सौदेबाज़ी करने का आरोप है।
ऑडियो में आगे स्वप्ना को कथित रूप से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उन्होंने (शायद ईडी के अफ़सर) उसे उसका बयान नहीं पढ़ने दिया और दस्तख़त करने के लिए कहा। स्वप्ना इन दिनों तिरूवनंतपुरम की जेल में हैं।
राज्य के डीजीपी (जेल) ऋषिराज सिंह ने कहा है कि साइबर पुलिस से कहा गया है कि वह इस ऑडियो क्लिप की जांच करे। डीआईजी (जेल) अजय कुमार ने कहा है कि वह ऑडियो के वायरल होने के बाद स्वप्ना से मिले और पहली नज़र में ऑडियो में जो आवाज़ है, वह स्वप्ना की ही लगती है। कुमार ने कहा कि स्वप्ना ने उन्हें बताया कि वह नहीं जानती कि किसने इसे रिकॉर्ड किया।
ऑडियो के सामने आने के बाद सीपीएम की राज्य इकाई ने कहा है कि ईडी मुख्यमंत्री विजयन को निशाना बना रही है।
बीजेपी का आरोप
इस मामले में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन का आरोप है कि मुख्यमंत्री के कई क़रीबी लोगों और वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने जेल में बिना इजाजत के ही स्वप्ना से मुलाक़ात की है। उन्होंने मांग की है कि गृह विभाग ऐसे लोगों को लिस्ट जारी करे, जो जेल में स्वप्ना से मिलने गए।
मोदी सरकार पर यह आरोप आम है कि वह अपने सियासी विरोधियों की आवाज़ को दबाने के लिए इनकम टैक्स, सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल करती है।
अमरिंदर के बेटे को समन
कुछ दिन पहले ईडी ने जब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर सिंह को समन भेजा था तो तब भी यही कहा गया था कि पंजाब सरकार द्वारा कृषि क़ानूनों का विरोध करने के चलते ईडी ने ऐसा किया है क्योंकि यह मामला 2016 का था और अब इसे लेकर अमरिंदर के बेटे को ईडी ने बुलाया तो सवाल उठने लाजिमी थे।
विपक्षी नेता निशाने पर
सितंबर में एनसीपी प्रमुख शद पवार, उनकी सांसद बेटी सुप्रिया सुले, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे और राज्य सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे को इनकम टैक्स विभाग का नोटिस मिला था। इससे पहले कांग्रेस के पी. चिदंबरम से लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अशोक गहलोत के भाई, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी. शिवकुमार सहित कई नेताओं के वहां ये जांच एजेंसियां छापेमारी कर चुकी हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले भी लंबे समय से लंबित पड़े मामलों में एक के बाद एक विपक्षी दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ सीबीआई ने कार्रवाई की थी। सीबीआई ने अखिलेश यादव के क़रीबियों से लेकर मायावती और लालू परिवार के सदस्यों पर शिकंजा कसने की कोशिश की थी। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं पर भी केस दर्ज किया गया था।
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