सबरीमला मंदिर में सबसे पहले घुसने वाली दो महिलाओं में से एक कनकदुर्गा पर उसकी सास ने ही कथित रूप से हमला कर दिया। उन्हें इतनी गंभीर चाटें आई हैं कि अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उनकी हालत स्थिर है।
दक्षिणपंथी ताक़तों की धमकियों के कारण 39 साल की कनकदुर्गा दो हफ़्ते तक छुपी रहने के बाद सुबह ही घर लौटी थीं। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि उनकी सास ने ही उनके सिर पर वार कर दिया।
बिंदु के साथ कनकदुर्गा मंदिर में घुसनेवाली 50 साल से कम उम्र की पहली महिला बनी थीं। दोनों पिछले 13 दिनों से कोच्ची के बाहरी इलाक़ों में गुप्त स्थान पर छुपी हुई थीं। बिंदु अभी भी गुप्त स्थान पर ही हैं।
मंदिर में घुसने के बाद ही मीडिया से बातचीत में कनकदुर्गा ने कहा था, ‘मुझे पता है कि मेरी जान ख़तरे में होगी। फिर भी मैं मंदिर जाना चाहती थी। हमें गर्व है कि हम दोनों ने उन महिलाओं के लिए राह आसान कर दिया है, जो मंदिर जाना चाहती हैं।’
10 साल से 50 की उम्र की महिलाओं पर मंदिर में घुसने पर लगी पाबंदी को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही तनाव बना हुआ है। श्रद्धालु और प्रदर्शनकारी इस आयु की महिलाओं को घुसने नहीं देना चाहते हैं। इसके बावजूद कनकदुर्गा और बिंदु एक विशेष तकनीक और कुछ पुलिस कर्मियों की मदद से मंदिर में घुसने में सफल रहीं। कनकदुर्गा सरकारी कर्मचारी हैं, जबकि बिंदु केरल के कन्नूर यूनिवर्सिटी में व्याख्याता हैं।
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क्यों है आपत्ति?
बिंदु और कनकदुर्गा के मंदिर के अंदर जाने पर केरल में जमकर विरोध प्रदर्शन हुए थे। 1500 सालों से चली आ रही परंपरा में लंबी लड़ाई के बाद भी महिलाएँ मंदिर के अंदर नहीं जा सकी थीं।
सबरीमला मंदिर के पुजारी और अयप्पा के भक्तों का मानना है कि भगवान की पवित्रता को बनाए रखने के लिए 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में नहीं आने देना चाहिए। मासिक धर्म के आयु वर्ग में आने वाली महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में दिए एक फ़ैसले में सभी महिलाओं को मंदिर में जाने की अनुमति दे दी।
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